अमल ऐसा किया जाय कि अमल खत्म हो जाय फिर भी जज़ा जारी रहे,बे शऊर दीनदारी से बचें यानी दीन मे रहकर बेदीनी से बचें , अपनी बसीरत को सही अमल मे लायें
तहलका -बाराबंकी/सरवर अली रिज़वी
बाराबंकी । बे शऊर दीनदारी से बचें यानी दीन मे रहकर बेदीनी से बचें , अपनी बसीरत को सही अमल मे लायें। यह बात मौलाना गुलाम अस्करी हाल में मजलिस ए छमाही मर्हूमा बांदी बिन्ते औनो मोहम्मद आज़मी को खिताब करते हुए हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद सफी हैदर ने कही ।
मौलाना सफी ने यह भी कहा कि अमल ऐसा किया जाय कि अमल खत्म हो जाय फिर भी जज़ा जारी रहे ।उसकी मदद से कभी गुरेज़ न करो जिसका मददगार अल्लाह के सिवा कोई न हो ।उन्होने आगे कहा नेकियां सिर्फ सवाब नहीं पहुँचाती ,अगर सही अमल न किया जाय तो अजाब में बदल जाती हैं।
मेम्बरे रसूल से अपना खयाल पेश न करें,गदीरी खयाल पेश करें ।हक़ के साथ हमेशा रहो वो चाहे गैर हो।
नाहक़ का साथ न दो चाहे वो अपना ही क्यों न हो।वाजिबात छोड़कर मुस्तहब अदा करने से कोई फ़ायदा नहीं ।
आखिर में कर्बला वालों के मसायब पेश किया जिसे सुनकर सभी रोने लगे।
मजलिस से पहले डा रज़ा ने अपना कलाम पढ़ा –
करके तैयार फरायज़ का मुसल्ला तूने ,
जलते खैमों पे किया शुक्र का सजदा तूने।
अजमल किन्तूरी ने अपना कलाम पढ़ा-
पैकरे आदम मे जब नूरे खुदा रक्खा गया ,
सबसे पहले पन्जतन से राबता रक्खा गया ।
हाजी सरवर अली कर्बलाई नेअपना कलाम पढ़ा –
तुम्हीं हो नाज़िश ए क़ुदरत हुसैन ज़िन्दाबाद।
फ़िदा है तुमपे रिसालत हुसैन ज़िन्दाबाद।
निसार तुमपे नबूवत हुसैन ज़िन्दाबाद ।
तुम्हीं हो फ़ख़्रे इमामत हुसैन ज़िन्दाबाद ।
हर इक सदी की ज़रूरत हुसैन ज़िन्दाबाद।
आसिफ अख्तर,गाज़ी इमाम और अरबाब रज़ा ने भी नज़रानये अक़ीदत पेश किया ।तिलवते रब्बानी से मजलिस का आगाजअसगर मेहदी नजफी ने किया।
बानिये मजलिस जाहिद हुसैन ने सभी का शुक्रिया अदा किया ।