नई दिल्ली । तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के बीच दशकों पुराने कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है। शीर्ष कोर्ट ने सबसे पहले स्पष्ट करते हुए कहा कि जल राष्ट्रीय संपत्ति है। कोई भी राज्य नदी के स्वामित्व को लेकर दावा नहीं कर सकता है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु को मिलने वाले पानी की मात्रा को घटा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि तमिलनाडु को 177.25 टीएमसी पानी दिया जाए। जबकि कर्नाटक को 14.75 टीएमसी ज्यादा पानी मिलेगा। वहीं केरल और पुडुचेरी के जल आवंटन मात्रा में कोई फेरबदल नहीं किया।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कर्नाटक को मिलने वाले पानी में बढ़ोतरी बेंगलुरु में पीने के पानी की मांग और औद्योगिक आवश्यकता को देखते हुए की गई है। हालांकि शीर्ष कोर्ट के इस फैसले को लेकर तमिलनाडु में तनाव बढ़ने की आशंका है। वहीं कर्नाटक में इस फैसले को लेकर जश्न का माहौल शुरू हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में 20 टीएमसी भूमिगत जल पर ध्यान नहीं दिया गया है, जिस पर विचार किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि कुछ ही महीनों में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस विवादित मामले में तीनों राज्यों ने कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ ने पिछले साल 20 सितंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह विवाद 120 साल पुराना है।
सीडब्ल्यूडीटी के फैसले को दी थी चुनौती
कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण के 2007 में दिए गए आदेश को कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सीडब्ल्यूडीटी ने 2007 में इस विवाद पर सर्वसम्मति से फैसला दिया था। उसने तमिलनाडु में 192 टीएमसी (1000 मिलियन क्यूबिक) फीट पानी को कर्नाटक द्वारा मेटटूर बांध में छोड़ने के आदेश दिए थे, जबकि कर्नाटक को 270, केरल को 30 और केरल को सात टीएमसी फीट जल आवंटित किया था।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले बेंगलुरु में सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी। पत्रकार वार्ता में बेंगलुरु पुलिस आयुक्त टी सुनील कुमार ने बताया था कि 15,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाएगा। इसके अलावा कर्नाटक स्टेट रिजर्व पुलिस और अन्य बलों को भी तैनात किया जाएगा। आयुक्त ने कहा, ‘संवेदनशील इलाकों पर विशेष नजर रखी जाएगी, जहां इसे लेकर पहले दंगे हो चुके हैं।’