नई दिल्ली । केंद्र सरकार ‘भीड़ द्वारा हत्या’ (मॉब लिंचिंग) को दंडनीय अपराध के तौर पर परिभाषित करने के लिए क़ानून ला सकती है। सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक मॉडल कानून का मसौदा तैयार करने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है, जिसे राज्य सरकारें मॉब लिंचिंग की घटनाएं रोकने के लिए अपना सकें।
इसके लिए सरकार भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में संशोधन कर सकती है। यदि आईपीसी में संशोधन किया जाता है तो सरकार को मॉब लिंचिंग पर अलग से कोई कानून बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अधिकारी ने कहा कि यदि खुद को निर्दोष साबित करने का जिम्मा आरोपी पर डाल दिया जाता है
तो सीआरपीसी एवं भारतीय साक्ष्य कानून की कुछ धाराओं में भी संशोधन करने की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर अपना रुख तय करने में कई दिन लग सकते हैं। सरकार सोशल मीडिया से जुड़ी रूपरेखा को भी ठोस बना सकती है ताकि ऐसी घटनाओं की वजह बनने वाली अफवाहों पर लगाम सुनिश्चित की जा सके।
हालिया महीनों में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर लोगों की हत्या कर दिए जाने के कई मामले देश भर से सामने आए हैं। ताजा घटना राजस्थान में हुई जहां बीते शुक्रवार को गौ तस्करी के संदेह पर भीड़ ने एक शख्स की पीट-पीटकर हत्या कर दी।