योगी सरकार में घूस नहीं दी तो निपटा दिये गये बहुउद्देशीय सचल पशु चिकित्सा सेवा योजना के चालक,50 हजार रूपये की मांग को चालकों ने कर लिया मोबाइल में रिकार्ड,मंत्री भी खामोश

बाराबंकी। बहुउद्देशीय सचल पशु चिकित्सा सेवा योजना के अन्तर्गत चिकित्सा केन्द्रों पर तैनात चालकों को इस बार केवल इसलिए चलता कर दिया गया क्योंकि उन्होंने इसके लिए घूस नहीं दी। इन चालकों से 30 से 50 हजार रूपये तक घूस मांगी गयी जिसे उन्होंने अपने मोबाइल में रिकार्ड भी कर लिया। वैसे तो इसकी शिकायत प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं अन्य वरिष्ठ जिला स्तरीय अधिकारियों से भी की गयी है लेकिन अभी तक इन्हें न्याय नहीं मिला है। जबकि सीधे तौर पर इस प्रकरण को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो चला है।
जानकारी के मुताबिक बाराबंकी जनपद में बहुउद्देशीय सचल पशु चिकित्सा योजना के अन्तर्गत चिकित्सा केन्द्रों पर चालकों की तैनाती वर्ष 2016 माह दिसम्बर में की गयी थी। इस योजना में चालकों की भर्ती पूर्व में एसएस इण्टरप्राइजेज कम्पनी रायबरेली के द्वारा की गयी थी। सनद हो कि इसी कम्पनी को चालकों की तैनाती का ठेका मिला था। विश्वस्त् सूत्र बताते हैं कि यह जो नियुक्ति हुई थी उनमें चालकों को यह बताया गया था कि तुम्हें संविदा पर विभागीय तौर पर भर्ती किया जा रहा है। कई चालकों ने बताया कि इसके लिए उन्हें 50 से 70 हजार रूपये तक की नियुक्ति के दौरान घूस देनी पड़ी थी। इस पूरे मामले में चालकों के द्वारा पूर्व में हैदरगढ़ में तैनात डाॅ0 एम0आई0 खान की विशेष भूमिका बताई गई है। चालकों ने मुख्यमंत्री को दिये गये शिकायती पत्र में साफ कहा है कि उन्होंने उस दौरान नौकरी दिलाने के नाम पर उपरोक्त वसूली की थी। खास बात यह है कि चालकों से कहा गया था कि उन्हें 12 हजार रूपये हर माह वेतन दिया जायेगा लेकिन उन्हें मिला मात्र प्रतिमाह 7600 रूपये का वेतन। दिलचस्प यह भी है कि अभी भी इन चालकों को पूर्व में की गयी सेवा का पूरा वेतन नहीं दिया गया है। जबकि दूसरी तरफ चिकित्सा सेवा योजना के अन्तर्गत एसएस इण्टरप्राइेजज कम्पनी रायबरेली का अनुबन्ध भी खत्म हो गया।
चिकित्सा केन्द्रों के चालकों का कहना है कि उन्हें मार्च 2018 से 18 जून तक का वेतन भी नहीं मिला और अनुबन्ध भी खत्म हो गया। इस दौरान एक दूसरी गाज चालकों पर तब और गिरी जब योजना में चालकों की नियुक्ति के लिए दूसरी कम्पनी मेसर्स अपार्टमेंट सिक्योरिटी सर्विसेज को अधिकार दिया गया। इस बार कान्ट्रैक्टर विवेक गुप्ता हैं। शिकायतकर्ता चालकों ने आरोप लगाया है कि उन्हें नौकरी पर बने रहने के लिए गुप्ता के द्वारा कई बार फोन किया गया। चालकों से कहा गया कि आप 30 से 50 हजार रूपये सुविधा शुल्क के दे जाओ अन्यथा नौकरी करना भूल जाओ। साफ है कि यह घूस न दे पाने के कारण चालकों को हटा दिया गया। यही नहीं चालकों ने बताया है कि कम्पनी के कर्ता-धर्ता ने स्पष्ट कहा कि हमारी पहुंच बहुत ऊपर तक है, शिकायत कहीं भी करो मेरा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता। चालकों ने यह भी दावा किया है कि घूस मांगने की बातचीत उनके मोबाइल में भी रिकार्ड है। हम लोगों ने 19 माह तक योजना में काम किया ऐसे में पहली एजेन्सी ने भी हमारा शोषण किया और अब दूसरी अनुबन्धित एजेंसी ने भी हमें जीने के अधिकार से भी वंचित कर दिया। चालकों ने कहा है कि इस पूरे भ्रष्टाचार की धुरी शहजहांपुर में तैनात मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डाॅ0 एम0आई0 खान हैं। पूरे मामले की जांच करवाकर दोषियों को दण्डित किया जाये तथा हमें हमारे पद स्थान पर नियुक्त किया जाये।

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