बाराबंकी में भी नदी में बह रही होती लाशें? योगी सरकार के फरिश्ता सिफ़ात के.के गुप्ता बने इंसानियत की पहचान,कोरोनॉ संक्रमित माता, पिता की लाशों को छोड़कर भाग गयी नालायक औलादो के कारनामो से इंसानियत को शर्मसार होने से बचाने के लिये,उन्हे अपनाकर करते रहे दाह संस्कार और सुपुर्दे खाक

Breaking News उत्तर प्रदेश ज़रा हटके बाराबंकी शख्सियत

तहलका टुडे टीम/तक़ी मुस्तफ़ा
बाराबंकी: कुछ लोगो का अपनी ज़िंदगी जीने का स्टाइल अलग होता है कुछ नया करने और लोगो की मदद के साथ पुण्य कमाने और ईश्वर को हर वक़्त हाज़िर नाज़िर जानकर इंसानियत की मदद करने का जज़्बा लोगो मे मक़बूल और इज़्ज़त का सबब बन जाता है उसी में से एक है बाराबंकी सीएमओ कार्यालय में तैनात सीनियर फाइलेरिया निरीक्षक के के गुप्ता जो आजकल अपनी सख्त ड्यूटी अंजाम देने के बाद एक नई जिम्मेदारी लिये हुए है जिनको अपनो ने छोड़ा उनका अपना बनाये हुए है वो भी मरने के बाद।

बाराबंकी में कोरोनॉ संक्रमण से मौत हो जाने के बाद परिजन अस्पतालों में अपने माँ बाप बहन भाई जैसे करीबी रिश्तेदारों की लाशें छोड़ कर फरार हो जाते है।ऐसे 29 मामले आ चुके है सामने,सिसक रही इंसानियत और तड़प रही उन अभागे माँ बाप भाई बहन की आत्मा को भाई बनकर बेटा बनकर उनकी शांति का सबब बनते है।

कोरोना बीमारी में पामाल हो रही इंसानियत को बाराबंकी का ये फरिश्ता सिफ़ात इंसान रूहों से दुआ पाकर अपने कर्मो का सुकूंन पाते है।के के गुप्ता अपने खर्च पर और कोरोनॉ नियमो के तहत अंतिम संस्कार करवाते है।

इतना ही नहीं इस भीषण महामारी में खुद के कोरोना संक्रमित होने के साथ पत्नी और बच्चे भी कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। पत्नी की हालत तो बेहद चिंताजनक बन गई थी। लेकिन अपने धर्मकार्य को निभाते हुए लावारिस शवों का दाह संस्कार करते रहे और परिवार सहित पॉजीटिव से कोरोना निगेटिव हो गए है।

शहर के आवास विकास काॅलोनी निवासी 45 वर्षीय केके गुप्ता बतातें हैं कि महामारी के दौर में ऐसे कई वाक़ये सामने आये है जिसमें कोई अपनी मां, भाई, पिता, चाचा को लोग लावारिस हालत में छोड़ कर भाग गए और उनका कोई पता नही चला।
ऐसे ही कुछ दिन पूर्व सुढ़ियामऊ क्षेत्र के 72 वर्षीय एक शख्स की कोविड संक्रमण से मेयो मेडिकल काॅलेज में मृत्यु हो गई और परिवार के लोगों ने काॅलेज के गेट पर ही शव को छोड़कर चलते बने कोविड में तैनात अधिकारी भी इस बदले दौर से हतप्रभ दिखे। कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था ।
फिर केके गुप्ता ने उस बुजुर्ग के शव का हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार कराया।
करीब 10 दिन पूर्व सफेदाबाद के एक परिवार के सभी लोग कोविड संक्रमित हो गए। 73 साल के वृद्ध व घर के मुखिया की सफेदाबाद के कोविड एल टू अस्पताल हिंद मेडिकल काॅलेज में मृत्यु हो गई। केके गुप्ता एम्बुलेंस से शव को शमशानघाट ले गए और धार्मिक रीति रिवाज से अंतिम संस्कार कराया।
ऐसे अब तक 6 मुस्लिम को मुस्लिम रीति रिवाज से सुपुर्दे खाक और 23 हिन्दू परिवारों के कोविड लावारिस शवों की अंत्योष्टि (अन्तिम संस्कार) कर चुके है।
केके गुप्ता का कहना है कि बीमारी में अपनों के छोड़ कर जाने वालों के शवों का अंतिम संस्कार कर पूण्य कमाते है जिससे उनको खुशी और सुकून मिलता है।

मालूम हो कि के के गुप्ता इससे पूर्व कई बोतल खून डोनेट कर चुके है गिनेस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपनी इस नायाब तोहफे से जल्द जगह बनाएगे,इंसानियत पर फिदा ऐसे नेक इंसानों की ईश्वर भी मदद करता है शोहरत इज़्ज़त के साथ सुकून का भी सबब बनता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *