विकास के दुश्मनों ने जैदपुर में फेंका जाति-धर्म का जाल?

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हर चुनाव में बढ़ा इस जाल का जंजाल! जैदपुर विधानसभा क्षेत्र की तरक्की का हुआ बुरा हाल?

सवाल है की जैदपुर की जनता दरबारी विधायक चुनेगी या फिर चुनेगी अपने क्षेत्र के लिए विकास की मजबूत दमदार आवाज !

फिलहाल जो सफल हुआ जाति धर्म के ठेकेदारों का अभियान? तो फिर विकास व विधायक को ढूंढते फिरेंगे जैदपुर वासी?

कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)

बाराबंकी। जैदपुर में जाति व धर्म के नाम का हौव्वा खड़ा करके आवाम का वोट ठगने वाले होशियार सरदारों ने जाल फेंकना शुरू कर दिया है! यदि जनता इसमें फिर फंसी तो उसे विधायक भले मिल जाए? लेकिन विधायक के साथ आवाम का सुख-दुख समझने वाला सच्चा हमदर्द नेता तो बिल्कुल नहीं मिलेगा? जाहिर है कि जाति – धर्म में उलझने के बाद विकास के मामले में जैदपुर पूर्व की तरह बस 5 साल तक झुनझुना बजाएगा? जी हां झुनझुना?

जैदपुर विधानसभा का जब से जन्म हुआ है। तब से लेकर आज तक यहां का विकास उस तरह नहीं हुआ जिस हिसाब से विकास की क्षेत्र को जरूरत थी? जो कुछेक कार्य हुए भी हैं? वह यहां के विशालतम क्षेत्र को देखते हुए ऊंट के मुंह में जीरा ही हैं। जन चर्चा एवं क्षेत्र का दौरा करने के बाद विकास के मामले में जो स्थिति उभर कर सामने आई है। उसका मुख्य कारण है कि इस क्षेत्र को अभी तक विधायक तो मिले हैं! लेकिन आम जनता को नजदीक से समझने वाला नेता नहीं मिला है? आज भी जैदपुर क्षेत्र शिक्षा एवं सड़कों तथा अन्य तमाम समस्याओं से घिरा हुआ है। भानमऊ से सलेमपुर जाने वाला सड़क मार्ग गड्ढों में खत्म हो गया है। यही नहीं अन्य सड़कों का भी यही हाल है। अन्य मुद्दों पर भी विकास की स्थिति यहां पर फिसड्डी है। चुनाव आता है। तब विकास के बड़े-बड़े दावे होते हैं। लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद लोग विधायक बन जाते हैं। और विकास पीछे चला जाता है!दुर्भाग्य तब और दिखता है जब विधायक बना व्यक्ति किसी न किसी सियासी आका के यहां दरबारी की भूमिका में नजर आता है? और जैदपुर की जनता अपने जनसेवक को ढूंढती रह जाती है?

राजनीतिक इतिहास

2012 विधानसभा चुनाव में इस सीट (Zaidpur Assembly Seat) पर पहली बार चुनाव हुआ. समाजवादी पार्टी ने रामगोपाल को अपना प्रत्याशी बनाया है तो बीएसपी ने वेद प्रकाश रावत को. वहीं चुनाव में समाजवादी पार्टी के रामगोपाल ने बसपा के वेद प्रकाश रावत को हराकर इस सीट पर अपनी जीत का खाता खोला. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी को 76869 मत मिले. जबकि बहुजन समाज पार्टी के वेद प्रकाश रावत को 53828 मत मिले. वही कांग्रेस के बैजनाथ रावत को 52010 मत मिले, वह तीसरे स्थान पर रहे. इस चुनाव में भाजपा के राम नरेश रावत चौथे स्थान पर थे.

2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रत्याशी उपेंद्र रावत चुनाव मैदान में थे. वहीं कांग्रेस ने पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया को इस सीट से उम्मीदवार बनाया. इस चुनाव में भाजपा के उपेंद्र रावत को एक 111064 में मत मिले. जबकि तनुज पुनिया 81883 वोट पाकर दूसरे स्थान पर थे. बसपा के उम्मीदवार कुमारी मीता गौतम को 48095 वोट मिले. वहीं सपा के राम गोपाल रावत को केवल 4383 मत मिले.

बाद में बाराबंकी लोकसभा सीट से उपेंद्र रावत भाजपा से सांसद चुन लिए गए जिसके चलते रिक्त हो गई. इस पर 2019 में ही उपचुनाव कराए गए. इस बार भाजपा ने अमरीश रावत को अपना प्रत्याशी बनाया तो वहीं सपा ने गौरव रावत को अपना प्रत्याशी बनाया. उपचुनाव भी खासा दिलचस्प रहा. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के गौरव रावत ने जीत दर्ज की. उन्होंने भाजपा के अमरीश रावत को 4509 वोटों से हराया. बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी अखिलेश आंबेडकर चौथे स्थान पर थे. इस उपचुनाव में सभी पार्टियों ने पूरी ताकत लगाई लेकिन जीत सपा को ही मिली.

इस तरह बाराबंकी की 6 विधानसभा सीटों में 2017 में जहां केवल एक सीट पर सपा को जीत मिली. वहीं अब उपचुनाव में इस विधानसभा सीट (Zaidpur Assembly Seat) पर भी सपा प्रत्याशी दोबारा जीतने में सफल हुए. बाराबंकी में 2 सीटों पर सपा का कब्जा हो गया है.

जातीय समीकरण

इस विधानसभा सीट पर यादव, कुर्मी रावत और मुसलमान जातियों के मतदाताओं की संख्या है. वहीं अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.
कुल मतदाता – 379754
पुरूष मतदाता – 201621
महिला मतदाता – 178118

जैदपुर में कई विधायक ऐसे भी चुने गए जिन्होंने विधायकी मिलने के बाद जनता की ओर झांका ही नहीं? ये विधायक बनने वाले महोदय विधान सभा में जैदपुर की आवाज को ढंग से उठा ही नहीं पाए? यही वजह है कि आज विकास के मामले में यह क्षेत्र जीरो पर खड़ा दिख रहा है?

क्षेत्र के कई बुद्धिजीवियों एवं गणमान्य जन तथा ग्रामीणों का कहना है कि यह दुर्भाग्य है कि हम जैदपुर विधानसभा में अभी तक पढ़ा- लिखा, सुयोग्य एवं विकास के मामले में लंबी सोच रखने वाला विधायक ही नहीं चुन पाए। यहां पर तो जाति एवं धर्म के नाम पर विधायक चुना जाता है? लोग भावना में बह जाते हैं और फिर 5 साल तक चुने गए विधायक को बस कोसते रहते हैं! जबकि विधायक के खास ठेका पटाते हैं ।तमाम जैदपुर वासियों का कहना है कि काश एक बार हम दल, जाति, मजहब से अलग हटकर अपना विधायक चुनते। जो कम से कम हमारे सुख-दुख में खड़ा होता। हमारा दर्द समझता। कई वरिष्ठ लोगों का कहना था कि अब विधायक तो मिल जाता है। लेकिन जनता को नेता नहीं मिलता। जरूरत इस बात की है कि हम विधायक के साथ अपना नेता भी बने।

चर्चा में यह भी सामने आया कि यहां पर कुछेक मुसलमान भाजपा जीत न जाए इस डर से एक दल के आंगन में आंखों पर पट्टी बांधे रहते हैं ?ऐसे मुस्लिमों का यही सोचना रहता है कि जो भाजपा को हराएगा हम उसी को जिताएंगे। लेकिन इस दौरान वे यह भूल जाते हैं! कि क्या उपरोक्त आपाधापी में चुना गया विधायक उनके साथ खड़ा होता है? क्या उनके सुख-दुख में आता है। साफ है कि मुस्लिम हमेशा वोट बैक बनते नजर आते हैं? उनके वोट ले लिए जाते हैं और उनका अपना जैदपुर तरक्की के मामले में पिछड़ेपन का शिकार हो जाता है।

वैसे इस समय जैदपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा से अम्बरीश रावत, सपा से गौरव रावत ,कांग्रेस से युवा नेता तनुज पुनिया और बसपा से उषा रावत तथा कई अन्य दलों के प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं। चर्चा में लोग कांग्रेसी प्रत्याशी तनुज पुनिया को बहुत ही अच्छा प्रत्याशी मानते हैं ।वह उन्हें पढ़ा-लिखा भी मानते हैं लोग यह भी कहते हैं कि उन्होंने चुनाव हारने के बाद भी जैदपुर की जनता का साथ ना छोड़ा ।जबकि जीतने के बाद तो कई लोग गायब ही रहे ? कई वरिष्ठ जनों का कहना है कि यहां पर जात धर्म के नाम पर वोट ले लिया जाता है और फिर जनता को छोड़ दिया जाता है अपने हाल पर आंसू बहाने के लिए ।फिलहाल चुनाव मतदान निकट है ।जाति एवं धर्म के होशियार ठेकेदार वोटरों के वोटों को ठगने के लिए अपना जाल फेंक रहे हैं। भाजपा जीत जाएगी इसलिए मुसलमानों को फलानी पार्टी को वोट करना चाहिए! यह ज्ञान दिया जा रहा है ?फलानी पार्टी में अपनी जाति के लोग ज्यादा है इसका भी ज्ञान उड़ेला जा रहा है ?काश जाति व धर्म के ठेकेदारों की जगह जागरूक लोग जैदपुर क्षेत्र के विकास के लिए जिम्मेदार बनकर वोटरों को समझाने आते ।उन्हें नई दिशा देने आते। तो स्थिति कुछ और होती। स्पष्ट है कि यदि जनता इस बार भी जाति धर्म में उलझी तो जैदपुर आने वाले 5 सालों तक फिर से बस केवल झुनझुना बजाता नजर आएगा ? जी हां जाति धर्म का झुनझुना? और विकास!बस लोग ढूंढते ही रह जाएंगे?

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