भारत सरकार ने देश के सामने हिजाब को लेकर अपना मंशा किया साफ, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की कार्यवाहक अध्यक्ष सैयद शहजादी ने हिजाब में आकर किया प्रेस कांफ्रेंस खिताब,हिजाब विवाद पर कही ये बड़ी बात,डर खौफ पैदा करने वालो में हड़कंप

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तहलका टुडे टीम

दिल्ली:हिजाब मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की कार्यवाहक अध्यक्ष सैयद शहजादी ने पत्रकारों से मुखातिब होकर कहा कि देश आपकी या मेरी भावनाओं पर नहीं चलता है। देश संविधान के आधार पर चलता है। अदालत ने आदेश जारी किया है और हमें इसका पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि यह अदालत का फैसला है और इसको स्वीकार किया जाना चाहिए,सभी को अदालत के आदेश का पालन करना चाहिए।

मोहतरमा शाहजादी ने आगे कहा आयोग का एक दल जल्द ही पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में उस स्थान का दौरा करेगा जहां पिछले दिनों हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी।
उन्होंने संवाददाताओं को यह भी बताया कि आयोग की ओर से राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर घटना की जानकारी मांगी जाएगी।
शहजादी ने कहा, ‘‘जल्द ही आयोग की एक टीम पश्चिम बंगाल के हिंसा प्रभावित इलाके का दौरा करेगी।’’

बताया जाता है कि बीरभूम हिंसा के पीड़ित अल्पसंख्यक समुदाय से थे।

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में रामपुरहाट के बोगतुई गांव में मंगलवार को तड़के करीब एक दर्जन मकानों में कथित तौर पर आग लगा देने से दो बच्चों समेत कुल आठ लोगों की जल जाने से मौत हो गयी।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की कार्यवाहक अध्यक्ष सैयद शहजादी ने शुक्रवार को कहा कि भगवत गीता कोई धार्मिक किताब नहीं है। उन्होंने कहा कि यह दर्शन शास्त्र पर आधारित किताब है। कुछ दिन पहले ही गुजरात सरकार ने गीता को स्कूल पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने का एलान किया था।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा था कि स्कूल पाठ्यक्रम में भगवत गीता को शामिल करने का फैसला विचार-विमर्श करने के बाद लिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि भगवत गीता सही मायनों में नैतिक मूल्यों की शिक्षा प्रदान करती है और भारतीय संस्कृति में इसका बहुत महत्व है।

गीता को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने के फैसले को लेकर शहजादी ने कहा कि मेरा निजी विचार यह है कि गीता कोई धार्मिक किताब नहीं है, यह दर्शन की पुस्तक है। उन्होंने कहा, ‘इसे दर्शन के नजरिए से देखा जा सकता है। इतना ही नहीं, इस पर विदेशों में भी अध्ययन किए जा रहे हैं।’

इस सवाल पर कि कुरान या अन्य धार्मिक किताबों को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया जा रहा है, शहजादी ने कहा कि हम किसी को रोक नहीं रहे हैं। हम चाहते हैं कि एक-दूसरे के धर्म के प्रति लोगों में सम्मान की भावना मजबूत हो। हम चाहते हैं कि सभी धर्मों की पुस्तकें उपलब्ध कराई जाएं।

शहजादी ने कहा, ‘मेरे निजी विचार में, हमने किसी से भगवत गीता या कुरान पढ़ने के लिए नहीं कहा है। कोई व्यक्ति क्या पढ़ना चाहता है यह उसकी इच्छा पर निर्भर करता है। हम गीता को दर्शन के नजरिए से देख सकते हैं, यह कुछ ऐसा है जो हमारे देश और इसकी पहचान से जुड़ा हुआ है।’

कौन है सैयद शहजादी

सैयद शहजादी ओसमानिया विश्वविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान में पोस्टग्रेजुएट अदिलाबाद की रहने वाली हैं। ओसमानिया विश्वविद्याल ज्वाइन करने के बाद वे वर्ष 2014 में हैदराबाद आ गई थी।

सैयद शहजादी कहती हैं, “2009 में एक अलग राज्य की मांग के लिए शुरू हुए आंदोलन के बाद से मैं छात्र राजनीति में सक्रिय हूं। मैं एबीवीपी का हिस्सा हूं। मुझे लगता है कि यह सबसे ज्यादा प्रगतिशील और लोकतांत्रिक छात्र संगठन है और उनके राष्ट्रवाद की भावना से मैं प्रभावित हूं। मैं एबीवीपी में कई पदों पर रह चुकी हूं।” 7 अक्टूबर 2018 भाजपा में शामिल होने से पहले सैयद एबीवीपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की सदस्य थी।

वे कहती हैं, “मुस्लिम भाजपा को हिन्दुओं के प्रति निष्ठावान पार्टी समझने की गलती करते हैं। मुझे लगता है कि यह एक सेक्यूलर और लोकतांत्रिक पार्टी है। जब मैं भाजपा में शामिल हुई, कई सारे मुसलमानों ने मुझे बधाई दी। यह वह पार्टी है जो एक मुस्लिम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनाने के लिए नामित करती है। मुख्तार अब्बास नकवी और सिकंदर भक्त जैसे नेता भाजपा के साथ हैं। मैंने महसूस किया कि करीब 4 प्रतिशत मुसलमानों ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट किया।”

सैयद मुस्लिम महिलाओं को कानूनी मदद के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। उनकी सहायता के लिए काम करती हैं। भाजपा नेतृत्व की नजर 2018 जुलाई में सैयद पर पड़ी, जब उन्होंने हैदराबाद में हिंदू सीर स्वामी परिपूर्णानंद को जिलाबदर करने के विरोध में बड़ी भीड़ इकट्ठा की थी। उन्होंने स्वामी को हैदराबाद पुलिस द्वारा जिलाबदर करने को लेकर कई बार तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की भी आलोचना की थी। दरअसल, रामायण के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर फिल्म आलोचक काठी महेश के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई थी, तो स्वामी ने आंदोलन शुरू करने की धमकी दी थी।

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