अमेरिका इजराइल को लगा झटका? सऊदी अरब ने दोस्ती का बढ़ाया हाथ तो ईरान ने तीन राजनयिकों को भेजा जद्दा, खाड़ी देशों के हालात बेहतर होते ही जन्नतुल बकी में रोजे की तामीर की करेगा पेशकश भारत का मित्र ईरान, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ सईद खतीबजादे की तहलका टुडे के एडिटर सैयद रिज़वान मुस्तफा से तेहरान में मुलाकात,

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समूह चित्र:

(तहलका टुडे इंटरनेशनल डेस्क)

ईरान/तेहरान -ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ सईद खतीबजादे ने कहा कि सऊदी अरब और ईरान के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित हो रहे हैं, जिसके तहत तीन राजनयिकों को जेद्दा स्थित इस्लामिक ऑपरेशन्स ऑर्गनाइजेशन स्थित ईरानी दूतावास में तैनात किया गया। जल्द ही रियाद में स्थित ईरानी दूतावास और जेद्दा में ईरानी वाणिज्य दूतावास में भी राजनयिकों को तैनात किया जाएगा और यही प्रक्रिया सऊदी अरब की और से की जा रही है।

बगदाद में इस संबंध में बातचीत हुई है जिसमें कई गलत फहमियां जो ईरान और सऊदी अरब के बीच थीं वह दूर हुई हैं ।
उन्होंने कहा कि जब किसी देश के साथ अच्छे, मैत्रीपूर्ण और भाईचारे के संबंध होते हैं तो अन्य बातों पर चर्चा की जा सकती है जबकि खराब स्थिति में किसी भी तरह की बात करना संभव नहीं है।

उन्होंने भारतीय पत्रकारों से बात करते हुए जन्नतुल बक़ी के निर्माण के संबंध में कहा कि पहले दोस्ताना रिश्ते ठीक हों तब हम आगे बात कर पेशकश तामीर की करेंगे,

श्री खतीबज़ादा ने आगे कहा की पिछले बीस वर्षों से ईरान और भारत सरकार के बीच हुए समझौते के तहत चाबहार बंदरगाह के विकास और प्रबंधन का जिम्मा भारत सरकार को सौंपा गया है। उन्हें उम्मीद है कि भारत सरकार चाह-बहार बंदरगाह का विस्तार करेगी, जिसे समझौते के अनुसार भारतीय प्रशासन को सौंप दिया गया था , ताकि भारत चाहबहार बंदरगाह से अपने व्यापार का संचालन कर सके। और मध्य एशिया के साथ अच्छे संबंध स्थापित किया जा सके

तेहरान में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतीबजादे में गुफ्तगू करते

उन्होंने पश्तून शरणार्थियों के संबंध में बात करते हुए कहा कि अफगानिस्तान 5000 शरणार्थी दैनिक रूप से ईरान पहुंच रहे हैं जिनके रहने की व्यवस्था ईरान सरकार कर रही है और यह संख्या अब तक लगभग 4 मिलियन तक पहुंच गई है।

मिस्टर खतीबजादा ने कहा की हमारी 900 किमी की सीमा अफगानिस्तान से मिलती है जिसके कारण हम तालिबान को नजरअंदाज नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि हमारा दूतावास अफगानिस्तान में है और वहां के विभिन्न शहरों में कौंसलेट ऑफिस खुले हुए हैं और एक पल के लिए ईरान और अफगानिस्तान के संबंधों में कोई अंतर नहीं आया है।
उनका कहना था कि तालिबान को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से,अपनी भूमि पर किसी भी आतंकवादी समूह को आश्रय, प्रशिक्षण देने से बचना चाहिए इसकी अतरिक्त हथियारों आदि सहित किसी प्रकार के अंतकवादियों के साथ संबंध नहीं होना चाहिए, और किसी भी देश के खिलाफ अफगान भूमि का उपयोग भी नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान एक विशेष विचारधारा के हैं और अधिकांश पखतूनों में तालिबान की विचारधारा नहीं है, यहां तक कि तालिबान पश्तूनों के बीच भी अल्पसंख्यक हैं।
हम दहशत गर्दी के खिलाफ है, तालिबानी अमेरिकी साजिश का नतीजा है।

हम अफगान लोगों को आवश्यक भोजन, दवा, पेट्रोल आदि उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं,।

उन्होंने बताया कि ईरान में आने वाले अफगानी शरणार्थी भी ईरानी नागरिकों की तरह यहां रह रहे हैं। उन्होंने कहा की अमरीका सद्दाम और तालिबान दोनो को सहायता देता रहा है। साथ ही, उन्होंने फिलिस्तीन के बारे में बात करते हुए कहा कि हैं मजलूम फिलिस्तीनियों के साथ हमेशा साथ खड़ी रहे हैं और इस नीति को बदलने का कोई इरादा नहीं है।

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