तहलका टुडे टीम
अयोध्या में इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के ट्रस्टी कैप्टन अफजाल अहमद खान का 80 साल की उम्र में निधन हो गया। सोमवार की देर रात उन्होंने लक्ष्मणपुरी कॉलोनी स्थित अपने आवास पर आखिरी सांस ली।उनके निधन की खबर से पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गयी,आफताबे शरीयत मौलाना कल्बे जवाद नक़वी,सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के चैयरमैन और ट्रस्ट के सचिव ज़ुफर फारूकी,सेव वक़्फ़ इंडिया के रिज़वान मुस्तफ़ा ने उनके परिजनों को पुरसा देने के साथ रंज और ग़म का इज़हार किया है।
नौ महीने पहले ही उन्हें अयोध्या मस्जिद ट्रस्ट का सदस्य बनाया गया था। तब से लेकर अब तक वह अयोध्या में भव्य मस्जिद निर्माण के लिए काम कर रहे थे। 21 दिन पहले ही उन्होंने मस्जिद का नक्शा अयोध्या डेवलपमेंट बोर्ड (ADA) को सौंपा था।
पाकिस्तान और चीन से युद्ध में शामिल थे
अफजाल अहमद खान आर्मी में कैप्टन थे। उन्होंने 1965 और 1971 की चीन और पाकिस्तान से हुई जंग भी लड़ी है। उनके साहस और शौर्य के लिए उन्हें सेना मेडल से भी सम्मानित किया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल ने भी उन्हें समाज रत्न राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था। उनके बेटे वरिष्ठ पत्रकार अरशद खान ने बताया कि वे सोमवार शाम तक बिल्कुल स्वस्थ्य थे। अचानक उनकी तबियत बिगड़ी और निधन हो गया।
मस्जिद के लिए कैप्टन साहब ने की थी खास प्लानिंग
5 एकड़ भूमि पर तैयार होने वाली मस्जिद में 300 बेड का सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनाने का कैप्टन अफजाल ने फैसला लिया था।
इसके अलावा मस्जिद परिसर में एक कम्युनिटी किचन होगा, जहां से हर रोज 1 हजार गरीबों को मुफ्त में खाना खिलाया जाएगा।
स्वतंत्रता सेनानी शहीद मौलवी अहमदुल्ला शाह के नाम से एक रिसर्च सेंटर और 2 हजार नमाजियों की क्षमता होगी।
मस्जिद निर्माण के लिए लोग खुलकर डोनेट करें इसके लिए कैप्टन अफजाल ने ही काफी मेहनत करके 80G के तहत छूट दिलाई थी।
25 मई को ही कैप्टन अफजाल ने ADA वीसी को अयोध्या में बनने वाली मस्जिद का नक्शा सौंपा था।
कैप्टन अफजाल ने ही अयोध्या के धन्नीपुर गांव में बनने वाली मस्जिद और अस्पातल परिसर का नाम स्वतंत्रता सेनानाी और क्रांतिकारी मौलवी अहमदुल्ला शाह फैजाबादी के नाम पर रखने का ऐलान किया था। अहमदुल्ला शाह फैजाबादी की मौत 164 साल पहले हुई थी।
कैप्टन अफजाल ने उस वक्त कहा था कि अहमदुल्ला शाह फैजाबादी ने 1857 की क्रांति के बाद अवध को ब्रिटिश हुकूमत से मुक्त करोने के लिए दो साल से अधिक समय तक स्वतंत्रता आंदोलन चलाया था। यही कारण है कि IICF ने धन्नीपुर गांव में बनने वाली मस्जिद, अस्पताल, संग्रहालय, अनुसंधान केंद्र और सामुदायिक रसोई सहित सभी योजनाओं को उन्हीं के नाम से शुरू करने का फैसला किया है।