नई दिल्ली । नासा द्वारा नए ग्रहों की खोज में इस्तेमाल किए गए गूगल के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सिस्टम को सार्वजनिक कर दिया गया है। अब इस तकनीक का प्रयोग कर अन्य वैज्ञानिक भी सौर मंडल के बाहर स्थित ग्रहों (एक्सोप्लैनेट) की खोज कर पाएंगे।
हाल में इस सिस्टम से एक न्यूरल नेटवर्क (दिमाग और तंत्रिका तंत्र को आधार में रखकर बनाया गया कंप्यूटर सिस्टम) तैयार किया गया था। इस नेटवर्क ने नासा के केपलर स्पेस टेलीस्कोप से जुटाए डाटा का अध्ययन कर केपलर-90-आई और केपलर-80 जी नामक दो नए ग्रहों को खोजने में सफलता हासिल की थी।
केपलर टेलीस्कोप में हजारों सिग्नल एकत्रित होते रहते हैं। वैज्ञानिक स्वचालित सॉफ्टवेयर की मदद से पता लगाते हैं कि कौन-सा सिग्नल ग्रहों से मिला है। ग्रह की खोज के लिए सिग्नल का एक-एक कर विश्लेषण किया जाता है। जटिल होने के साथ ही इस प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है। इसलिए गूगल ने एआई तकनीक को विकसित किया जो इन सिग्नलों की सटीक पहचान कर सके। एआई की प्रामाणिकता जांचने के लिए 15,000 सिग्नलों पर इसका इस्तेमाल किया गया था।