रायपुर । मुजफ्फरपुर बालिकागृह यौन शोषण मामले की तरह का एक मामला सन 2013 में छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में भी सामने आया था। कांकेर के एक गांव के सरकारी कन्या आश्रम में नाबालिग बच्चियों का यौन शोषण आश्रम के ही कर्मचारी कर रहे थे। आश्रम की अधीक्षिका उन्हें पूरा प्रश्रय देती थीं। कर्मचारहियों का सच तब सामने आया जब जनवरी 2013 में वहां की एक बच्ची के अभिभावक ने कलेक्टर को पत्र लिख कर इसकी शिकायत की।
जांच हुई तो 15 बच्चियां सामने आईं, जिनके साथ दुष्कर्म किया जाता रहा। इस मामले में शिकार बच्चियों की संख्या 15 से ज्यादा थी। यह सिलसिला कब से चल रहा था, किसी को नहीं पता। आश्रम में अन्य लोगों के अलावा स्थानीय नेताओं का भी आना-जाना था। मुद्दे पर प्रदेश में कांग्रेस और अन्य पार्टियों ने जमकर बवाल किया। विधानसभा में लगातार यही मुद्दा छाया रहा।
आखिरकार जांच में पांच लोगों को दोषी पाया गया और तीन को आजीवन कैद की सजा मिली। बाकी दो को एक से पांच साल की सजा सुनाई गई । फिलहाल केस छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में चल रहा है।
इस संवदेनशील प्रकरण में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पूरी गंभीरता के साथ लगातार सुनवाई की। जज ने इस घटना का शिकार हुई सभी बच्चियों को सात-सात लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है।
जनवरी में केस सामने आने के बाद अक्टूबर 2013 में इसका फैसला भी आ गया था। सरकारी कन्या आश्रम के चौकीदार दीनानाथ नागेश और शिक्षाकर्मी मन्नूराम गोटा पर ही आरोप लगा था। बच्चियों के बयान से पता चला कि दोनों शराब पीकर आते थे और आश्रम के हाल में ही किसी भी लड़की को शिकार बना देते थे। आश्रम परिसर में ही अधीक्षिका बबिता मरकाम रहती थी। आश्रम की बच्चियां आश्रम से निकाले जाने के डर से अपना मुंह नहीं खोल रही थीं।