हिंदुस्तान के शिया माज़ी के दौर में लौटे और लोगो के मददगार बने और इंसानियत के लिए काम आये:आयतुल्लाह अल्वी बोरोजर्दी

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हिंदुस्तान के शिया माज़ी के दौर में लौटे और लोगो के मददगार बने और इंसानियत के लिए काम आये:आयतुल्लाह अल्वी बोरोजर्दी

तहलका टुडे/रिज़वान मुस्तफ़ा
क़ुम(ईरान ): हरम मासूमा की मस्जिदे आज़म में मगरिबैन की नमाज पढ़ने का मौका मिला,नमाज़ के बाद पेश इमाम साहब पर नज़र पड़ी तो रूहानी ताकतों से नूरानी चेहरा इल्मी रौब देख कर दिल मुसाफा करने और दुआ पाने के लिए ललक पड़ा उठा आगे बढ़ा तो सिक्युरिटी और भीड़ में उन तक पहुँच नही पाया, बस लब पर दुआ थी इस रूहानी शख्सियत से मिलने की तमन्ना में और ये तमन्ना क़ुम से निकलते निकलते पूरी हो गयी।
मेरी मुलाकात मस्ज़िद आज़म के इंटरनेशनल अफ़ेयर्स में मौलाना ज़ीशान मेहदी नगरामी ने डायरेक्टर मौलाना नुसरत अली जाफरी साहब से कराई,मुलाक़ात के दौरान मेरे दिल की तमन्ना पूरी होने के रास्ते खुलने लगे ,मौलाना जाफरी साहब आयतुल्लाह उल उज़मा अल्वी बुरज़र्दी साहब के वकील है उन्होंने आग़ा से मिलने का वक़्त मुक़र्रर करवा दिया,और शाम 4:40 बजे उस शख्सियत से मुलाक़ात हुई जिससे मिलने के लिए मैं कई दिन से मासूमा के रौज़े पर दुआ कर रहा था,
वो शख्सियत ऐसी कि जिनके साये की बरकत ही एक इंसान को इल्मी लियाकत से भरपूर कर देती है, मेरी आँखों मे खुशी के आँसू आयतुल्लाह अल्वी बोरोजर्दी का मेरे सर पर शफ़क़त का हाथ था मुसाफ़े के बाद रूहानी सुकून और अपनापन का एहसास हुआ और फिर बात शुरू हो गयी हिंदुस्तान के इल्मी हालात की।


आयतुल्लाह अल्वी साहब फ़ारसी में बोल रहे थे तर्जुमा उर्दू में उनके वकील मौलाना नुसरत अली जाफरी साहब कर रहे थे मेरी बातों को फ़ारसी में उन तक पहुँचा रहे थे।
आपको बता दे आयतुल्लाह उल उज़मा अल्वी बोरोजर्दी दर्से इज्तेहाद में है इनकी तौज़ीहल मसाएल भी है मस्जिदें आज़म के मुतवल्ली है ,इमामे हसन अलैहिस्सलाम से इनका शजरा है।आयतुल्लाह ख़ुमैनी साहब के उस्ताद और मस्जिदें आज़म बनवाने वाले आयतुल्लाह उल उज़मा हुसैन बोरोजर्दी के पोते है। इनके नजफ़ ए अशरफ़ में भी हौज़ा है।

खास मुलाक़ात में उन्होंने हिंदुस्तान के लोगो के बारे में खासकर यूपी और लखनऊ के लोगो इल्मी जामियूल और मज़हबी उमूर और माली हालात तरक्की के बारे में पूछा।
दारुल उलूम नदवा और जदीद इल्मी के लिए इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के बारे में जानकारी हासिल की।
मज़हबी लिहाज से मदरसों के क्या हालात है सवाल पर बताने की ज़ियादा ज़रूरत नही पड़ी उन्हें वायज़ीन और सुल्तानुल मदारिस के हालात पहले से पता थे।

हकिमे उम्मत डॉ कल्बे सादिक़ के बाद इल्मी शख्सियत कौन है

उन्होंने कहा कि मैं हिंदुस्तान के लोगो से बेहद मोहब्बत करता हूँ,मैं चाहता हूँ हिंदुस्तान के शिया माज़ी के दौर में लौटे और लोगो के मददगार बने और इंसानियत के लिए काम आए।

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