कोरोना कहर से अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सैकड़ो बच्चे यतीम, 42लोगो में 20 प्रोफेसर व चेयरमैन की मौत,वाईस चांसलर तारिक मंसूर अभी तक महफ़ूज़,आप सबसे दुआओ की इल्तेजा

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तहलका टुडे टीम

तालीम के इदारे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर कोरोना की दूसरी लहर काल बनकर आई है। बीते 20 दिनों में 20 प्रोफसरों की मौत हो कोरोना व अन्य बीमारियों से मौत हो चुकी है। वहीं प्रोफेसर के अलावा एएमयू कर्मचारी व रिटायर्ड कर्मचारियों के मरने वालों की संख्या 40 के पार पहुंच गई है।सैकड़ो बच्चे इस कहर में यतीम हो गये है वही वाईस चांसलर तारिक मसूर अभी ख़ुदा का शुक्र है महफ़ूज़ है इस वबा के हमले से।

एएमयू के लिए कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। शिक्षाविद् सर सैयद अहमद खान ने 1875 में मोहम्मद एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की थी। जो 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बन गया। स्थापना के सन 1920 से लेकर आज तक एएमयू में इतना चिंताजनक दौर कभी नहीं आया, जब इतनी संख्या में वर्तमान प्रोफेसर, सेवानिवृत्त प्रोफेसर और अन्य कर्मचारियों का निधन हुआ हो।

एएमयू की इंतजामिया इस पर चिंता में है और साथ ही साथ एएमयू में शोक व्याप्त है। लगभग रोजाना ही एएमयू इंतजामिया किसी न किसी प्रोफेसर, रिटायर्ड प्रोफेसर व अन्य स्टाफ के निधन पर शोक व्यक्त कर रहा है। बीते 20 दिनों में अब तक एएमयू के 20 प्रोफेसरों का निधन हो चुका है। इनमें सेवानिवृत्त प्रोफेसर व अन्य कर्मचारी शामिल नहीं हैं। ऐसे लोगों को जोड़कर मरने वालों की संख्या 40 से अधिक बताई जा रही है।

एएमयू वीसी ने भाई को ‌वैश्विक महामारी में खोया
एएमयू के वीसी प्रो. तारिक मंसूर भी इस वैश्विक कोरोना महामारी में अपने भाई अहमद कमर फारुख को खो चुके हैं। उनके भाई ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से ही अपनी तालीम पूरी की थी। 1992 में बतौर यूनिवर्सिटी रिप्रजेंटेटिव ऑल इंडिया मुस्लिम एजुकेशन कान्फ्रेंस को लीड किया था। साथ ही वह ऑल इंडिया मुस्लिम एजुकेशन कमेटी के एक्जुकेटिव मेंबर भी रहे थे।

ऋग्वेद में पीएचडी करने वाले प्रोफेसर को भी खोया
एएमयू की हस्तियों में शामिल कई नाम अब इस दुनिया में नहीं रहे। इसमें से ही एक थे संस्कृत विभाग के पूर्व चेयरमैन प्रो. खालिद बिन यूसुफ। उनका भी बीते दिनों कोरोना संक्रमण के चलते निधन हो चुका है। प्रो. खालिद ने ऋग्वेद में पीएचडी की थी। रियलिटी शो इंडियाज गाट टैलेंट में इनकी इनकी दोनों बेटियां इला और इब्रा भी अलीगढ़ का नाम रोशन कर चुकीं है।

शुक्रवार को एएमयू के लॉ फैकल्टी के डीन प्रोफेसर शकील समदानी की मौत के बाद एएमयू के हालातों को लेकर चिंताएं और भी ज्यादा बढ़ गई हैं. एएमयू के लॉ फैकल्टी के डीन का कोरोना से संक्रमित होने के बाद से अलीगढ़ के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा था.
बता दें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कोरोना से पहली मौत पूर्व प्रॉक्टर और डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रोफेसर जमशेद अली सिद्दीकी की बीते 20 अप्रैल को हुई थी. ये सभी प्रोफेसर अलीगढ़ शहर में अलग-अलग जगह पर रहते थे.

सामाजिक सरोकार के लिए एक्टिव थे समदानी

प्रोफेसर शकील समदानी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी कमेटी के सदस्य थे. 10 दिन पूर्व उन्हें अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया था. बताया जा रहा है कि समदानी डायबिटीज और हाइपरटेंशन से पीड़ित थे. अचानक डायबिटीज का संतुलन बिगड़ने से उनकी मौत हो गई. लॉ फैकल्टी के डीन प्रोफेसर शकील समदानी सामाजिक सरोकार से जुड़ी गतिविधियों में भी एक्टिव रहते थे.
इनकी भी हुई मौत
इससे पहले शुक्रवार को चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर शादाब अहमद खान (58 साल) और कंप्यूटर विभाग के प्रोफेसर रफीकुल जमान खान (55 साल) की मौत हो गई थी. वहीं, उप कुलपति मंसूर के भाई उमर फारूक की भी कोरोना से मौत हो चुकी है. वे यूनिवर्सिटी कोर्ट के पूर्व सदस्य और मोहम्मदन एजुकेशनल कॉफ्रेंस के सदस्य थे. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में फैकल्टी मेंबर्स समेत 16 लोगों का इलाज चल रहा है.
इन फैकल्टी की हुई मौत
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में टीचर्स एसोसिएशन के पूर्व सचिव प्रो.आफताब आलम ने दुनिया छोड़ चुके इन शिक्षकों की सूची तैयार की है. इनमें प्रो. शकील समदानी, पूर्व प्रॉक्टर प्रो. जमशेद सिद्ददीकी, सुन्नी थियोलोजी डिपार्टमेंट के प्रो. एहसानउल्लाह फहद, उर्दू विभाग के प्रो. मौलाना बख्श अंसारी, पोस्ट हार्वेस्टिंग इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रो. मो. अली खान, राजनीतिक विज्ञान विभाग के प्रो. काजी, मोहम्‍मद जमशेद, मोलीजात विभाग के चेयरमैन प्रो. मो. यूनुस सिद्ददीकी, इलमुल अदविया विभाग के चेयरमैन गुफराम अहमद, मनोविज्ञान विभाग के चेयरमैन प्रो. साजिद अली खान, म्यूजियोलोजी विभाग के चेयरमैन डाॅ. मोहम्मद इरफान, सेंटर फोर वीमेंस स्टडीज के डाॅ. अजीज फैसल, यूनिवर्सिटी पालिटेक्निक के मोहम्मद सैयदुज्जमान, इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर जिबरैल, संस्कृत विभाग के पूर्व चेयरमैन प्रो. खालिद बिन यूसुफ और अंग्रेजी विभाग के डाॅ. मोहम्मद यूसुफ अंसारी आदि शामिल हैं.​​​​​​​
10 रिटायर्ड फैकल्टी की भी हुई मौत
वहीं, अब तक 10 रिटायर्ड फैकल्टी की भी मौत हो चुकी है. चार फैकल्टी ने कानपुर में दम तोड़ा है. प्रो. आफताब आलम ने कहा है कि यूनिवर्सिटी के लिए यह बहुत खराब दौर है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ जब विश्वविद्यालय से जुड़े इतने लोगों की मौत हुई हो.

एएमयू के लिए यह बेहद दु:खद समय है। बीते 20 दिनों में करीब 20 प्रोफेसर व 40 से ज़ियादा लोगो का निधन हो चुका है। लगभग रोजाना ही दुखद खबरें प्राप्त हो रही हैं। – शाफे किदवई, प्रवक्ता, एएमयू

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