संविधान में प्रदत्त बोलने के अधिकार का यह कतई तात्पर्य नहीं है कि दूसरे धर्म या समुदाय के खिलाफ बोला जाए और उसकी धार्म‍िक भावनाओं को ठेस पहुंचाई जाए-हाइकोर्ट,PFI के नदीम की जमानत किया खारिज,हिस्ट्रीशीटर लाला रंजीत और वक़्फ़ खोर वसीम रिज़वी के अल्लाह ,क़ुरआन और मुसलमानों पर आये वीडियो से धर्मिक भावनाओं को भड़काने के बयान पर शासन प्रशासन की सख्त निगाहें

Breaking News ज़रा हटके

तहलका टुडे टीम

लखनऊ,-इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीट ने अयोध्या में भगवान राम के मंदिर की आधारशिला रखने के खिलाफ बाराबंकी के कुर्सी इलाके में भाषण देते हुए धार्म‍िक भावनाएं भड़काने के आरोपित पीएफआइ के सक्रिय पदाधिकारी मोहम्मद नदीम की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है। अपने आदेश में जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने कहा कि संविधान में प्रदत्त बोलने के अधिकार का यह कतई तात्पर्य नहीं है कि दूसरे धर्म या समुदाय के खिलाफ बोला जाए और उसकी धार्म‍िक भावनाओं को ठेस पहुंचाई जाए।
इस आदेश के बाद से इस्लाम क़ुरआन मुसलमानों के खिलाफ जमकर बयान बाज़ी करने वाले बाराबंकी के हिस्ट्रीशीटर लाला रंजीत और वक़्फ़ खोर वसीम रिज़वी की बीते दिनों हुई बयान बाज़ी भी बाराबंकी और लखनऊ प्रशासन के अराजकतत्व रडार पर आ गये है,

यह आदेश अदालत ने मोहम्मद नदीम की ओर से दाखिल अग्रिम जमानत अर्जी पर पारित किया। अर्जी का विरोध करते हुए अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम राजेश कुमार सिंह ने कहा कि अभियुक्त के खिलाफ विवेचना के दौरान इस बात के पर्याप्त साक्ष्य आए हैं कि वह पीएफआइ का सक्रिय पदाधिकारी है और दूसरे धर्म के लोगों को भड़काने वाला भाषण दिया।
सिंह ने अदालत को यह भी बताया कि पहले भी अभियुक्त ने इस प्रकार का अपराध किया था। बता दें कि बाराबंकी की कुर्सी पुलिस ने अभियुक्त नदीम के खिलाफ धाॢमक भावनाएं भड़काने व राम मंदिर के खिलाफ अनापशनाप कहने के मामले में आइपीसी की धारा 153ए के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। इसी मामले में उसने अग्रिम जमानत अर्जी दी थी।

गौरतलब है क‍ि नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदेश के कई जिलों में दंगा और हिसक-प्रदर्शन हुआ था। लखनऊ में हिसा भड़काने में पॉपुलर फ्रंट इंडिया (पीएफआइ) संगठन का नाम सामने आया, जिसमें से दो सदस्य बाराबंकी के मूल निवासी थे। कुर्सी थाना के गौरहार मजरे बहरौली के नदीम को गिरफ्तार किया था। वह इस संगठन का कोषाध्यक्ष बताया जाता है। 15 अगस्त 2010 की पूर्व संध्या पर सफदरगंज के रामपुर गांव में पीएफआइ संगठन के पोस्टर चस्पा कर माहौल बिगाड़ने का काम किया गया था। इसमें पुलिस ने दस लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा किया था। वर्ष 2019 में मसौली और मोहम्मदपुरखाला के कुछ क्षेत्रों में फिर इस संगठन ने पोस्टर चस्पा कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की थी। बताया जाता है कि खुफिया तंत्र के जरिए पूरे जिले में इस संगठन का नेटवर्क खंगाला गया था। इसमें सफदरगंज, कुर्सी, मोहम्मदपुरखाला, मसौली, कोतवाली नगर, हैदरगढ़, रामनगर में करीब डेढ़ सौ से अधिक पीएफआइ सदस्य व पदाधिकारी चिन्हित हुए थे।

बाराबंकी में माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव का गुरु और नगर पालिका में अध्य्क्ष रहते हुए बड़ा घोटाला करने वाला हिस्ट्रीशीटर लाला रंजीत और लखनऊ में शिया वक़्फ़ बोर्ड का पूर्व चेयरमैन सीबीआई जांच समेत कई FIR में मुल्ज़िम चार्जशीटेड वक़्फ़ खोर वसीम रिज़वी अपने को बचाने के लिये अल्लाह क़ुरआन मुसलमान पर उल्टे सीधे बयान देकर धर्मिक भावनायें भड़काने के कई वीडियो मौजूद है।

लेकिन इन लोगो की हरकतों पर लगाम लगाने की कोई कार्यवाही नही हुई।

अब इस हाइ कोर्ट के आदेश के बाद सूत्रों के मुताबिक बाराबंकी और लखनऊ प्रशासन में सुगबुगाहट शुरू हो गई है,
शासन और डीजीपी कार्यालय में भी ऐसे अराजकतत्वों और माहौल खराब करने वालो के लिये सर्विलांस पर नज़र रख रही है।

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