बिगड़ी जीवनशैली से हो रही है गंभीर बीमारियां : शोध

देश सेहत

नई दिल्ली : अव्यवस्थित जीवनशैली से आज कई गंभीर बीमारियां घेर रही हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर ने देश की कुछ संस्थाओं के साथ मिलकर भारतीयों की सेहत पर एक अध्ययन किया है। इस सर्वे में प्रकाशित जीवनशैली से जुड़ी से जुड़ी पांच गैर- संचारी रोग को शामिल किया है।

जो भारत में हर साल होने वाली कुल मौतों का सबसे बड़ा कारण हैं। इन बीमारियों में हृदय से जुड़ी बीमारियां, जिनमें डायबिटीज, कैंसर और सांस से जुड़ी बीमारियां जैसे अस्थमा और फैफड़ों की दिक्कत शामिल है। 1990 की तुलना में 2016 तक ह्दय से जुड़ी बीमारियां के मरीज़ों की संख्या 50 प्रतिशत तक बढ़ गई है।

इन 26 वर्षों के दौरान डायबिटीज के मरीज़ों की संख्या 2 करोड़ 60 लाख से बढकर साढ़े 6 करोड़ हो गई। सांसों से जुड़ी बीमारियों के मरीज़ों की संख्या करीब 3 करोड़ से बढ़कर साढ़े 5 करोड़ हो गई। वर्ष 1990 की तुलना में 2016 में इन बीमारियों से होने वाली मौत की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।

हमारे देश में स्वास्थ्य के बारे में चर्चा करने पर अक्सर लोग ये कहते हैं कि एक दिन सबको मरना है। ऐसे लोगों को ये बात समझने की ज़रूरत है कि आपकी लापरवाही से होने वाली बीमारियां मौत की वजह नहीं होनी चाहिए। ये ऐसी बीमारियां हैं जो किसी इंसान को मौत से पहले कई बार मारती है।

इस सर्वे में बताया गया है कि हमारे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी लाइफ स्टाइल से होने वाली बीमारियों से बच नहीं पाए थे। वो हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित थे। उस समय ब्लड प्रेशर को कम करने वाली दवाइयां बहुत कम हुआ करती थीं। महात्मा गांधी ने अपने सात्विक जीवन से इस बीमारी को काबू में किया हुआ था।

लेकिन आजकल के ज़माने में सात्विक जीवन जीना बहुत मुश्किल काम समझा जाता है। दिल की बीमारियों से मरीज़ों की मौत की संख्या 15 प्रतिशत से बढ़कर 28 प्रतिशत हो गई कैंसर से हुई मौत के मामले भी 4 प्रतिशत से बढ़कर 8 प्रतिशत हो गये और सांसों से जुड़ी बीमारियों से मरने वालों की संख्या ढाई प्रतिशत से बढ़कर 4 प्रतिशत से ज़्यादा हो गये।

सांस से जुड़ी बीमारियों से जान गंवाने वाले मरीज़ों में से 55 प्रतिशत लोगों की मौत का कारण वायु प्रदूषण था जबकि 25 प्रतिशत लोगों की मौत की वजह तंबाकू का सेवन था। यानी अब तंबाकू से ज़्यादा जानलेवा हमारे आसपास की हवा है। लोग बिना सिगरेट पिए अपने फेफड़े ख़राब कर रहे हैं।

इस सर्वे में हृदय रोग और डायबिटीज का सबसे बड़ा कारण मोटापा बताया गया है। यानी हमारे देश के लोग अपने शरीर पर ध्यान नहीं देते हैं। उन्हें वर्कआउट करना एक बोझ लगता है। कुल मिलाकर इस सर्वे का सार ये है कि भारत अब इंफेक्शन की नहीं लाइफस्टाइल की चपेट में है।

यानी वो अपनी ही आदतों का गुलाम है। अब हम इंफेक्शन से नहीं, अपनी आदतों के शिकार होकर जान गंवा रहे हैं। चिंता की बात ये भी है हमारे देश में इन बीमारियों का इलाज करवाना बहुत मुश्किल काम है। आप देश के किसी भी बड़े सरकारी अस्पताल में चले जाइये वहां आपको इलाज के नाम पर लंबा इंतज़ार करना पड़ेगा।

अगर आप प्राइवेट अस्पताल में जाने की हैसियत रखते हैं तो वहां एक महंगा मेडिकल बिल आपका इंतज़ार कर रहा है। इसलिए हम आपसे बार-बार ये बात कहने की कोशिश कर रहे हैं कि यानी बीमारी से बचाव, उसके इलाज से बेहतर है।

सही जानकारी के ज़रिए जीवन शैली से होने बीमारियों से बचा जा सकता है। इसलिए अपनी जानकारी और सावधानी का दायरा बढ़ाइये और स्वस्थ रहिए।

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