सुप्रीम कोर्ट का शिया वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष वक़्फ़ खोर वसीम रिज़वी के मुहँ पर पड़ा तमाचा अयोध्या विवाद से जुड़ी सभी 6 याचिकाओं को किया खारिज

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वक़्फ़ खोर वसीम अपने को सीबीआई जांच से बचाने के लिए मंदिर बनवाने की बात कर गुमराह कर रहा था

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट का शिया वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष वक़्फ़ खोर वसीम रिज़वी की खुराफातो को तमाचा लगाते हुए बुधवार को अयोध्या विवाद से जुड़ी उन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया जो मुख्य पक्षकारों की तरफ से दायर नहीं की गई थीं। कोर्ट अब सिर्फ मुख्य पक्षकारों को ही सुनेगा। कोर्ट ने जिन याचिकाओं को खारिज किया है, उनमें बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी की वह याचिका भी शामिल है, जिसमें उन्होंने बाबरी मस्जिद-राम मंदिर संपत्ति विवाद में दखल की कोशिश की थी। हालांकि, पूजा के अधिकार का हवाला देते हुए दाखिल स्वामी की मूल याचिका को SC की अन्य बेंच सुनवाई करेगी।

अयोध्या मामले में तीन पक्षकार
1. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड
2. राम लला विराजमान
3. निर्मोही अखाड़ा

– इन तीन मुख्य पक्षकारों के अलावा एक दर्जन अन्य पक्षकार भी हैं। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवकों ने विवादित बाबरी ढांचे को ढहा दिया था।

लोकसभा चुनाव तक सुनवाई टालने की अपील की गई थी
– पिछली सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से इस केस की सुनवाई लोकसभा चुनाव तक टालने की मांग की थी।
– उन्होंने कहा, “कृपया होने वाले असर को ध्यान में रखकर इस मामले की सुनवाई कीजिए। कृपया इसकी सुनवाई जुलाई 2019 में की जाए, हम यकीन दिलाते हैं कि हम किसी भी तरह से इसे और आगे नहीं बढ़ने देंगे। केवल न्याय ही नहीं होना चाहिए, बल्कि ऐसा दिखना भी चाहिए।”
– इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “ये किस तरह की पेशकश है? आप कह रहे हैं जुलाई 2019। क्या इससे पहले मामले की सुनवाई नहीं हो सकती?”

पक्षकारों को 50 सुनवाई में फैसला आने की उम्मीद
– राम मंदिर के समर्थन में आए पक्षकारों का कहना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 90 सुनवाई में ही फैसला दे दिया था। पक्षकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट 50 सुनवाई में फैसला दे सकता है।
– हालांकि बाबरी मस्जिद से जुड़े पक्षकार ऐसा नहीं मानते। उनका कहना है कि केस में दस्तावेजों का अंबार हैं, उन सभी पर प्वाइंट टू प्वाइंट दलीलें रखी जाएंगी। हिंदू महासभा के वकील विष्णु शंकर जैन नेे बताया कि केस में 7 भाषाओं हिंदी, उर्दू, पाली, संस्कृत, अरबी आदि के ट्रांसलेटेड डॉक्युमेंट्स जमा हो चुके हैं।

HC ने विवादित जमीन 3 हिस्सों बांटने का दिया था ऑर्डर
– इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में विवादित 2.77 एकड़ जमीन 3 बराबर हिस्सों में बांटने का ऑर्डर दिया था। अदालत ने रामलला की मूर्ति वाली जगह रामलला विराजमान को दी। सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को और बाकी हिस्सा मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया था।

शिया बोर्ड का पछकार और प्रपोजल SC रिकॉर्ड में आया था ख़ारिज ?
– मुस्लिमों के एक गुट ने उत्तर प्रदेश के शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के बैनर तले कोर्ट में एक मसौदा पेश किया था। इस मसौदे के मुताबिक, विवादित जगह पर राम मंदिर बनाया जाए और मस्जिद लखनऊ में बनाई जाए। इस मस्जिद का नाम राजा या शासक के नाम पर रखने के बजाए मस्जिद-ए-अमन रखा जाए।इसको भी ख़ारिज कर दिया गया।

कोर्ट ने 7 लैंग्वेज में ट्रांसलेशन कराने को कहा था
– बता दें कि कोर्ट ने 11 अगस्त को 7 लैंग्वेज के डॉक्युमेंट्स का ट्रांसलेशन करवाने को कहा था। 6 दिसंबर को सुनवाई तय की थी, लेकिन उस वक्त तक ट्रांसलेशन का काम पूरा नहीं हो पाया था, इसलिए कोर्ट ने तारीख 8 फरवरी तक बढ़ा दी थी। तब कुल 19,590 पेज में से सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के हिस्से के 3,260 पेज जमा नहीं हुए थे।

अभी कितने जजों की बेंच सुनवाई कर रही है?
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा: 3 तलाक खत्म करने और सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने जैसे फैसले सुना चुके हैं।
जस्टिस अब्दुल नाजिर: तीन तलाक बेंच में थे। प्रथा में दखल गलत बताया था। प्राइवेसी को फंडामेंटल राइट करार दिया था।
जस्टिस अशोक भूषण: दिल्ली सरकार और एलजी के बीच जारी अधिकारों की जंग के विवाद पर सुनवाई कर रहे हैं।

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