इस्लामाबाद । पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व तानाशाह परवेज मुशर्रफ को वतन लौटने के लिए 14 जून यानी गुरुवार की दोपहर दो बजे तक का समय दिया है। शीर्ष अदालत के चीफ जस्टिस मिआन सादिक निसार ने कहा कि अगर पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ आदेश का पालन करने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
पाकिस्तानी न्यूज चैनल के मुताबिक सुनवाई के दौरान निसार ने टिप्पणी की कि यदि मुशर्रफ खुद को कमांडो मानते हैं,तो अदालत में हाजिर हों। आखिर वो पाकिस्तान वापस आने से डर क्यों रहे हैं? उन्होंने यह भी कहा कि अदालत में पेश होने तक उनकी गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। इससे पहले पाकिस्तान के केयरटेकर प्रधानमंत्री नासिरुल मुल्क के आदेश पर नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी मुशर्रफ के राष्ट्रीय पहचान पत्र को रद्द कर चुका है। पहचान पत्र रद्द होने से उनका पासपोर्ट भी रद्द हो गया और नागरिकता खत्म हो चुकी है। मुशर्रफ के खिलाफ यह कार्रवाई उस समय की गई, जब देश में अगले माह जुलाई में आम चुनाव हो रहे हैं। पहचान पत्र और पासपोर्ट रद्द होने के बाद से परवेज मुशर्रफ के पास उस देश में रहने का भी कानूनी हक खत्म हो गया है,जहां वो मौजूदा समय में रह रहे हैं।
बताया जा रहा है कि फिलहाल मुशर्रफ दुबई में हैं। राष्ट्रीय पहचान पत्र और पासपोर्ट रद्द होने के कारण दुबई में रहना गैर कानूनी हो गया है। मुशर्रफ 18 मार्च 2016 को चिकित्सा उपचार के लिए पाकिस्तान से दुबई गए थे,लेकिन फिर वापस नहीं लौटे। इसके बाद विशेष अदालत ने उन्हें भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया था और इसके साथ ही मामले में उनके पेश नहीं होने के कारण उनकी संपत्ति जब्त करने का आदेश भी दिया था।
पाकिस्तान की अदालत ने संघीय सरकार को यह आदेश भी दिया था कि मुशर्रफ के कम्प्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान पत्र और पासपोर्ट को निलंबित कर दे। मालूम हो कि 74 वर्षीय मुशर्रफ को वर्ष 2007 में देश में आपातकाल लगाने के लिए मार्च 2014 को राष्ट्रद्रोह के आरोपों में दोषी करार दिया गया था। पाकिस्तान में आपातकाल लगाने के बाद कई वरिष्ठ न्यायाधीशों को उनके घरों में नजरबंद कर दिया गया था और 100 से अधिक जजों को बर्खास्त कर दिया गया था। मुशर्रफ ने साल 1999 से 2008 तक पाकिस्तान पर शासन किया था। वो पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या सहित कई आपराधिक मामलों को लेकर पाकिस्तान में वांछित हैं।