मादक पदार्थों की तस्करी का नया केंद्र बना उत्तराखंड

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नई दिल्ली । पंजाब सरकार द्वारा मादक पदार्थों के तस्करों के खिलाफ की गई सख्ती के बाद अब उत्तराखंड मादक पदार्थों के कारोबारियों का नया केंद्र बन गया है। मादक पदार्थों की तस्करी के लिहाज से उत्तराखंड की स्थिति बेहद गंभीर है और देहरादून उसका केंद्र बन गया है।

एक अनुमान के मुताबिक इस शहर में नशे का सालाना कारोबार 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का हो गया है। इसके बावजूद उत्तराखंड सरकार नशे की समस्या को गंभीरता से नहीं ले रही है। राज्य की राजनीति में भी नशा कोई कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। इसका मतलब यही है कि इस मामले में उत्तराखंड पंजाब से भी आगे जाता दिखाई दे रहा है।

किसी जमाने में देहरादून नौकरशाहों से लेकर सेना के आला अधिकारियों तक के लिए रिटायरमेंट के बाद का पसंदीदा ठिकाना हुआ करता था। नहरों के साथ-साथ लीची और आम के बगीचों का यह शहर सन 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग हुए उत्तराखंड राज्य की अस्थाई राजधानी बना था। इसके बाद देहरादून की आबादी में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई। यहां बड़े पैमाने पर शैक्षणिक संस्थान खुल गए जिनमें देश भर से लाखों छात्र पहुंचने लगे।

भीड़ बढ़ने के चलते नशे का कारोबार भी बढ़ा है। बाहर से आने वाले लाखों छात्रों और मजदूरों के रूप में नशे के सौदागरों को ग्राहकों की बड़ी आबादी मिल गई है। बीते साल नशे के मामले में हुई गिरफ्तारियों के आंकड़े बताते हैं कि इस हिमालयी राज्य की राजधानी के लिए नशा बड़ी चुनौती बन गया है।

2017 में पुलिस ने 13 जिलों से 10 करोड़ से ज्यादा के मादक पदार्थ बरामद किए थे। इसमें से 70 फीसदी से ज्यादा देहरादून से बरामदगी की गई। इस दौरान 1091 लोगों की गिरफ्तारी हुई। इनमें से आधे से ज्यादा गिरफ्तारियां देहरादून में हुईं।

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