कानपुर में ज़ैनब डे,दिल्ली से आये मौलाना कल्बे रुशैद ने कहा इस्लाम मे सियासत के माने लोगो की ज़रूरत को पूरा करना

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कानपुर-मकतबे इमामिया मैदान जूही सफेद कालोनी में अन्जुमन मे मुबल्लिगुल ईमान के आयोजन में जनाबे जै़नब डे में बोलते हुए दिल्ली से आये इंटरनेशनल खतीब मौलाना कल्बे रुशैद ने कहा अपने आप मे आदमी जितना बड़ा होता हैं उतना ही बड़ा बयान होता हैं।इस्लाम के लिए हज़रत ज़ैनब का कॉन्ट्रिब्यूशन बहूत बड़ा हैं,ज़ालिम के दरबार मे सबसे पहले ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली हैं और बोलना सिखाने वाली हैं।

  • प्रोग्राम की शुरूआत तिलावते कलामे पाक से हुई जिसे लखनऊ से आये मौलाना साबिर अली इमरानी ने किया।मौलाना जनाब कल्बे रूशैद ने आगे कहा इस्लाम कहता है की सियासत के माने लोगो की ज़रूरत को पूरा करना ये अल्फ़ाज़ हिंदी में भी यही बोला जाता हैं।अब ज़िम्मेदार की जगह सियासत में मक्कार आ गए, उन्होंने मक्कारी कर ज़िम्मेदारों को हराना शुरू किया।जनाबे जैनब की जिन्दगी पर रौशनी डालते हुए बताया कि जनाबे जैनब हज़रत अली की बेटी तथा हज़रत इमाम हुसैन की बहन थी। उन्होने आगे कहा कि जनाबे ज़ैनब ने जुल्मों सितम उठाया मगर यज़ीद के आगे सर न झुकाया और इस्लाम को मिटने से बचाया, उन्होंने हमें सही वक्त पर हक़ और सच बोलने और ज़ालिम के खिलाफ हमेशा आवाज़ उठाने का पैगाम दिया।
    जिन वक्ताओं ने शिरकत की उसमें मुख्यता मौलाना अज़हर साहब (भोपाल), लखनऊ यूनिवरसिटी के उर्दू के हेड ऑफ दी डिपार्टमेंट प्रोफेसर डॉ अब्बास रज़ा नय्यर जलालपुरी ने कहा जनाबे ज़ैनब हर ज़माने की औरतों के लिए आइडियल हैं।जनाबे ज़ैनब रसूले ख़ुदा की नवासी ,हज़रत अली अ. और हज़रत फ़ातेमा ज़हरा स अ. की की बेटी थी,खानदाने रिसालत और खुद उनके किरदार ने उन्हें मिसाली ख़ातून बना दिया।
    मौलाना अली अब्बास छपरवीं, साहाब (बिहार) आदि ने जनाबे ज़ैनब की जिन्दगी पर रोशनी डाली। लखनऊ से आये शहर शायर असद नसीराबादी ने अपना कलाम पेश करते हुए कहा बेड़ी जो पिन्हाने लगें आवाज़ ये आयी,झुकना ही पड़ा ज़ुल्म को बीमार के आगे।
    इसके अलावा हसन कानपुरी ने भी कलाम पेश किया।
    सदारत, जनाब ज़ाहिर हुसैन आबदी व मौलाना आरिफ हुसैन साहब ने की। संचालन – जै़गम कानपुरी व इन्तिखाब आलम काजमी ने किया।
    अख्तर काज़मी, अली सईद जैदी, अली ज़हीर ज़ैदी,मंज़र रज़ा, नफीस अब्बास,मेराज ज़ैदी इत्यादि प्रोग्राम में मौजूद रहे।
    प्रोग्राम के अन्त में लंगरे हुसैनी का भी इन्तिज़ाम किया गया।

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