काबुल । इसे आतंकवाद का घिनौना चेहरा ही कहा जाएगा क्योंकि
अफगानिस्तान के पूर्वी शहर जलालाबाद में रविवार को एक आत्मघाती हमले में सिख समुदाय के कम से कम 13 लोगों के मारे जाने के बाद अब अल्पसंख्यक सिख यहां पर खौफ के साए में जी रहे हैं
और वे पड़ोसी देश भारत पलायन करने का विचार कर रहे हैं। आतंकी संगठन आईएसआईएस ने दावा किया है कि इस हमले में मारे गए लोगों में अक्टूबर में होने जा रहे संसदीय चुनाव का एक मात्र सिख उम्मीदवार अवतार सिंह खालसा और सिख समुदाय के जाने माने कार्यकर्ता रवैल सिंह शामिल हैं।
इस हमले में अपने चाचा की मौत के बाद 35 वर्षीय तेजवीर सिंह ने कहा कि मैं इस बात को लेकर बिल्कुल साफ हूं कि अब और यहां नहीं रह सकता हूं। हिन्दू और सिख नेशनल पैनल के सेक्रेटरी तेजवीर सिंह ने आगे कहा कि हमारे धार्मिक प्रथाओं के चलते इस्लामिक आतंकी हमें नहीं छोड़ेंगे। सरकार हमें मानती है लेकिन आतंकी हमें निशाना बनाते हैं क्योंकि हम मुस्लिम नहीं है।
सिंह ने कहा कि अफगानिस्तान में अब सिर्फ सिखों के 300 परिवार ही रह गए हैं और उनके लिए दो गुरूद्वारे हैं- एक जलालाबाद और दूसरा राजधानी काबुल में। हालांकि, पूरी तरह से मुस्लिम देश होने के बावजूद अफगानिस्तान में 1990 के सिविल वॉर से पहले करीब 2 लाख 50 हज़ार सिख और हिन्दू रहते थे। यहां तक की करीब एक दशक पहले अमेरिकी विदेश विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था अफगानिस्तान में करीब 3 हज़ार सिख और हिन्दू रहते हैं।