न्यूयॉर्क । असाध्य बीमारी के रूप में कुख्यात कैंसर के मरीजों के उपचार में वैज्ञानिकों की कोशिशों से आशा की किरण दिखाई दी है। कैंसर के मरीजों में शरीर द्रव्यमान सूचकांक यानी बॉडी मास इंडेक्स में कमी से निपटने में टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन से उपचार प्रभावी हो सकता है और इससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार भी हो सकता है।
एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है। कैंसर से जुड़ी करीब 20 फीसदी मौतें कैचेक्सिया सिंड्रोम की वजह से होती हैं जिसमें कैंसर मरीजों में अक्सर फैट और स्केलेटन की मांसपेशियों की तेज गति से क्षरण होता है। शोध का यह निष्कर्ष महत्वपूर्ण है,
क्योंकि वर्तमान में स्केलेटन की मांसपेशियों के नुकसान को ठीक करने के लिए कोई स्थापित थेरपी नहीं है। इससे मरीजों की मांसपेशी काम करना बंद कर देती या कमजोर हो जाती है। अमेरिका की टेक्सास विश्वविद्यालय की चिकित्सा शाखा की मेलिंडा श्ज़फील्ड-मूरे ने कहा
कि ‘हमें उम्मीद है कि कैंसर के ये मरीज जो अपने बिस्तर से उठ पाने में सहज महसूस नहीं करते वे कम से कम जीवन की मूल गुणवत्ता पाने में समर्थ होंगे, जिससे कि वे अपना ख्याल रख पाएंगे और इलाज प्राप्त कर सकेंगे।’ उन्होंने कहा कि पहले पोषण आधारित उपचार मरीजों के शरीर के वजन घटने से रोकने में विफल रहा।