अस्थमा की दवाई से याददाश्त हो सकती है ठीक

ज़रा हटके विदेश

न्यूर्याक। अस्थमा के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाई से अल्जाइमर के मरीजों की याददाश्त वापस लाई जा सकती है। बीटा-एमिलॉएड प्रोटीन की मात्रा में गड़बड़ी के बाद अल्जाइमर के मरीजों की स्मरण क्षमता कम होने का टाउ प्रोटीन दूसरा सबसे प्रमुख कारण माना जाता है।

अमेरिका के पेंसिलवेनिया स्थित टेंपल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है। अपने शोध के दौरान चूहों में असंतुलित मात्रा में टाउ प्रोटीन को प्रवेश कराया गया। इस प्रोटीन के स्तर में गड़बड़ी के कारण उम्र बढ़ने के साथ व्यक्ति की याददाश्त और याद करने की क्षमता कम होती जाती है। चूहों की उम्र 12 महीने हो जाने पर ‘जिलेउटन’ से उनका उपचार किया गया।

इस दवा का इस्तेमाल अस्थमा के इलाज में किया जाता है। जिलेउटन के कारण चूहों में ल्यूकोट्राइंस अणु की मात्रा 90 फीसद और अविलेय टाउ की मात्रा 50 फीसद तक कम हुई। इन दोनों के कारण ही दो न्यूरॉन को जोड़ने वाला सिनैप्सेस प्रभावित होता है, जिसका असर व्यक्ति की स्मरण क्षमता पर पड़ता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दवा के कारण चूहों की स्मरण क्षमता ठीक हुई। जल्द ही इसका प्रयोग मनुष्य पर किया जाएगा।

वहीं ऑटिज्म स्पेकट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) से पीड़ित बच्चों में फूड एलर्जी (खाने से होने वाली एलर्जी) का खतरा अन्य के मुकाबले दो गुना अधिक होता है। अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ आइओवा के शोधकर्ताओं ने इसका पता लगाने के लिए तीन से 17 साल के दो लाख बच्चों की जांच की। एएसडी से पीड़ित 11.25 फीसद बच्चों में फूड एलर्जी की शिकायत मिली जबकि अन्य बच्चों में केवल 4.25 फीसदी को ही इसकी शिकायत थी।

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