लखनऊ : महिलाओं में बढ़ती उम्र के साथ कई शारीरिक परिवर्तन होने लगते है इसके चलते कई तरह की समस्याएं और बीमारियां भी घेरने लगती हैं। 50 की उम्र के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन बनना बंद होने से महिलाओं को पुरुषों की तुलना में मोटापे, हृदय रोग, डायबिटिज जैसी समस्या ज्यादा होती हैं। अब इन समस्याओं को शुरू होने से पहले ही रोका जा सकेगा।
लखनऊ के केजीएमयू के फिजियॉलजी विभाग के डॉक्टरों के शोध में यह निष्कर्ष सामने आया है। केजीएमयू फिजियॉलजी विभाग के एक डाक्टर के मुताबिक 50 की उम्र के बाद के समय को मेनॉपॉज कहा जाता है।
इस उम्र में माहवारी बंद होने के साथ ही खून की कोशिकाओं को सामान्य बनाने में मददगार एस्ट्रोजन हार्मोन भी बनना बंद हो जाता है। ऐसे में कई बीमारियां होने का खतरा रहता है। हालांकि समय से जांच करवाने पर बीमारियों से बचा जा सकता है। इसके लिए महिलाओं को 45 से 50 की उम्र (पैरी मेनॉपॉज) में ब्लड जांच करवानी चाहिए।
डॉ. वानी के मुताबिक पैरी मेनॉपॉज के दौरान ही एडीपोनेक्टीन और लैपटीन नामक हार्मोंस में बदलाव होता। लैपटीन ज्यादा और एडीपोनेक्टीन कम होने पर एहतियात बरतना जरूरी हो जाता है। योगा के साथ ही खानपान में सजगता से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इन दोनों हार्मोंस में गड़बड़ी का पता खून से जांच से लगाया जा सकता है।
गड़बड़ी होने पर एस्ट्रोजन रिप्लेसमेंट थेरेपी से इलाज संभव है। हालांकि 50 की उम्र के बाद यह संभव नहीं है। यहां के चितित्सकों ने महिलाओं की बीमारियों और इलाज पर करीब छह साल तक शोध किया। इस दौरान 520 महिलाओं की जांच की गई। इसमें बाद बीमारियों को रोकने की थेरेपी सामने आई।