नेक हिदू धर्म के योद्धा शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी महाराज के निधन पर क्यों है नाचने वाली श्रीदेवी के अंतिम संस्कार पर फिदायीन जज़्बा रखने वाले मीडिया की खामोशी,बना चर्चा

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1 अरब हिन्दुओ के देश मे इंसानियत और नेक इंसान बनने का जज़्बा पैदा करने के लिए रात दिन एक करने वाले शंकरचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी महाराज के अंतिम दर्शन में अफसोस सिर्फ 1 लाख लोग पहुचे।

Pm मोदी,मंत्री मुख्तार अब्बास,और मौलाना इंक़लाबी,राहुल गांधी ने भी किया दुख व्यक्त

रिज़वान मुस्तफ़ा

कांचीपुरम: यहा देश के लिए अफसोस का मक़ाम हैं कि नाचने गाने वाली शराबी हिरोइन की मौत का गम ऐसा मनाया गया जैसे वो देश का गम हो। मीडिया ने भी अपनी  TRP बढ़ते देख खूब जलवा दिखाया और फिदायीन जज़्बा दिखाया,लेकिन अफसोस कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वती जिन्होंने हिन्दू  धर्म के प्रचार में कोई कमी नही की और इंसानियत और नेक बनकर ईश्वर के करीब आने का जज़्बा हिन्दुओ में पैदा किया। श्री राम चन्द्र जी के मंदिर निर्माण में आगे आकर उनके दिए गए पैगाम को आम जनमानस में घोलने के लिए आगे रहने वाले कि कवरेज में मीडिया ने कोई जज़्बा नही दिखाई दे रहा हैं, वही अरबो हिन्दुओ के सरताज के अंतिम संस्कार में रिपोर्टों के मुताबिक सिर्फ 1 लाख लोगों का पहुचना भी देश और समाज किस दिशा में जा रहा हैं ये भी दिखाई पड़ रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जयेंद्र सरस्वती के निधन पर दुख व्यक्त किया है. प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर लिखा कि शंकराचार्य हमेशा हमारे दिल में जिंदा रहेंगे. उन्होंने समाज के लिए काफी काम किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान शंकराचार्य के साथ अपनी पुरानी तस्वीरें भी साझा की.

प्रधानमंत्री के अलावा कई अन्य नेताओं ने भी शंकराचार्य के निधन पर दुख जताया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी उनके निधन पर ट्वीट कर दुख व्यक्त किया. बीजेपी नेता राम माधव ने ट्विटर पर लिखा कि जयेंद्र सरस्वती सुधारवादी संत थे, उन्होंने समाज के लिए काफी काम किए.अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और शिया ओलमा कौंसिल हिन्द के महामंत्री मौलाना इफ़्तिख़ार हुसैन इंक़लाबी ने भी दुख व्यक्त किया हैं।

आज उनकी समाधि हो रही हैं मठ परिसर में उनके पूर्ववर्ती श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती के समाधि स्थल के बगल में समाधि दी जाएगी. धार्मिक संस्कार सुबह सात बजे अभिषेकम के साथ शुरू हो गया है. अभिषेकम के बाद आरती की प्रक्रिया हुई. वहीं जयेंद्र सरस्वती के अंतिम विदाई में करीब 1 लाख लोगों ने उनके दर्शन किए. देश भर से वैदिक पंडित सभी चार वेदों से मंत्रों का उच्चारण करेंगे और एक विशेष पूजन भी किया जाएगा. बाद में शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के पार्थिव शरीर को मुख्य हॉल से निकालकर वृंदावन एनेक्सी ले जाया जाएगा जहां श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती को समाधि दी गई थी.

आखरी अभिवादन

बेंत की एक बड़ी टोकरी में शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के पार्थिव शरीर को बैठी हुई मुद्रा में डालकर सात फुट लंबे और सात फुट चौड़े गड्ढे में नीचे उतारा जाएगा. समाधि देने से जुड़ी व्यवस्था से जुड़े मठ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया, ‘‘समाधि देने के लिए गड्ढा तैयार है और पार्थिव शरीर को उसमें नीचे उतारकर उसके ऊपर शालिग्राम रखा गया हैं।

गड्ढे को जड़ी बूटी, नमक और चंदन की लकड़ी से भर दिया जाएगा. बाद में कबालमोक्षम किया जाएगा, जिसमें सिर पर नारियल रखकर उसे प्रतिकात्मक रूप से तोड़ा जाता है. समाधि संस्कार पूर्वाह्न ग्यारह बजे पूरा हो जाएगा. यहां मठ परिसर के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. तमिलनाडु के उप मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम, राज्य के शिक्षा मंत्री के ए सेंगोतैयां एवं अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को श्रद्धांजलि अर्पित की.

हिंदू धर्म के योद्धा
18 जुलाई 1935 को तमिलनाडु में जन्मे सुब्रमण्यम महादेव अय्यर को पूरा भारत शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती के नाम से जानता है. अपने ज्ञान और हिंदू धर्म के प्रति निष्ठा ने उन्हें हिंदू धर्म के योद्धा के रूप में स्थापित किया. बचपन से ही तेज बुद्धि और दूसरे बच्चों से कुछ अलग जयेंद्र कम उम्र में ही कांची मठ आ गए थे. धर्म के प्रति निष्ठा और वेदों के गहन ज्ञान को देखते हुए मात्र 19 वर्ष की उम्र में उन्हें 22 मार्च 1954 को दक्षिण भारत के तमिलनाडु के कांची कामकोटि पीठ का 69वां पीठाधिपति घोषित किया गया.

चारों वेद और उपनिषदों का ज्ञान अपने मस्तिष्क में समेटे स्वामी जयेंद्र सरस्वती के सानिध्य में जाने वाला शख्स उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता था. उन्हें सनातन धर्म के ध्वजवाहक, वेद-व्याख्या विभूति, ज्ञान का अकूत आगार और विनम्रता की जाग्रत पीठ के रूप में जाना जाता था.

पीठाधिपति घोषित किए जाने के बाद ही उनका नाम जयेंद्र सरस्वती पड़ा. उन्हें कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य स्वामी चंद्रशेखरन सरस्वती स्वामीगल ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. कांचीपुरम द्वारा स्थापित कांची मठ एक हिंदू मठ है, जो पांच पंचभूतस्थलों में से एक है. मठ द्वारा कई स्कूल और आंखों के अस्पताल चलाए जाते हैं.

 

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