राम मंदिर वहीं बने और मस्जिद अयोध्या, फैजाबाद के बाहर : इंद्रेश कुमार

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जयपुर । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और हिमालय परिवार के संरक्षक इंद्रेश कुमार का कहना है कि जिस तरह मक्का-मदीना और वेटिकन चर्च एक ही है, उसी तरह राम जन्मस्थान भी एक ही है। ऐसे में मंदिर वहीं बनना चाहिए और मस्जिद बनानी है तो वह अयोध्या, फैजाबाद से बाहर बने। मस्जिद भी बाबर के नाम पर न हो, बल्कि खुदा के नाम पर हो और सब मिलकर बनाएं।

हिमालय परिवार की ओर से रविवार को जयपुर में ‘रामजन्म स्थली का सच’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में इंद्रेश कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस जमीन के मालिकाना हक के बारे में सुनवाई जल्द पूरी कर फैसला सुनाना चाहिए। हमें लगता है कि यह फैसला हिंदुओं के पक्ष में ही आएगा। इस मामले को लेकर जनता में कोई विवाद न हो और लोग किसी बहकावे में न आए, इसके लिए हम पूरे देश में मुसलमानों से बात कर रहे हैं। ऐसी तीन-चार बैठकें हो चुकी हैं। दो दिन पहले लखनऊ में भी मुस्लिम स्कॉलर्स के साथ ऐसी बैठक हुई है और अभी सात-आठ बैठकें और करेंगे। इन बैठकों के जरिए रामजन्म भूमि के बारे में मुसलमानों और अन्य धर्मो के लोगों को स्थिति स्पष्ट की जा रही है, ताकि जब फैसला आए तो सभी मिलकर मंदिर भी बनाएं और मस्जिद भी बनाएं।

इंद्रेश कुमार ने कहा कि रामलला के स्थान पर हुई खुदाई में मुस्लिम धर्मस्थल होने के कोई अवशेषष नहीं मिले हैं। इस बारे में गठित कमेटी अपनी रिपोर्ट दे चुकी है और मुसलमानों ने तब कहा भी था कि खुदाई में अवशेषष नहीं मिले तो केस वापस ले लेंगे, इसलिए उन्हें केस वापस ले लेना चाहिए था। इंद्रेश कुमार ने कहा कि वैसे भी यह मस्जिद इस्लाम के खिलाफ है, क्योंकि इस्लाम में किसी व्यक्ति या शहंशाह के नाम पर मस्जिद हो ही नहीं सकती। मस्जिद सिर्फ खुदा के नाम पर हो सकती है। इसके अलावा मस्जिद के लिए दान में जमीन मिलना या जमीन का खरीदा जाना जरूरी है, लेकिन इसके बारे में ऐसे कोई प्रमाण नहीं मिलते हैं।

उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी भी देश में बाहरी लोगों को अपने इतिहास में शामिल नहीं किया जाता, लेकिन हम विदेशी आक्रांताओं को अपना इतिहास मानते हैं, जबकि उन्होंने हमें मकबरों के अलावा कुछ नहीं दिया। ताजमहल जैसे मकबरे तो बनवाए, लेकिन कोई बड़ा शिक्षण संस्थान, चिकित्सा संस्थान या उद्योग स्थापित नहीं किया, क्योंकि उन्हें सिर्फ यहां राज करना था। तीन तलाक के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि कुरान में तो एक तलाक को भी गलत माना गया है, तो जो तीन तलाक का समर्थन कर रहे हैं, वो इस्लाम को मानने वाले नहीं हो सकते।

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