मक्‍का मस्जिद धमाके में फैसला सुनाने के बाद जज ने दिया इस्‍तीफा

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हैदराबाद। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की विशेष अदालत ने वर्ष 2007 के मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में स्वामी असीमानंद समेत सभी पांच आरोपितों को बरी कर दिया है। सोमवार को फैसला सुनाते हुए विशेष जज रवींद्र रेड्डी ने कहा कि अभियोजन आरोपितों के खिलाफ मामला साबित करने में नाकाम रहा है। हालांकि, इसके कुछ देर बाद ही विशेष जज ने अपने पद से त्यागपत्र भी दे दिया। रेड्डी ने कहा कि उन्होंने निजी कारणों से इस्तीफा दिया है और इसका सोमवार के फैसले से कोई लेना-देना नहीं है।

अदालत ने असीमानंद, देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, भरत मोहनलाल रातेश्वर और राजेंद्र चौधरी को बरी कर दिया है। इन पर एनआइए ने शक्तिशाली विस्फोट करने का आरोप लगाया था। असीमानंद और भरत मोहनलाल रातेश्वर इस समय जमानत पर हैं, जबकि तीन अन्य इस समय न्यायिक हिरासत में केंद्रीय जेल में हैं।

मक्का मस्जिद में आठ मई, 2007 को जुमे की नमाज के दौरान एक बड़ा विस्फोट हुआ था। इसमें नौ लोगों की मौत हो गई थी और 58 अन्य जख्मी हो गए थे। इस मामले की सुनवाई के दौरान 54 गवाह बयान से मुकर गए थे। 11 साल पुराने इस मामले में विशेष जज ने दो मिनट में फैसला सुना दिया था।

असीमानंद के वकील जेपी शर्मा ने फैसले के बाद पत्रकारों को बताया, ‘अभियोजन मुकदमे का सामना करने वाले पांच आरोपितों के खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रहा। इसलिए कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया।’ मामले में शुरुआती जांच स्थानीय पुलिस ने की थी। इसके बाद केस सीबीआइ को सौंपी गई और अंतत: यह एनआइए को ट्रांसफर हुआ था। मामले की सुनवाई के दौरान कुल 226 गवाहों ने बयान दिया तथा 411 दस्तावेज पेश किए गए।

दो आरोपितों के खिलाफ जांच जारी
मामले में हिंदू दक्षिणपंथी संगठन से कथित तौर पर जुड़े 10 लोगों को आरोपित किया गया था। लेकिन इनमें सिर्फ पांच पर ही मुकदमा चला। दो अभियुक्त संदीप वी डांगे तथा रामचंद्र कलसांगरा फरार हैं, जबकि सुनील जोशी की हत्या हो चुकी है। दो अन्य के खिलाफ जांच जारी है।

फैसले के बाद हैदराबाद में अलर्ट
फैसले के बाद पुलिस ने हैदराबाद खासकर सांप्रदायिक तौर पर संवेदनशील पुराने शहर में अलर्ट जारी किया है। सुरक्षा इंतजामों के तहत तीन हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी और अर्धसैनिक बलों के जवान तैनात किए गए हैं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हालात पर नजर रख रहे हैं।

कोर्ट के फैसले पर सियासत तेज
कोर्ट के इस फैसले पर सियासत तेज हो गई है। भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने ‘भगवा आतंकवाद’ के नाम पर तुष्टीकरण के लिए हिंदुओं को बदनाम किया। इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और संप्रग प्रमुख सोनिया गांधी माफी मांगें। एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मामले की जांच पक्षपाती ढंग से हुई। न्याय नहीं हुआ है। कांग्रेस ने जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह ट्रायल कोर्ट का फैसला है। इसके आगे अपील की जा सकती है।

क्या है भगवा आतंकवाद
पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने अगस्त 2010 में पुलिस अधिकारियों के एक कांफ्रेंस में कहा था, ‘देश के कई बम धमाकों के पीछे भगवा आतंकवाद का हाथ है। भगवा आतंकवाद देश के लिए नई चुनौती बनकर उभर रहा है।’ चिदंबरम के इस बयान पर उस समय विपक्ष में रही भाजपा-शिवसेना ने पुरजोर विरोध किया था। तब संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के करीबी महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने चिदंबरम को जुबान संभालकर बोलने की नसीहत देते हुए कहा था कि आतंक का भगवा या हरा रंग नहीं होता। सिर्फ काला रंग होता है।

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