नई दिल्ली : एम्स और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने एक स्टडी के बाद दावा किया है कि लंबे समय तक मोबाइल फोन के इस्तेमाल से शरीर में बीमारियां पैदा करने वाले जैविक बदलाव हो सकते हैं।
2013 से दिल्ली-एनसीआर के 4500 लोगों पर की जा रही स्टडी के शुरुआती नतीजों के आधार पर कहा गया है कि ज्यादा मोबाइल फोन इस्तेमाल करने से सुनने और बच्चे पैदा करने की क्षमता पर असर पड़ता है। ध्यान में कमी के साथ हाइपरऐक्टिव होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
स्टडी में शामिल डॉक्टर कहते हैं कि यह तय है कि मोबाइल रेडिएशन का बुरा असर पड़ता है, इसलिए जहां तक संभव हो इसका कम से कम इस्तेमाल करें। एक साइंटिस्ट डॉक्टर की माने तो एम्स में चल रही इस स्टडी के अंतिम नतीजे आने में तीन-चार साल लगेंगे।
इसी के बाद हम बताने की स्थिति में होंगे कि मोबाइल रेडिएशन कितना खतरनाक है। ‘स्टडी के शुरुआती नतीजों में मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से लोगों के शरीर में बदलाव दिख रहे हैं। जो जितना ज्यादा मोबाइल प्रयोग कर रहा है, उसमें उतनी ही ज्यादा परेशानी दिख रही हैं। यह चिंता की बात है।
‘ हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही मोबाइल से कैंसर होने की बात कह चुका है, लेकिन ऐसा 10-15 साल तक मोबाइल फोन के इस्तेमाल से ही होता है।