अजमेर । छवि की उम्र अभी खेलने और खाने की थी पर उसने खुदकुशी कर ली और सुसाइट नोट लिखा कि वह जन्मदिन के दिन ही जाना चाहती थी। परिवार की लाड़ली के चले जाने से दादी, मां और परिवार के सदस्यों की आंख से आंसू नहीं सूख रहे हैं। हर आंख नम है। जी हां यह सब एक ऐसे खतरनाक खेल की परिणति है जो ब्लू व्हेल के बाद अब मोमो चैलेंज के रूप में देश में दस्तक दे रहा है।
राजस्थान के अजमेर जिले के ब्यावर में मोमो चैलेंज के चलते हुई मौत के मामले ने सनसनी फैला दी है। यहां मौत के खेल ने एक मासूम छात्रा की जान ले ली। दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली 15 साल की छवि ने अपने जन्मदिन के तीन दिन बाद ही 31 जुलाई को आत्महत्या कर ली थी।
छवि की मौत का कारण बना मोमो चैलेंज। मोबाइल की ब्राउजर हिस्ट्री, मोमो चैलेंज गेम के नियम और छवि के शरीर पर बने निशान साफ संकेत कर रहे हैं कि मौत की वजह यही जानलेवा खेल था। इस खतरनाक खेल का आखिरी टास्क भी मौत ही है। जन्मदिन के ठीक तीन दिन बाद इस मासूम ने अपने कमरे में लगे पंखे पर फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। सुसाइड नोट में इस बात को लिखा भी कि वह जन्मदिन के दिन ही जाना चाहती थी।
परिवार की लाड़ली के चले जाने से छोटा भाई अपनी बहन की तस्वीर को सीने से लगाए राखी के लिए पुकार रहा है। वहीं पिता अपनी बेटी को न्याय दिलाने और अन्य बेटे-बेटियों का जीवन बचाने के लिए रुंघे गले से न्याय की गुहार कर रहे हैं। खतरनाक खेल के शिकंजे में फंसी बेटी को खोने के बाद परिवार को उसके साथ पढ़ने वाली यह अन्य लड़कियों के साथ भी अनहोनी होने की आशंका है।
यह गेम सोशल साइट व्हाट्सएप के जरिए तेजी से फैल रहा है। ऐसे में कई लड़के-लड़कियां भी इस गेम की गिरफ्त में हो सकती हैं। अगर इस मामले की जांच की जाए तो कई खुलासे हो सकते हैं। अब पीड़ित परिवार दूसरी बेटियों को बचाने के लिए न्याय की गुहार लिए थाने के चक्कर लगा रहा है। मगर ब्यावर पुलिस अब भी इस मामले पर बोलने से कतरा रही है। जांच अधिकारी ओमप्रकाश ने सिर्फ इतना कहकर पल्ला झाड़ लिया कि पुलिस जांच कर रही है।