पहले मुर्गा लड़ाते थे, अब डिबेट कराते हैं -देखिये शबाहत हुसैन विजेता की कलम का तहलका

  वक्त बदलता है तो रीति-रिवाज बदलते हैं. रहन-सहन के तरीके बदलते हैं. खान-पान से लेकर पहनावे तक बदल जाते हैं. वक्त के साथ बदल जाने की फितरत अगर डेवलप नहीं हो पाती तो शायद समाज जहाँ का तहां रुक गया होता. रूखेपन की जगह इतनी चमक-दमक का शायद कोई ख़्वाब भी नहीं देख पाता. […]

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