नई दिल्ली : रेल मंत्रालय की ओर से रेलवे के सभी जोनों में मानव रहित क्रासिंगों को खत्म करने की अंतिम तिथि 30 सितम्बर रखी गई थी. ऐसे में रेलवे के कुछ जोनों ने जहां 30 सितम्बर तक क्रासिंग मुक्त होने की घोषणा की वहीं उत्तर रेलवे अब तक अपनी सभी मानव रहित क्रासिंग खत्म नहीं कर पाया है.
उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक विश्वेश चौबे ने बताया कि उत्तर रेलवे काफी बड़ा जोन है. उत्तर रेलवे में दिल्ली व अम्बाला मंडल मानव रहित क्रासिंग मुक्त घोषित हो चुकी हैं. जल्द ही बाकी मंडलों में भी काम पूरा कर लिया जाएगा.
महाप्रबंधक ने बताया कि उत्तर रेलवे में कुल 604 मानव रहित रेलवे क्रासिंग थी. इनमें से 486 मानव रहित रेलवे क्रासिंग खत्म की जा चुकी हैं. उन्होंने बताया कि अक्टूबर अंत तक बाकी बची रेलवे क्रासिंगों को भी खत्म कर लिया जाएगा.
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी की ओर से की गई समीक्षा बैठक में सामने आया कि सबसे अधिक मानव रहित रेलवे क्रासिंग अभी उत्तर रेलवे में बाकी हैं. हालांकि चार जोनल रेलवे ने मानव रहित क्रासिंगों को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है.
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में क्रासिंग पर हुए हादसे के बाद रेल मंत्री ने 30 सितम्बर तक सभी रेलवे क्रासिंगों को खत्म करने के निर्देश दिए थे. इसमें 13 बच्चों की स्कूल जाते समय जान गई थी. भारतीय रेलवे में जुलाई 2018 तक कुल 2869 मानव रहित क्रासिंग थीं.
अब तक जिन क्रासिंगों को खत्म नहीं किया जा सका है उसके पीछे सबसे बड़ा कारण इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है. रेलवे की ओर से बड़े पैमाने पर ओवर हेड ब्रिज, अंडर पास व मानव रहित क्रासिंगों पर प्रशिक्षित कर्मियों को तैनात कर इन क्रासिंगों को खत्म किया जा रहा है. रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार बिजी रूटों पर क्रासिंगों को पूरी तरह से खत्म किया जा चुका है.
अब तक जो मानव रहित क्रासिंगें बाकी हैं वो ऐसे रूटों पर हैं जिन पर रेलगाड़ियों की रफ्तार कम रहती है. रेलवे क्रासिंगों को खत्म करने के लिए रेलवे की ओर से वर्ष 2017-18 में बनाए गए रेल संरक्षा कोष का प्रयोग किया जा रहा है. इस कोष में 1 लाख करोड़ की राशि रखी गई थी
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