नई दिल्ली: कुछ दिन पहले तक अपनी गरीबी और संघर्ष के लिए चर्चा में रहने वाले यशस्वी जायसवाल ने आखिरकार अब अपने खेल से पहचान बना ली है. उन्होंने अंडर-19 एशिया कप में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए ‘मैन ऑफ द टूर्नामेंट’ का जीत लिया है.
यशस्वी ने इस टूर्नामेंट के 4 मैच में 318 रन बनाए. वे एशिया कप खेलकर सोमवार को स्वदेश लौटे, जहां कोच ज्वाला सिंह समेत कई लोग उनके स्वागत के लिए मौजूद थे.
भारत ने रविवार को श्रीलंका को हराकर अंडर-19 एशिया कप जीता. ओपनर यशस्वी ने मैच मे सबसे अधिक 85 रन बनाए. वे टूर्नामेंट में एकमात्र बल्लेबाज रहे, जिसने 200 से अधिक रन बनाए. यशस्वी इससे पहले जुलाई में तब चर्चा में आए थे,
जब उन्हें सचिन तेंदुलकर ने घर बुलाकर बैट गिफ्ट किया था. सचिन को यशस्वी के बारे में बेटे अर्जुन से पता चला था. अर्जुन और यशस्वी जुलाई में श्रीलंका का दौरा करने वाले अंडर-19 टीम में शामिल थे.
क्रिकेटर बनने के लिए यूपी से मुंबई पहुंचे यशस्वी
यूपी के यशस्वी जायसवाल की कहानी संघर्ष से भरी पड़ी है. वे क्रिकेटर बनना चाहते थे, लेकिन भदोही में छोटी सी दुकान चलाने वाले पिता के पास कोचिंग कराने के पैसे नहीं थे. इसके बाद यशस्वी 10-11 साल की उम्र में मुंबई आ गए,
जहां उनके चाचा रहते थे. चाचा की माली हालत भी ऐसी ना थी कि वे उसे कोचिंग करवा पाते. चाचा के कहने पर मुस्लिम यूनाइटेड क्लब ने यशस्वी को अपने टेंट में रहने की अनुमति दे दी, जहां कुछ और बच्चे रहते थे.
नई दिल्ली: कुछ दिन पहले तक अपनी गरीबी और संघर्ष के लिए चर्चा में रहने वाले यशस्वी जायसवाल ने आखिरकार अब अपने खेल से पहचान बना ली है. उन्होंने अंडर-19 एशिया कप में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए ‘मैन ऑफ द टूर्नामेंट’ का जीत लिया है.
यशस्वी ने इस टूर्नामेंट के 4 मैच में 318 रन बनाए. वे एशिया कप खेलकर सोमवार को स्वदेश लौटे, जहां कोच ज्वाला सिंह समेत कई लोग उनके स्वागत के लिए मौजूद थे.
भारत ने रविवार को श्रीलंका को हराकर अंडर-19 एशिया कप जीता. ओपनर यशस्वी ने मैच मे सबसे अधिक 85 रन बनाए. वे टूर्नामेंट में एकमात्र बल्लेबाज रहे, जिसने 200 से अधिक रन बनाए.
यशस्वी इससे पहले जुलाई में तब चर्चा में आए थे, जब उन्हें सचिन तेंदुलकर ने घर बुलाकर बैट गिफ्ट किया था. सचिन को यशस्वी के बारे में बेटे अर्जुन से पता चला था. अर्जुन और यशस्वी जुलाई में श्रीलंका का दौरा करने वाले अंडर-19 टीम में शामिल थे.
क्रिकेटर बनने के लिए यूपी से मुंबई पहुंचे यशस्वी
यूपी के यशस्वी जायसवाल की कहानी संघर्ष से भरी पड़ी है. वे क्रिकेटर बनना चाहते थे, लेकिन भदोही में छोटी सी दुकान चलाने वाले पिता के पास कोचिंग कराने के पैसे नहीं थे. इसके बाद यशस्वी 10-11 साल की उम्र में मुंबई आ गए, जहां उनके चाचा रहते थे.
चाचा की माली हालत भी ऐसी ना थी कि वे उसे कोचिंग करवा पाते. चाचा के कहने पर मुस्लिम यूनाइटेड क्लब ने यशस्वी को अपने टेंट में रहने की अनुमति दे दी, जहां कुछ और बच्चे रहते थे.
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