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पाटेश्वरी प्रसाद
छः दशक से अधिक समय तक सत्ता के केंद्र में रही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपनी खोई हुई सियासी जमीन तलाश रही है। 2024 में होने वाले आम चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपनी कमर कस ली है। कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर दलितों को साधने के लिए केंद्र और राज्य में दलित नेतृत्व को उभारा है। कभी दलित, मुसलमान और ब्राह्मण कांग्रेस के सत्ता की चाबी हुआ करती थी। लेकिन कुछ सालों में उभरे क्षेत्रीय दलो ने कांग्रेस के इस मिथक को तोड़ा है। जिसका भारी नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ रहा है।
पिछले कुछ सालों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मुँह की खानी पड़ी। वहीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का औसत प्रदर्शन ही रहा। 2014 में बीजेपी की अप्रत्याशित बढ़त के बाद कांग्रेस का ग्राफ दिन प्रतिदिन घट रहा है। अब स्थिति यह है कि लगातार घटते जनादेश ने सियासत में उनके बढ़ते कदम को रोक दिया है। ऐसे में सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस नए प्रयोग कर रही है। जिसका पहला प्रयोग केंद्र और उत्तर प्रदेश में दलित नेतृत्व होगा। जिसके जरिये दलितों को एक बार फिर कांग्रेस की मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद दलित नेतृत्व करेगा।
बताते चले कि बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ऐसा मानती रही हैं कि दलित वोटों पर उनका सबसे ज्यादा प्रभाव है। वहीं बसपा नेताओं का मानना है कि मायावती अपने काम की वजह से इस दबे-कुचले वर्ग में राजनीतिक उत्कर्ष का प्रतीक बनी हुई हैं। इसीलिए उनकी एक आवाज पर दलित गोलबंद हो जाते हैं। लेकिन समय-समय पर ये भी सवाल उठता रहा है कि क्या दलित वोटों पर सिर्फ मायावती का ही एकाधिकार है या फिर कोई और ऐसा नहीं है जिस पर दलित भरोसा कर पाएं?
बहरहाल, भाजपा ने इस मिथक को तोड़ने की कोशिश हाल में हुए विधानसभा चुनाव में की है। जिसे अंजाम तक पहुंचाने की योजना कांग्रेस ने बनाई है। जिसकी शुरुआत उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से की है। केंद्र में दिग्गज दलित नेता मल्लिकार्जुन खरगे और उत्तर प्रदेश में बसपा कैडर के पूर्व दलित नेता बृजलाल खाबरी को इस योजना का सूत्रधार बनाया है। वहीं सूबे के ही नहीं बल्कि देश के कद्दावर दलित नेता डॉ Pl Punia को मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्रीय स्क्रीनिंग समिति में शामिल करके शीर्ष नेतृत्व को इस बात का भरोसा दिलाया है कि दलितों के लिए पुनिया ट्रम्प कार्ड हो सकते है।
पुनिया ने बतौर सांसद और अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए दलित समाज को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया है। ब्यूरोक्रेसी में रहते हुए बसपा प्रमुख मायावती के बेहद करीबी माने जाने वाले पी.एल पुनिया सेवानिवृत्त होते ही कांग्रेस से जुड़ गए। उनका मानना है कि मायावती बहुजन मूवमेंट को आगे बढ़ाने के बजाए खुद को बढ़ाने में ज्यादा विश्वास रखती है। डॉ अम्बेडकर के मिशन की आड़ में उन्होंने दलितों को धोखा देकर उनके मताधिकार पर उपयोग सिर्फ सत्ता हस्तांतरण के लिए किया। जबकि कांग्रेस ने हमेशा दलितों को बराबरी और समानता का अधिकार दिया है।
लगभग दो दशकों से डॉ पी. एल पुनिया सक्रिय राजनीति में है। उन्होंने बाराबंकी ही नही बल्कि उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बिखर चुकी कांग्रेस को सहेजते हुए बूथ स्तर पर मजबूत किया है। यह उन्हीं के प्रयास से संभव हो पाया है कि कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है। पदाधिकारी और कार्यकर्ता सिर्फ लक्ष्य की ओर अग्रसर होकर काम कर रहे है। डॉ पुनिया अपने सरल स्वभाव, मिलनसार व्यक्तित्व की वजह से पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच बेहद लोकप्रिय माने जाते है। पुनिया की गिनती एक विलक्षण राजनेता, योग्य प्रशासक, संविधान के ज्ञाता और श्रेष्ठ अध्येता के रूप में की जाती है। उनका कद किसी भी राजनेता से ज्यादा बड़ा है जिसे उन्होंने बार-बार साबित भी किया है।
डॉ पुनिया को इस बात का श्रेय मिलना चाहिए कि वह ऐसे समय में छत्तीसगढ़ के प्रभारी बने जब देश की राजनीति करवट ले रही थी। भाजपा का वर्चस्व बढ़ता जा रहा था और कांग्रेस-युग की समाप्ति हो रही थी। ऐसे में लगभग डेढ़ दशक तक छत्तीसगढ़ की सियासत पर काबिज़ रहे भारतीय जनता पार्टी को पुनिया की रणनीति कांग्रेस के काम आयी। और छत्तीसगढ़ में एक बार फिर कांग्रेस का परचम लहराया।
यूपीए सरकार के अंतिम दो साल राजनीतिक संकट से भरे थे। सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे, अर्थव्यवस्था ढलान पर उतर गई थी और सत्तारूढ़ दल नेतृत्व विहीन नजर आने लगा था। वहीं यूपीए सरकार के जाने के बाद एक ताकतवर राजनेता प्रधानमंत्री के रूप में दिल्ली आया तो राजनीति में जबर्दस्त बदलाव की लहरें उठने लगीं। ऐसे में श्री पुनिया ने अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पद पर रहते हुए जिस संयम और धैर्य के साथ काम किया, वह कम महत्वपूर्ण नहीं है। अपने पूरे कार्यकाल में उन्होंने ऐसा कोई फैसला नहीं किया, जिससे उन्हें विवादास्पद कहा जाए। यह एक परिपक्व राजनेता का गुण है।
डॉ पुनिया हमेशा अत्यंत संतुलित, सुलझे हुए राजनेता साबित हुए है। संसदीय व्यवस्था के अनुभवों का पूरा इस्तेमाल करते हुए उन्होंने हर मौके पर वही किया, जिसकी एक राजपुरुष यानी स्टेट्समैन से अपेक्षा की जाती है। श्री पुनिया के समर्पण, संघर्ष और परिश्रम को कांग्रेस पार्टी की हाईकमान ने हमेशा तरज़ीह दी है। इस बार भी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने उनकी क्षमता और योग्यता को विशेषता देते हुए कांग्रेस स्टीयरिंग कमेटी में बतौर सदस्य के रूप में शामिल किया है। जिसमें देशभर के सिर्फ 47 लोग ही इस समिति के सदस्य बनाए गए है। इस समिति में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी एवं पी. एल पुनिया सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता समिति के सदस्य के रूप में शामिल हैं।
डॉ पुनिया का राजनीतिक अनुभव जरूर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के काम आएगा। जो साबित करेगा कि आने वाले समय मे कांग्रेस का होगा। डॉ पुनिया बूथ मैनेजमेंट करके अपनी नेतृत्व क्षमता, राजनीतिक कौशल और एक बेहद कुशल संगठन शिल्पी होने का परिचय देते हुए लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित होंगे। बहरहाल, इस समय भी सत्ता पक्ष के पास कांग्रेस की चुनावी रणनीतियों का कोई तोड़ नहीं है।
पुनिया जी को इस विशेष उपलब्धि के लिए बधाई। बाराबंकी से उनका आत्मीय लगाव और उनकी समर्पित कार्यशैली को लोगों ने काफी सराहा है।
]]>खरगे की अध्यक्षता में अंतरिम पैनल तब तक के लिए कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की जगह लेगा, जब तक कि पार्टी के पूर्ण सत्र में खरगे के निर्वाचन की पुष्टि के बाद एक नई सीडब्ल्यूसी नहीं बनती। खरगे द्वारा गठित संचालन समिति में प्रियंका गांधी, एके एंटनी, अंबिका सोनी, आनंद शर्मा, केसी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला,पी एल पुनिया भी शामिल हैं।
पिछली सीडब्ल्यूसी के अधिकतर सदस्यों को समिति में बरकरार रखा गया है, जिसकी घोषणा खरगे के कांग्रेस के नए अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के कुछ घंटों बाद की गई। कांग्रेस महासचिव (संगठन) से मिली सूचना के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संविधान के अनुच्छेद 15 (बी) के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष ने संचालन समिति का गठन किया है, जो कांग्रेस कार्य समिति के स्थान पर कार्य करेगी।
सीडब्ल्यूसी कांग्रेस का निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय है और संचालन समिति अब पार्टी के पूर्ण सत्र में खरगे के निर्वाचन की पुष्टि तक सभी निर्णय लेगी। सत्र अगले साल मार्च में होने की संभावना है।
]]>लखनऊ-बंदरो की तरह ऊधम मचाने में माहिर कांग्रेस अध्य्क्ष अजय लल्लू और BSP के गद्दार नसीमुद्दीन सिद्दीकी की मिलीभगत से कांग्रेस की डूबती नैय्या का एहसास कराना प्रवक्ता अब्बास हैदर को पड़ गया महंगा,बौखलाये नसीमुद्दीन ने इस करिश्माई युवा नेता को मीडिया के पैनलिस्ट पद से निलंबित कर अपनी असलियत दिखा कर कांग्रेसियों को आग बबूला कर दिया है।
अब्बास हैदर ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा किआज बहुत भारी हृदय से मुझे यह लिखना पड़ रहा है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी दूसरी पार्टियों से आए हुए दलालों की गिरफ्त में है कल उत्तर प्रदेश कांग्रेस मीडिया डिपार्टमेंट के चेयरमैन नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने जिस तरह प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की साठगांठ से मुझे षड्यंत्र रच के पार्टी के पद से निकालने की कोशिश करी वह बहुत ही दुख का विषय है|
नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने पहले तो शिया समाज के ऊपर टिप्पणी कर नमाज और दूसरी बातों पर टीका टिप्पणी करी फिर उसके बाद अनुचित भाषा का उपयोग किया जिसका मैंने विरोध किया और कहा वह कांग्रेस में सिर्फ समय काट रहे हैं इस पर नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने यह धमकी दी कि वह मीडिया चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे देंगे क्योंकि नसीमुद्दीन सिद्दीकी और अजय कुमार लल्लू जैसे लोग उत्तर प्रदेश कांग्रेस में एक भी व्यक्ति जो अपनी स्वतंत्र आवाज रखता है उसको किसी भी पद पर बर्दाश्त नहीं कर सकते|
यह लोग श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा को कमजोर करना चाहते हैं और चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी इनके चमचों से भरी रहे यह लोग प्रतिदिन पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र की हत्या करने के अपराधी हैं| मुझे एक समाचार पत्र से प्राप्त हुआ कि उस बैठक से जब मैं निकल गया तो श्रीमती प्रियंका गांधी के ऊपर नसीमुद्दीन जी द्वारा टिप्पणी की गई कि उनको नसीमुद्दीन जी से सिफारिश करनी पड़ी मुझे मीडिया कमेटी में रखने हेतु जो बहुत अनुचित और पीड़ादायक है
अब्बास हैदर ने यह भी कहा गया कि कुछ वर्ष पहले मैंने नसीमुद्दीन जी से भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करने को कहा था और एक भाजपा के बड़े नेता का नाम भी लिया जिनकी मेरी कभी मुलाकात भी नहीं है मैं पूछना चाहता हूं की नसीमुद्दीन जो कि अपने आपको उत्तर प्रदेश का बहुत बड़ा नेता मानते हैं उनसे मुझे इस विषय में बात करने की क्या आवश्यकता पड़ गई यह बात एकदम हास्यप्रद है नसीमुद्दीन सिद्दीकी जी का कॉल और मीटिंग के रिकॉर्ड करने का पुराना इतिहास है मैं उन से अनुरोध करूंगा कि वह उन अनर्गल आरोपों का साक्षी भी प्रस्तुत करें जो उन्होंने मेरे ऊपर लगाए हैं |मेरे पीठ पीछे मेरे ऊपर फैसला ले लिया गया और मुझे मेरा पक्ष भी जानने का मौका नहीं दिया
क्या अपने सम्मान की रक्षा करना कांग्रेस पार्टी में एक अपराध है?
क्या अगर किसी जाति विशेष पर कोई नेता टिप्पणी करें तो उसकी बात का जवाब सिर्फ इसलिए ना दिया जाए कि वह पूर्व में मंत्री रहा है और बहुत बड़े पद पर हैं? ?
अब्बास हैदर ने प्रियंका गांधी से अनुरोध किया कि ऐसे दोगले लोगों पर कार्यवाही करें और सच्चे कांग्रेसी जो दशकों से पार्टी की सेवा कर रहे हैं ऐसे लोगों और परिवारों के सम्मान पर आंच ना आने दे यह मौका परस्त लोग हैं कल मौका देख कर किसी और दल में भागने में जरा भी देर नहीं लगाएंगे परंतु सच्चे कांग्रेस के सिपाही ही पार्टी के साथ मजबूती से सदैव खड़े रहेंगे
मैं पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देता हूं परंतु मैं पार्टी के लिए बिना किसी पद के मजबूती से एक सेवक की तरह हमेशा सेवा करता रहूंगा
अगर नसीमुद्दीन सिद्दीकी और अजय कुमार लल्लू जैसे नेता सोचते हैं कि पार्टी के किसी मजबूत कार्यकर्ता को तिरस्कृत कर वह उसका मनोबल तोड़ देंगे तो वह बिल्कुल अनुचित सोचते हैं अब मैं दुगनी शक्ति के साथ पार्टी के लिए काम करूंगा और ऐसे पार्टी विरोधी लोगों को उनकी असलियत दिखाऊंगा|
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उन्होंने एक प्रेस वक्तव्य जारी करते हुए कहा कि राहुल गांधी एक योग्य और परिपक्व राजनेता है इसमें कोई दो राय नहीं। राजनीति करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को इस बात पर विचार करना चाहिए कि लोकतंत्र में कभी-कभी लोक राय में भूल वश गलती में अपना फैसला कर देती है। लेकिन वह सत्ता में बैठे लोगों को निरंकुश होने का अधिकार नहीं देती है।
श्री शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र की राजनीतिक व्यवस्था एक घुमली हुई पहिया की तरह है। वह स्थिर नहीं होती है, वरन चलती रहती है। श्री गांधी का यह वक्तव्य उस समय आया जब एक लोकतांत्रिक सरकार तीन माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी किसानों की समस्याओं के निराकरण में विफल साबित हुई। यही नहीं सिर्फ बातों के जरिए किसान आन्दोलन को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है।
श्री शर्मा ने राहुल गांधी को ट्वीट करके भारत विभाजन की घटना पर विचार करने और लाखों मुतक शरणाथियों के प्रति शोक संवेदना प्रकट करने का आग्रह किया।
श्री शर्मा ने इस बारे बताते हुए कहा कि 1947 में भारत विभाजन के समय महात्मा गांधी ने देश व कांग्रेस को एक संदेश दिया था कि परिस्थितियां अनुकूल न होने के कारण भारत विभाजन को स्वीकार करना पड़ा रहा है। लेकिन हमारा प्रयास होगा कि भारत और पाकिस्तान पुनः एक राष्ट्र बनें और यदि ऐसा होना संभव न हो तो एक ढीला-ढाला महासंघ बने। महासंघ के विचार का समर्थन करते हुए 12 अप्रैल 1964 में डा. लोहिया और दीनदयाल उपाध्याय के बीच संयुक्त वक्तव्य जारी हुआ। तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण अडवाणी ने लंदन प्रवास के दौरान बीबीसी को दिए वक्तव्य में हिन्द पाक महासंघ बनने का समर्थन किया था।
श्री शर्मा ने बताया कि आज हमारी राजनीति अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों के ईदगिर्द घूम रही है। जब वह चाहते हैं तब हमको मजबूरन पाकिस्तान के साथ शान्ति और संधि की वार्ता करना पड़ता है और ज बवह चाहते हैं तो भारत या पाकिस्तान को संघर्षरत होना पड़ता है। 1965 की जंग के बाद से निरंतर ‘हिन्द-पाक एका’ यानि ‘भारत पाकिस्तान का महासंघ बने’ इस प्रयास में लगा हूं। वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री रामबहादुर राय ने जनसत्ता में सम्पादक रहते हुए महासंघ की प्रसांगिकता पर सम्पादकीय भी लिखा था।
उन्होने कहा कि भारत विभाजन की घटना और महासंघ के सवाल पर राहुल गांधी को विचार करना चाहिए। उन्हें यह भी विचार करना चाहिए कि उन 14 लाख लोगों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि देनी चाहिए।
]]>तहलका टुडे डेस्क
नई दिल्ली -सरकार की किसान नीति के खिलाफ किसानों का हल्ला-बोल जारी है। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर हमला बोला है। राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘PM को याद रखना चाहिए था जब-जब अहंकार सच्चाई से टकराता है, पराजित होता है। सच्चाई की लड़ाई लड़ रहे किसानों को दुनिया की कोई सरकार नहीं रोक सकती। मोदी सरकार को किसानों की माँगें माननी ही होंगी और काले क़ानून वापस लेने होंगे। ये तो बस शुरुआत है!’
राहुल गांधी के इस ट्वीट के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की तरफ से भी जल्दी ही प्रतिक्रिया आ गई और मोर्चा संभाला पार्टी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने।
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि ‘हम कांग्रेस नहीं हैं जो किसानों के लिए नो एंट्री का बोर्ड लगा दें…आइए बात कीजिए, कोई भ्रम है तो दूर कीजिए। सरकार के दरवाजे बातचीत के लिए हमेशा खुले हैं।’ आपको बता दें कि किसानों के प्रदर्शन पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने फिर कहा है कि ‘सरकार पहले से ही किसानों से बातचीत करने के लिए तैयार है। हमने 3 दिसंबर को किसानों से जुड़े संगठनों को बातचीत के लिए बुलाया है। ठंड और कोविड-19 को देखते हुए मैं उनसे अपील करता हूं कि वो आंदोलन छोड़ें।’
इससे पहले गुरुवार को भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक कविता ट्वीट किया था। उन्होंने इस कविता के जरिए किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की थी। ट्वीट में लिखा गया था कि ‘नहीं हुआ है अभी सवेरा, पूरब की लाली पहचान, चिड़ियों के जगने से पहले खाट छोड़ उठ गया किसान, काले कानूनों के बादल गरज रहे गड़-गड़, अन्याय की बिजली चमकती चम-चम, मूसलाधार बरसता पानी, ज़रा ना रुकता लेता दम…!’ राहुल गांधी ने दावा किया था कि ‘‘मोदी सरकार की क्रूरता के ख़िलाफ़ देश का किसान डटकर खड़ा है।
]]>तहलका टुडे टीम
बाराबंकी -सुप्रीम कोर्ट में सफाई देने के बाद हैदरगढ़ के चौबीसी की जन सभा में पी एम मोदी पर आज फिर जलबलाये राहुल गांधी ने सियासी तीर छोड़ते हुए अपनी बेचैनी का इज़हार करते हुए कहा- Uचौकीदार चोर है…………और देश की जनता उसे हटाएगी, हम जनता से कोई झूठा वादा नही करेंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी जाने से पहले बाराबंकी के हैदरगढ़ के चौबीसी में बाराबंकी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी तनुज पुनिया के समर्थन में जनसभा को संबोधित करते हुये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कई सियासी वार किये। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते थे कि लोगों के बैंक अकाउंट में 15 लाख रुपये आएंगे। दो करोड़ युवाओं को रोजगार दूंगा। लेकिन उन्होने केवल देश के गिने-चुने उद्योगपतियों को ही फायदा पहुंचाया। मोदी पर निशाना साधते हुए, तंज कसा चौकीदार चोर है। उन्होंने कहा कि गरीबों के घर के सामने कोई चौकीदार नहीं होता, लेकिन अनिल अंबानी जैसे अमीर लोगों के घरों के सामने चौकीदार हमेशा चौकीदारी करते हैं। उन्होंने एक बार फिर अपना नारा दौहराते हुए कहा कि चौकीदार चोर है और देश की जनता इस बार उसे हटा देगी।.
राहुल ने कहा कि पीएम मोदी की सरकार ने गब्बर सिंह टैक्स और नोटबंदी जैसे फैसले लेकर देश के साथ अन्याय किया। रोजगार देने में फेल होने का आरोप लगाते हुए नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र में उनकी सरकार बनते ही एक साल के अंदर 22 लाख सरकारी नौकरी दी जाएंगी। 10 लाख लोगों को पंचायतों में रोजगार दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि वह देश की जनता से कोई झूठा वादा नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि युवाओं को नये व्यवसाय शुरू करने पर तीन साल तक किसी भी तरह का लाइसेंस नहीं लेना पड़ेगा। महिलाओं को लोकसभा व विधानसभा के साथ ही सरकारी नौकरी में भी महिलाओं को 33% आरक्षण दिया जायेगा। राहुल गांधी ने कहा कि इस बार कांग्रेस की सरकार बनी तो देश में दो बजट बनेगा, एक बजट राष्ट्रीय बजट होगा, जबकि दूसरा बजट किसानों के लिए होगा जिसमें किसानों की जरुरतों के हिसाब से योजनाएं बनाई जाएंगी।
– राहुल गांधी ने आगे कहा कि हमारी सरकार बनने के बाद कांग्रेस उस कानून को बदल देगी जिसमें किसानों को कर्ज नहीं चुकाने के कारण जेल जाना पड़ता है। अब किसान अगर बैंक का कर्ज नहीं चुका पाएंगे तो उन्हें जेल में नहीं डाला जाएगा। उन्होंने कहा था कि बड़े उद्योगपति करोड़ों रूपए कर्ज लेकर प्राइवेट हवाई जहाज में घूमते हैं उन्हें कोई नहीं जेल भेजता है, लेकिन किसान 20 हजार रुपये के कारण जेल चले जाते हैं। हमने तय किया है कि वर्ष 2019 में हमारी सरकार आएगी तब हम इस कानून को बदल देंगे। हिंदुस्तान के किसी भी किसान को कर्ज नहीं लौटाने के कारण जेल में नहीं डाला जा सकेगा।
राहुल ने एक बार फिर न्याय योजना के बारे में बताते हुए कहा है कि हमारी सरकार सत्ता में आते ही कांग्रेस सब गरीब लोगों के लिए न्यूनतम आय गारंटी योजना शुरू करेगी। न्यूनतम आय गारंटी योजना को राहुल गांधी ने दुनिया की सबसे बड़ी न्यूनतम आय योजना बताया। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत देश के करीब 20 प्रतिशत परिवारों यानी करीब पांच करोड़ लोगों को न्यूनतम आय के तौर पर सालाना 72000 रुपये दिए जाएंगे। यह रकम महिलाओं के खातों में बेजी जाएगी। उन्होंने कहा कि गरीबों को इस योजना का लाभ देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाए बिना दिया जाएगा।
इस मौके पर डॉ पी एल पुनिया,जुल्फी मिया,अमरनाथ मिश्रा, इरफान क़ुरैशी,सरवर अली खान,सरजू शर्मा,सिकंदर अब्बास रिज़वी,शबनम वारिस,दीपक रैकवार, वरिष्ठ नेता वसीम इसहाक अल्वी,के अलावा बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और अवाम मौजूद
राहुल गांधी ने उपस्थित कार्यकर्ताओं और लोगों से कहा कि आप लोग देश में मोहब्बत का माहौल तैयार करिए और कांग्रेस प्रत्याशी तनुज पूनिया को भारी मतों से विजई बनाइए। हेलीकॉप्टर से दोपहर 11:54 पर उतरे गांधी ने ठीक 12:00 बजे मंच पर पहुंच कर बोलना प्रारंभ किया। कड़ी धूप में उपस्थित जनसमुदाय को देखकर राहुल गांधी आत्मविश्वास से लबरेज हो गए। इस दौरान जहां उन्होंने प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री पर जमकर हमले किए वहीं उन्होंने आश्चर्यजनक रूप से महागठबंधन को छुआ तक नहीं। इस मौके पर कांग्रेस नेता पी एल पुनिया ने कांग्रेस प्रत्याशी तनुज पुनिया एवं जिला अध्यक्ष अमर नाथ मिश्र के साथ श्री गांधी का स्वागत किया ।जबकि कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने चौकीदार चोर है कि खूब नारे लगाए
इस मौके पर जुल्फी मिया, इरफान क़ुरैशी,सरजू शर्मा,सिकंदर अब्बास रिज़वी,शबनम वारिस,दीपक रैकवार, वरिष्ठ नेता वसीम इसहाक अल्वी,,विजय पाल गौतम, गुड्डू राइन, गुड्डू तिवारी, राजकुमार सिंह, सियाराम यादव ,माता बख्स सिंह, के सी श्रीवास्तव, हरिशंकर मिश्रा ,दिनेश शुक्ला, अंकुर शुक्ला, सरवर सिद्दीकी, पूर्व विधायक डा राजलक्ष्मी वर्मा, पूर्व विधायक सरवर अली खान, शेरू भाई, दीपक सिंह रैकवार, शक्ति सिंह सहित हजारों लोग उपस्थित थे।अलावा बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और अवाम मौजूद रही।
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