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ईरान – Tahalkatoday https://www.tahalkatoday.com सबको खबर दे और सबकी खबर ले Tue, 06 Feb 2024 16:26:40 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.2 https://www.tahalkatoday.com/wp-content/uploads/2021/09/cropped-tehlka-today-logo-32x32.jpg ईरान – Tahalkatoday https://www.tahalkatoday.com 32 32 भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथॉरिटी आफ़ताबे शरीयत मौलाना डॉक्टर कल्बे जवाद नक़वी की मेजबानी में “क़ौम की तामीर में मदारिस का किरदार” पर कॉन्फ्रेंस,भारत और ईरान के सैकड़ो ओलेमा हुए शामिल,अल-मुस्तफा इंटरनेशनल युनिवेर्सिटी ईरान के प्रेसिडेंट अयातुल्लाह अब्बासी ने कहा मदरसों ने हमेशा क़ौम की तामीर और तरक़्क़ी में अहम भूमिका निभाते है। https://www.tahalkatoday.com/lucknow-me-iran-conference/ https://www.tahalkatoday.com/lucknow-me-iran-conference/#respond Tue, 06 Feb 2024 16:26:40 +0000 https://www.tahalkatoday.com/?p=20360 भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथॉरिटी आफ़ताबे शरीयत मौलाना डॉक्टर कल्बे जवाद नक़वी की मेजबानी में “क़ौम की तामीर में मदारिस का किरदार” पर कॉन्फ्रेंस,भारत और ईरान के सैकड़ो ओलेमा हुए शामिल

अल-मुस्तफा इंटरनेशनल युनिवेर्सिटी ईरान के प्रेसिडेंट अयातुल्लाह अब्बासी ने कहा मदरसों ने हमेशा क़ौम की तामीर और तरक़्क़ी में अहम भूमिका निभाते है।

लखनऊ में मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद द्वारा आयोजित “हुसैनाबाद कम्युनिटी सेंटर” में “क़ौम की तामीर में मदारिस का किरदार” के उनवान से एक अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसमें ईरान और हिंदुस्तान के ओलेमा ने बड़ संख्या में शिरकत की।
मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद के महासचिव भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथॉरिटी आफ़ताबे शरीयत मौलाना डॉक्टर कल्बे जवाद नक़वी ने मेज़बानी की जिम्मेदारी निभाई।
अल-मुस्तफ़ा विश्वविद्यालय, ईरान के अध्यक्ष अयातुल्लाह डॉक्टर अली अब्बासी ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया और कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उनके साथ हुज्जतिया मदरसे के अध्यक्ष हुज्जतुल इस्लाम अक़ाई तलख़ाबी, हिंदुस्तान में अल-मुस्तफ़ा विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम आग़ा शाकिरी और हौज़ा-ए-रियासत के अध्यक्ष आग़ा शाकानी ने भी शिरकत की।

कॉन्फ्रेंस की शुरुआत क़ारी मौलवी सैय्यद मुहम्मद तक़ी जाफरी जामिया इमामिया तंज़ीमुल मकातिब के छात्र ने कुरान की तिलावत से की। तिलावत के बाद जामियातुत तब्लीग़ के छात्र मौलवी मुहम्मद मोहसिन ने नात शरीफ पढ़ी।

इसके बाद कॉन्फ्रेंस के संयोजक डॉक्टर सैय्यद कल्बे जवाद नक़वी ने इस्तेक़बालिया में अल-मुस्तफा इंटरनेशनल युनिवेर्सिटी ईरान के प्रेसिडेंट अयातुल्लाह और उनके साथ आए सभी अतिथियों का भारत में स्वागत करते हुए कहा कि ईरान और भारत का बहुत पुराना रिश्ता है, इंशाल्लाह आगे में भी दोनों देशों के बीच ऐसे ही रिश्ते बने रहेंगे।

अयातुल्लाह डॉक्टर अली अब्बासी ने सदारती तक़रीर में भारत और ईरान के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों के महत्व और उपयोगिता को समझाया और कहा कि हम मदरसों के माध्यम से इस दोस्ती को और बढ़ावा दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि मदरसों ने हमेशा क़ौम एवम देश के निर्माण और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, इसलिए हमें मदरसों को व्यवस्थित और बेहतर बनाने की ज़रूरत है। तक़रीर के दौरान उन्होंने रजब महीने की खूबियों पर भी प्रकाश डाला।

जमियतुल-मुस्तफा अल-अलामिया के हिंदुस्तान में प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम आग़ा शाकिरी शकरी ने अपनी तक़रीर में कहा कि एक समय था जब लखनऊ के मदरसों ने क़ुम और नजफ़-ए-अशरफ़ के मदरसों का मार्गदर्शन किया और उन्हें मज़बूत किया, लेकिन आज स्थिति अलग है। उन्होंने कहा कि भारत में मदरसों का अतीत गौरवशाली रहा है, जिसे पुनर्जीवित करने की सख़्त ज़रूरत है।

इससे पहले मौलाना सफदर हुसैन जौनपुरी ने तकरीर करते हुए कहा कि हमें उम्मीद है कि जमियतुल-मुस्तफा मदरसों के सुधार में अहम भूमिका निभाएगा।
उनके बाद मौलाना मुहम्मद मोहसिन तक़वी इमाम जुमा शिया जामा मस्जिद दिल्ली ने कहा कि हमारे मदरसों को आत्मनिर्भर होना चाहिए। जब ​​तक मदरसे आत्मनिर्भर नहीं होंगे, हम उन समस्याओं से मुक्त नहीं हो सकते जिनका हम सामना कर रहे हैं। कॉन्फ्रेंस में आदिल फ़राज़ ने भारत में मदरसों के संक्षिप्त इतिहास का वर्णन किया और कहा कि शियों का पहला मदरसा अवध में स्थापित किया गया था और फ़िक़ह जाफ़री की तदवीन और उसको लागू करने की देने की प्रक्रिया भी अवध से शुरू हुई थी, जिसमें सैय्यद अयातुल्लाह दिलदार अली गुफ़रानमआब की कोशिशों शामिल थी।

कार्यक्रम के अंत में मौलाना सैय्यद कल्बे जवाद नक़वी ने समापन तक़रीर करते हुए कहा कि मदरसों ने क़ौम के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लखनऊ ने हमेशा ज्ञान और साहित्य को बढ़ावा दिया है। ऐसा केवल भारत में ही नहीं हुआ बल्कि लखनऊ ने नजफ़-ए-अशरफ़ और ईरान के हौज़ो की भी मदद की और वहां के उलेमा कुछ मसाएल में भारत के उलेमा से मार्गदर्शन लेते थे, जिसका प्रमाण इतिहास में उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में मदरसों की व्यवस्था में सुधार की ज़रूरत है, इस संबंध में उन उलेमा को भी आगे आना चाहिए जो लंबे समय से ईरान में रह रहे हैं। ये दौर आज़माइश का ​​है जिसमें ईरान से आकर भारत में शिक्षा के क्षेत्र में काम करने की सख़्त ज़रूरत है। ईरान और इराक में अपना पूरा जीवन बिताने के बाद उन्हें मिल्लत की समस्याओं और मदरसों की गंभीर स्थिति की आलोचना करने का कोई अधिकार नहीं है, जो इस ज़िम्मेदारी को उठाने से कतरा रहे हैं। अंत में मौलाना ने सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया। कार्यक्रम में हौज़ा-ए-इल्मिया हज़रत दिलदार अली गुफ़रानमआब के छात्रों ने तवाशी पेश की। मौलाना अतहर कश्मीरी ने कार्यक्रम का संचालन किया।

कार्यक्रम में मौलाना रज़ा हुसैन रिज़वी, मौलाना निसार अहमद ज़ैनपुरी, मौलाना इस्तफा रज़ा, मौलाना मुहम्मद मियां आब्दी क़ुम्मी, मौलाना मंज़र सादिक़ ज़ैदी, मौलाना हैदर अब्बास रिज़वी, मौलाना सिराज हुसैन, मौलाना हामिद हुसैन कानपुरी, मौलाना नसीम अब्बास, मौलाना तसनीम मेहदी ज़ैदपुरी, मौलाना कल्बे अब्बास सुल्तानपुरी, मौलाना मुहम्मद मूसा सुल्तान उल मदारिस, मौलाना अनवारुल हसन अटवा, मौलाना क़सीम अब्बास बिजनौर, मौलाना पैग़म्बर अब्बास नौगानवी, मौलाना क़रातुल ऐन मुज्तबा नौगानवी, मौलाना काज़िम हुसैन मज़हरी, मौलाना वसी अल हसन, मौलाना मुहम्मद इब्राहिम जामियातुत तब्लीग़, मौलाना फ़िरोज़ अली बनारसी, मौलाना तहज़ीब-उल-हसन तंज़ीमुल मकातिब, मौलाना शम्स-उल-हसन, मौलाना हसनैन बाक़री जामिया नैमिया, मौलाना रईस हैदर जलालपुरी, मौलाना इश्तियाक हुसैन, मौलाना हमीद-उल-हसन सीतापुरी,मौलाना फ़िरोज़ मेहदी गढ़ी मजीरा, मौलाना ज़ुहैर क़ैन क़ुम्मी, मौलाना अहमद अब्बास घोसी, मौलाना शब्बीर फ़ैज़ी नजफ़ी, मौलाना मज़ाहिर हुसैन मऊ, मौलाना डॉ. शुजाअत अली, मौलाना रज़ा इमाम उतरौलवी, मौलाना ज़व्वार हुसैन, मौलाना शबाहत हुसैन, मौलाना क़मरुल हसन हल्लौरी, मौलाना फ़िरोज़.हुसैन, मौलाना मुहम्मद सक़लैन बाक़री जौरासी, मौलाना ग़ुलाम मेहदी गुलरेज़, मौलाना शाहनवाज हैदर, मौलाना मुहम्मद मेहदी, मौलाना कुर्बान अली, मौलाना हुसैन मेहदी, मौलाना मुहम्मद हैदर, मौलाना वसी इमाम आबिदी, मौलाना अली हाशिम आबिदी, मौलाना आसीफ जायसी, मौलाना अरशद हुसैन अर्शी, मौलाना मीसम ज़ैदी, मौलाना मुनव्वर अब्बास उनके अलावा जामिया इमामिया तंज़ीमुल मकातिब, हौज़ा-ए-इल्मिया जामियातुत तब्लीग़, मदरसा नाज़मिया, सुल्तानउल मदारिस, हौज़ा-ए-इल्मिया हज़रत दिलदार अली गुफ़रानमआब और बैरून-ए-लखनऊ के मदरसों के शिक्षक, इमामे जुमा और उलेमा ने बड़ी संख्या में भाग लिया। मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद उन सभी उलेमाओं का शुक्रिया अदा करती है जिन्होंने कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया और इसे सफल बनाया।

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विश्व के महान भारत के प्रसिद्ध समाज सुधारक शिया धर्म गुरु सैयद कल्बे ऋषैद रिज़वी पतंजलि समूह के रूहे रवा श्री बालकृष्ण के साथ ईरान की राजधानी तेहरान में रुहोल्लाह देहगानी फिरौजाबादी इस्लामिक गणराज्य ईरान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ मुलाकात के एक पल, ईरान में हिक्मत में विश्व व्यापी कार्य चल रहा है, भारत ईरान से जुड़े रिश्तों को बया करती है ये तस्वीर https://www.tahalkatoday.com/bharat-aur-iran/ https://www.tahalkatoday.com/bharat-aur-iran/#respond Wed, 21 Dec 2022 07:13:17 +0000 https://www.tahalkatoday.com/?p=19272 विश्व के मशहूर महान समाज सुधारक शिया धर्म गुरु सैयद कल्बे ऋषैद रिज़वी पतंजलि ग्रुप के रूहे रवा आचार्य बालकृष्ण के साथ ईरान की राजधानी तेहरान में रुहोल्लाह देहगानी फिरौजाबादी वाइस प्रेसिडेंट इस्लामी गणतंत्र ईरान साइंस और टेक्नोलॉजी के साथ मुलाकात करते,
ईरान में हिक्मत आयुर्वेद पर विश्वस्तरीय कार्य चल रहा है,
भारत ईरान के अटूट रिश्ते को बया करती ये तस्वीर

विश्व के मशहूर महान समाज सुधारक शिया धर्म गुरु सैयद कल्बे ऋषैद रिज़वी पतंजलि ग्रुप के रूहे रवा आचार्य बालकृष्ण के साथ ईरान की राजधानी तेहरान में रुहोल्लाह देहगानी फिरौजाबादी वाइस प्रेसिडेंट इस्लामी गणतंत्र ईरान साइंस और टेक्नोलॉजी के साथ मुलाकात करते,
ईरान में हिक्मत आयुर्वेद पर विश्वस्तरीय कार्य चल रहा है,
भारत ईरान के अटूट रिश्ते को बया करती ये तस्वीर

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भारत का जिगरा अपनाकर ईरान ने अपने परमाणु वैज्ञानिक की हत्या का बदला ले ही लिया. इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के साज़िश रचने वाले कमांडर को इज़राईल में घुसकर मारा,हिज़्बुल्लाह के ड्रेन ने इज़रायल की किया नींद हराम https://www.tahalkatoday.com/iran-ne-mosaad-ke-comandar-ko-maara/ https://www.tahalkatoday.com/iran-ne-mosaad-ke-comandar-ko-maara/#respond Sun, 06 Dec 2020 17:34:24 +0000 https://www.tahalkatoday.com/?p=15360 तहलका टुडे डेस्क

ईरान ने अपने परमाणु वैज्ञानिक की हत्या का बदला ले ही लिया. इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के एक कमांडर की हत्या कर दी गई है. ईरान की मीडिया ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इजरायल की राजधानी तेल अवीव में 45 वर्षीय एक मोसाद कमांडर की हत्या कर दी गई. हत्या किसने की इस बारे में अभी कुछ पता नहीं चल पाया है, हालांकि सोशल मीडिया पर कई लोगों ने दावा किया है कि यह हत्या ईरान ने बदला लेने के लिए करवाई है.

सोशल मीडिया में यह दावा किया जा रहा है कि ईरान के खुफिया दस्‍ते ने हिनावी की हत्‍या करके ईरानी परमाणु वैज्ञानिक की हत्‍या का बदला लिया है. हालांकि इजरायली मीडिया ने बगैर नाम लिए कहा है कि राजधानी तेल अवीव में 45 वर्षीय व्यक्ति की हत्या हुई है. वहीं ईरानी मीडिया ने दावा किया है कि मारा गया व्यक्ति इजरायल की खुफिया एजेंसी का सीनियर कमांडर था. इस हत्‍याकांड को गुरुवार को अंजाम दिया गया है.

https://twitter.com/fahdc4/status/1335060463684640769?s=19

ईरानी मीडिया में कहा जा रहा है कि मारे गए मोसाद अधिकारी का नाम फहमी हिनावी था. इस हत्‍याकांड का वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है.सरकारी मीडिया में दावा किया गया है कि मारा गया इजरायली मोसाद कमांडर अपनी कार में तेल अवीव की एक रेड लाइट पर रुका था तभी उसकी गाड़ियों पर हमलावरों ने तड़ातड़ 15 गोलियां दाग दी. हमलावर इस घटना को अंजाम देने के बाद फरार हो गए. हालांकि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो की पुष्टि नहीं हो पाई है.

वही दूसरी तरफ हिज़्बुल्लाह के ड्रोन ने इज़रायल के नाक में दम कर दिया।

फ़िलिस्तीन के प्रतिरोध आंदोलन इस्लामी जेहाद ने हिज़्बुल्लाह के ड्रेन के अतिग्रहित फ़िलिस्तीन में प्रवेश और उससे ज़ायोनी गतिविधियों की तस्वीर लिए जाने की घटना को प्रतिरोध के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि बताया है।

इल्लामी जेहाद आंदोलन के प्रवक्ता दाऊद शहाब ने कहा कि अतिग्रहित फ़िलिस्तीन की हवाई सीमा में प्रतिरोध के ड्रोन का दाख़िल होना और ज़ायोनी सेना के सैन्य अभ्यास सहित दूसरी गतिविधियों की तस्वीर खींचना, हिज़्बुल्लाह की रणनैतिक उपलब्धि है।

उन्होंने बल दिया कि हिज़्बुल्लाह के ड्रोन का दाख़िल होना यह बताता है कि प्रतिरोध लेबनान में सैन्य सहित अनेक क्षेत्रों में अपनी ताक़त विकसित कर रहा है।

दाऊद शहाब ने इस बात पर बल देते हुए कि फ़िलिस्तीन में हर तरह के हालात पेश आ सकते हैं, कहा कि फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध अपने राष्ट्र के ख़िलाफ़ हर तरह के हमले से निपटने के लिए तय्यार है।

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इंटरपोल की मदद से ट्रम्प को ज़िंदा अमेरिका से उठवायेगा ईरान जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या के मामले में ट्रम्प समेत 36 लोगों की गिरफ़्तारी का किया वॉरेंट,व्हाइट हाउस में हड़कंप https://www.tahalkatoday.com/intrpol-ki-madad-se-tramp-ko-uthega/ https://www.tahalkatoday.com/intrpol-ki-madad-se-tramp-ko-uthega/#respond Mon, 29 Jun 2020 16:08:01 +0000 https://www.tahalkatoday.com/?p=14508

तहलका टुडे इंटरनेशनल डेस्क

तेहरान -ईरान की आईआरजीसी फ़ोर्स की क़ुद्स ब्रिगेड के कमांडर जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या के मामले में 36 लोगों की गिरफ़्तारी का वॉरेंट जारी हुआ है,ईरान ने अब ट्रम्प को जान का बदला जान से ना लेकर बल्कि इंटरपोल की मदद से अमेरिका से उठवा कर अपनी जेलों में रखकर तड़पा तड़पा कर बदला लेने की रणनीति बनाई है।
ऐसा विदेशी पॉलिसी के विशेषज्ञ का कहना है।

तेहरान के सॉलिसिटर जनरल अली अलक़ासी मेहर ने इस बात की ख़बर दी है।
इरना के मुताबिक़, तेहरान के सॉलिसिटर जनरल अली अलक़ासी मेहर ने सोमवार को न्यायपालिका की उच्च परिषद की बैठक में आईआरजीसी फ़ोर्स की क़ुद्स ब्रिगेड के कमांडर जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या के केस के सिलसिले में उठाए गए क़दम के बारे में कहाः अमरीका के राजनेता और सैन्य अधिकारियों तथा दूसरी सरकारों के अधिकारियों सहित जो लोग जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या का आदेश देने सहित इस मामले में किसी न किसी तरह शामिल थे, उनकी पहचान कर ली गयी है और अदालत ने उनकी गिरफ़्तारी का वॉरेंट जारी और इंटरपोल के ज़रिए उनके ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने का आदेश दिया है।
तेहरान के सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि इन लोगों पर हत्या और आतंकवादी कृत्य का इल्ज़ाम है और इस लिस्ट में अमरीकी राष्ट्रपति का नाम सबसे ऊपर है यहाँ तक कि उनके राष्ट्रपति काल के ख़त्म होने के बाद भी उनके ख़िलाफ़ न्यायिक कार्यवाही की जाएगी।
अमरीकी रक्षा मंत्रालय पेंटगॉन के मुताबिक़, जनरल क़ासिम सुलैमानी की हवाई हमले में हत्या का आदेश अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने जारी किया था।
ग़ौरतलब है कि 3 जनवरी को बग़दाद एयरपोर्ट के बाहर जनरल क़ासिम सुलैमानी और इराक़ी स्वयंसेवी बल हश्दुश्शाबी के उप कमान्डर अबू महदी अलमुहन्दिस अमरीका के आतंकवादी हवाई हमले में शहीद हो गए।

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अमरीका ने अचानक सुकून के पलों में क्यों लगा दी आग, एक तरफ गुस्से का उबाल,दूसरी तरफ बेगुनाहों को लपकती मौत का डर,थर्ड वर्ल्ड वार की शक्ल में आ रहा है नतीजा,जो भी हो लेकिन यह परीक्षा सिर्फ ट्रम्प की https://www.tahalkatoday.com/13992-2shahbahat-husain-vijeta/ https://www.tahalkatoday.com/13992-2shahbahat-husain-vijeta/#respond Mon, 27 Jan 2020 16:21:33 +0000 https://www.tahalkatoday.com/?p=13992 शबाहत हुसैन विजेता

आईएसआईएस की कमर तोड़ने में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले ईरान के जनरल क़ासिम सुलेमानी के कत्ल के बाद दुनिया के तमाम मुल्कों में अमरीका के खिलाफ गुस्सा उबाल पर है। तेल और सोने की कीमतों में उछाल आ गया है और शेयर बाजार मुंह के बल आ गिरा है। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इसे अपनी बड़ी जीत मान रहे हैं तो इज़रायल ने जंग की तैयारियां शुरू कर दी हैं।

ईरानी सेना के सर्वोच्च कमांडर और ईरान के भावी राष्ट्रपति क़ासिम सुलेमानी की जान लेकर अमरीका ने दुनिया को खतरनाक जंग के मुहाने पर खड़ा कर दिया है। क़ासिम सुलेमानी का ईरान में बहुत बड़ा कद था। सुरक्षा के मामले में वह ईरानी हुकूमत के सबसे बड़े सलाहकार थे। कई बार उनकी भूमिका विदेश मंत्री सरीखी रहती थी। ईरानी अवाम में भी उनकी बहुत इज़्ज़त थी और ईरान की हुकूमत सभी अहम मामलों में उन्हीं की राय लिया करती थी।

क़ासिम सुलेमानी के कत्ल के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने अमरीकी झंडे को ट्वीट कर जहां अपनी खुशी का इज़हार किया वहीं ईरान रंज-ओ-ग़म में डूब गया। ईरान की हुकूमत ने तीन दिन के राष्ट्रीय शोक का एलान करते हुए अमरीका से इसका बदला लेने की बात कही।

अमरीका से बदला लेने के लिए ईरान के लिए सबसे सॉफ्ट टारगेट इज़रायल है। इज़रायल भी यह बात जनता है, इसलिए उसने जंग की तैयारियां तेज़ कर दी हैं। ईरान और अमरीका की इस जंग में सिर्फ सऊदी अरब अमरीका के साथ खड़ा होगा। इराक ईरान के साथ रहेगा। चीन और रूस के भी ईरान के पक्ष में खड़े होने की संभावना है।

अमरीका अपनी ज़मीन पर जंग नहीं लड़ता है लिहाजा उसे सिर्फ अपने सैनिकों की कुर्बानी देनी होगी लेकिन इराक, ईरान, इज़रायल और सीरिया में बड़ी संख्या में बेगुनाह लोगों की जान जाएगी। शांत समंदर में पत्थर उछाल कर अमरीका ने जो गुस्से की लहरें पैदा की हैं उसकी आग भारत तक आएगी। एक तरफ भारत को जबरदस्ती की महंगाई का सामना करना पड़ेगा तो दूसरी तरफ हिन्दुस्तान में रह रहे 5 करोड़ शिया मुसलमानों के गुस्से से भी जूझना पड़ेगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमरीका के साथ दोस्ती की जो पींगें पिछले साढ़े पांच साल में बढ़ाई हैं उन पर भी इस कत्ल का असर यहां होने वाले विरोध प्रदर्शनों की वजह से पड़ेगा। ईरानी सेना के सर्वोच्च कमांडर पर मानव रहित विमान के जरिये हमला कर उनका कत्ल करने वाले अमरीका ने उन्हें आतंकी बताकर ईरान के गुस्से में पेट्रोल डालने का काम कर दिया है। ईरान के साथ हालांकि अमरीका के पिछले 40 साल से रिश्ते बेहतर नहीं थे लेकिन परमाणु शक्ति सम्पन्न ईरान के साथ अमरीका ने सीधी जंग का जोखिम कभी नहीं लिया लेकिन अब जब अमरीकी राष्ट्रपति अपने देश की संसद में महाभियोग की तलवार पर चल रहे हैं और जल्दी ही उन्हें चुनाव का भी सामना करना है।

दक्षिण कोरिया के तानाशाह किम जोंग ने उन्हें फिर से आंखें तरेरना शुरू कर दिया है। चीन अमरीका के सामने बिल्कुल बराबरी से खड़ा हो गया है और रूस को भी अमरीकी धमकियों की परवाह नहीं रह गई है। ऐसे में ईरानी सेना के सर्वोच्च कमांडर को मारकर अमरीका ने दुनिया को यही संदेश देने की कोशिश की है कि तमाम देशों को उसकी दिखाई राह पर ही चलना पड़ेगा वर्ना उसे क़ासिम सुलेमानी की तरह अंजाम भुगतने को तैयार रहना चाहिए।

अमरीका और ईरान की जंग छिड़ती है तो अमरीका पर इसका सबसे गहरा असर पड़ने वाला है। जिस तरह से जादूगर की जान तोते में बस्ती थी वैसे ही अमरीका की जान इज़राइल में बस्ती है। इज़राइल उन्हीं यहूदियों का देश है जिनके पास अमरीकी इकोनॉमी की चाबी है। जंग में इज़राइल का नुक़सान हुआ तो अमरीकी अर्थव्यवस्था को लड़खड़ाने से कोई भी ताकत बचा नहीं पाएगी।

अमरीका ने एक साथ दो गलतियां की हैं। एक तरफ उसने ईरानी सेना के सर्वोच्च कमांडर को मारकर ईरान की सेना को सीधी चुनौती दी है तो दूसरी तरफ उन्हें आतंकी बताकर ईरान की हुकूमत को भी यह संदेश दे दिया है कि अब अमरीका ईरान के साथ दो-दो हाथ करने को तैयार है।

अमरीका के लिए बुरी खबर यह है कि जिन इराक और ईरान को अमरीका ने आठ साल तक आमने-सामने की जंग में उलझाए रखा था वह ईरान और इराक अब अमरीका के खिलाफ साथ-साथ कदमताल को तैयार हैं।
अमरीका की तीसरी गलती यह है कि उसने क़ासिम सुलेमानी के कत्ल को बगदादी और लादेन के कत्ल वाली कड़ी में ही रखा है। लादेन और बगदादी आतंकी थे। दुनिया उनसे त्रस्त थी जबकि सुलेमानी ईरानी हुकूमत का हौंसला थे। तमाम मुस्लिम देशों में उन्हें हीरो की तरह देखा जाता था।

ठीक इसी तरह अमरीका ने हिजबुल्लाह को भी आतंकी बताया है। जबकि हिजबुल्लाह आतंकवाद के खिलाफ जंग में लगा है। आईएसआईएस के खात्मे में हिजबुल्लाह और क़ासिम सुलेमानी ने लगातार संघर्ष किया है। इस संघर्ष की वजह से सुलेमानी न सिर्फ ईरान में बल्कि इराक और सीरिया में भी लोकप्रियता के शिखर पर थे।

जंग किसी मसले का हल नहीं है। जंग जब तक टलती रहे तभी तक इंसानी ज़िन्दगी सुकून से जीती है लेकिन अमरीका ने अचानक सुकून के पलों में आग लगा दी है। एक तरफ गुस्से का उबाल शुरू हुआ है तो दूसरी तरफ बेगुनाहों को लपकती मौत का डर भी शुरू हुआ है। इसे थर्ड वर्ल्ड वार की शक्ल में भी देखा जा रहा है। इसका नतीजा जो भी हो लेकिन यह परीक्षा सिर्फ ट्रम्प की है। ट्रम्प फेल होंगे या पास बहुत जल्द सामने आ जायेगा।

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इराक पर शैतान का साया? आयतुल्लाह सिस्तानी ,हसन नसरुल्लाह ,मुक़्तदा सद्र की हत्या का इज़राईल अमेरिका का इरादा,बुना ताना बाना https://www.tahalkatoday.com/13730-2-iraq-par-shitaan-ka-saya/ https://www.tahalkatoday.com/13730-2-iraq-par-shitaan-ka-saya/#respond Mon, 04 Nov 2019 16:47:26 +0000 https://www.tahalkatoday.com/?p=13730 सऊदी अरब के बाद पूरी दुनिया के मुसलमानो के लिए अक़ीदत इबादत और दुआ का केंद्र बिंदु पर जालिमो की नदीदी नज़र

रिज़वान मुस्तफ़ा की खास रिपोर्ट
9452000001tahalka@gmail.com

बगदाद:इमामे ज़माना (अ फ़) के नुमाईन्दे आयतुल्लाह सिस्तानी किबला और सिपाहे मेहदी के कमांडर मुक़्तदा अल सद्र, हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरुल्लाह की हत्या कराने के लिये शैतान को आका मानने वाले इज़राईल अमेरिका ने सोशल मीडिया के सहारे  इराक़ लेबनान में भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ मुहिम सरकार विरोधी प्रदर्शनो को हवा और असलहा देकर बगावत पैदा करवाने की साज़िश को एक बार फिर रच कर पूरी दुनिया मे इंसानियत को पसंद करने वाले लोगो की लानत और निंदा का विषय बन गया है।

मालूम हो इराक में 1400 साल पहले शैतान ने पैग़म्बरे इस्लाम मोहम्मद मुस्तफ़ा स अ. के भाई,दामाद और वासिये रसूल पहले इमाम हज़रत अली अलैहिस्लाम को रमज़ान में कूफ़े की मस्जिद में नमाज़ पड़ते हुए शहीद करवाया था।


इसके बाद इंसानियत हक इंसाफ सच्चाई और इस्लाम को खत्म करने की साज़िश यज़ीद ने रचकर नवासे रसूल हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्लाम और उनके 72 साथियो को कर्बला में घेर कर मार डाला था,यही नही 6 माह के बच्चे हज़रत अली असग़र को भी पानी ना देकर मार डाला था।


इसके अलावा इराक की सरज़मी पर 7वे इमाम मुसाये काज़िम अलैहिस्लाम,9 वे इमाम मोहम्मद तक़ी अलैहिस्लाम,10 वे इमाम अली नक़ी अलैहिस्लाम,11 वे इमाम हसन अस्करी अलैहिस्लाम को ज़हर देकर शहीद कर डाला गया,और यही नही शैतान के बहकावे में इतनी ज़ियादा दुश्मनी बढ़ी की 12वे इमाम ज़माना (अ फ़ )के भी लोग दुश्मन बन गए,


अल्लाह ने अहलेबैत की दुनिया से बढ़ती दुश्मनी को देखते हुए उन्हें सामरा इराक से ही पर्दाये ग़ैबत में ले लिया।


इंसानियत शराफ़त जो अल्लाह का सबसे पसंदीदा अमल है को मिटाने के लिए शैतान ने भी हर दौर में ताकत लगा दी। वो इंसानों को बहकाकर इनसानियत का दुश्मन बनाकर कत्ल गारत करवाकर इंसानियत को पामाल करता रहा।
आज कल शैतान के दो शागिर्द इज़राईल अमेरिका ज़यादा चर्चा में है।
इन्ही दोनो मुल्कों इज़राईल अमेरिका ने सद्दाम हुसैन को मदद करके 8 साल तक ईरान से जंग करवाया और दोनों मुल्कों की अवाम को बर्बाद कर दिया।
जब सब बर्बाद हो गया तो सुलह हुई तब अमेरिका ने सद्दाम को मार दिया और पूरे इराक पर कब्ज़ा कर तेल जमकर चुराया,
यही नही रूहानियत के मरकज़ सामरा पर बम भी बरसाये।
इराक की अवाम में ज़ुल्म से दबने पर अल्लाह की याद आयी मौला हज़रत अली और कर्बला के रौज़े से अपनी रूहानी सोच को पाक किया और सिर्फ एक इराकी ने बुश की ज़ालिमाना रवैये के लिए जूते का ऐसा प्रसाद दिया की अमेरिका की हेकड़ी खत्म करने के लिए वही पर्याप्त हो गया।
अमेरिकन भागे चुनाव हुए सरकार बनी,इसके बाद सद्दाम के नालायक वफादार फिर दाइश की शक्ल में अमेरिका ने इराक में लगा दिए।

इमामे ज़माना अ. फ़. के नुमाइंदे आयतुल्लाह सिस्तानी साहब के रूहानी पैग़ामो और मुक़्तदा अल सद्र के लड़ाकों ने एक बार फिर मौला अली और शहीदाने कर्बला की ज़मीन को यज़ीदो की औलादों से महफूज़ कर लिया।सामरा और इसके इर्द गिर्द अमेरिकन एजेंट दाइश से खाली करा लिया गया।


खाड़ी मुल्कों में सबसे ज़यादा जरखेज ज़मीन वाले इराक में अनाज के साथ साथ पूरी दुनिया के देशों में तेल उत्पादन में 5 वा मुल्क है।
इराक कई बरसो से हो रही बर्बादी से आई तबाही से खड़ा हो रहा था यहाँ सिर्फ अरबाईंन समेत साल भर में करोड़ो लोगो की ज़ियारत के लिए आमद से सिर्फ वीजे से होने वाली अरबो डालर की आमदनी ,मुल्क में तरक्की के असबाब खोलने के लिए की जा रही कोशिश में एक दम से बेरोज़गारी भृष्टाचार के लिए उठने वाली साज़िशन आवाज़ के आका अमेरिका इज़राईल बन गए।
ईरान के खिलाफ भड़काने के साथ आयतुल्लाह सिस्तानी साहब के ऑफिस में हुड़दंग मचाने से शुरू हुए इस खास अरबाईंन के वक़्त एहतेजाज से हड़कंप मच गया,लेकिन फिर भी सैकड़ो लोग मर गए।
प्रदर्शनकारियों ने बीते एक अक्टूबर को बगदाद में प्रदर्शन की शुरुआत की थी,जो दक्षिण इराक़ के शिया बहुल शहरों में फैल गया.
अदेल अब्देल मेहदी अगले महीने प्रधानमंत्री के तौर पर एक साल का कार्यकाल पूरा कर लेंगे.
तहरीर चौक पर बात करते हुए 27 साल के प्रदर्शनकारी अब्दल्लाह वालिद ने कहा, ‘हम नौकरी और बेहतरी सेवाएं चाहते हैं. हम इसकी कई सालों से मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया.
उन्होंने कहा, ‘प्रदर्शनकारी अधिकांश नाराज युवा हैं, जो किसी राजनीतिक या धार्मिक संगठन से ताल्लुक नहीं रखते. वे बेहद निराश है क्योंकि उनके पास नौकरियां नहीं हैं.और वो चाहते है।

इराक की अवाम भी अजीबो गरीब है वो बगैर कुछ किये हुए सरकार उनको निवाला बनाकर खिलाये और उनकी ऐशो इशरत का सामान मुहैय्या कराए ये चाहती है।

पिछले दिनों की रिपोर्ट के अनुसार पवित्र नगर कर्बला, नजफ़ और बसरा में होने वाले प्रदर्शनों में शामिल लोग, वरिष्ठ धर्मगुरु आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली सीस्तानी की ओर से जारी किए गये रोड मैप के हक़ में नारे लगा रहे थे।

कर्बला में होने वाले प्रदर्शनों में शामिल प्रदर्शनकारियों ने जनसपत्ति को नुक़सान पहुंचाने और सुरक्षा बलों पर हमलों की निंदा करते हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखने का संकल्प दोहराया।

पवित्र नगर नजफ़ में भी हज़ारों की संख्या में इराक़ी प्रदर्शनकारियों ने धार्मिक नेतृत्व की आवाज़ पर सड़कों पर निकलकर प्रदर्शन किए जिसमें धार्मिक शिक्षा केन्द्रों के छात्रों और अध्यापकों ने भी भाग लिया।

धार्मिक शिक्षा केन्द्रों के छात्रों और धर्मगुरुओं का कहना था कि वह जनता की वैध और क़ानूनी मांगों और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों का समर्थन करते हैं। प्रदर्शनकारियों ने घोषणा की कि अमरीका और इस्राईल, इराक़ी जनता की आर्थिक मांगों और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को हाईजैक और दिगभ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं।

सबसे बड़ी बात ये है कि जिस इराक में बने इमामो पैगम्बरों के रौज़ों से पूरी दुनिया इनको वसीला बना ईश्वर से दुआ मांगती है और दुआए जो पूरी होती है।
यहाँ तेल का जखीरा ज़ायरीन और विदेशी लोगो के आने से होने वाली दुनिया की बड़ी आमदनी के बाद भी रिज़्क़ देने की गारंटी देने वाले अल्लाह से नाशुक्री की जा रही है।
और बेसब्री में ज़ुल्म ज़्यादती इंसानियत के कातिल बनना ज़ुल्म तश्दूद का हिस्सा बन कर इंसानियत बचाने के लिए आगे आने वालों की हत्या की और इराक को बर्बाद करने की साज़िश रची जा रही है। अब इसका पर्दाफाश हो चुका है।
सद्दाम के गुलाम और मुखबिर रही इराकी अवाम की इराक में अमेरिका इज़राईल के इशारे और मदद से इंतेशार फैलाने की कोशिशों को बेनकाब होने के बाद वहां की अवाम अब अपने इंक़लाबी लीडरों की हिफाज़त जालिमो से करने के लिये आगे आ रही है।
अब शैतान अवाम पर अल्लाह का शुक्र अदा करने वाली अवाम कितनी भारी होती है
ये उनकी रूहानी या शैतानी ताक़त पर निर्भर करेगा।

इराक में सरकार विरोधी प्रदर्शनों और देश के चिंताजनक स्थिति पर बड़ा बयान देते हुए पवित्र शहर कर्बला के इमामे जुमा और आयतुल्लाह सीस्तानी के दूत हुज्जतुल इस्लाम सय्यद अहमद साफी ने कहा कि इराक में जारी प्रदर्शनों के बीच प्रदर्शनकारी और पुलिस बल के बीच हुई झड़पों से बचना होगा ।
सय्यद अहमद ने आयतुल्लाह सीस्तानी का बयान पढ़ते हुए कहा कि बग़दाद, नजफ़ और देश के अन्य भाग में जारी प्रदर्शनों में कई लोग मारे गए तथा कई लोग ज़ख़्मी हुए हैं हमे इन घटनाओं को रोकना होगा और देश को गृहयुद्ध, और बर्बादी की ओर जाने से रोकना होगा इस हिंसा के अपराधियों को पहचान कर उन्हें कड़ा दंड देना होगा ।
मरजईयत ने सरकार गठन के समय से ही बार बार कहा है कि सरकार जनता की मांगों और उनके अधिकारों का सम्मान करें और उसे पूरा करे, क़ानून संगत सुधार बहुत ज़रूरी है, उससे बचा नहीं जा सकता ।
सय्यद अहमद ने मरजईयत का संदेश पढ़ते हुए कहा कि हम सभी पक्षों से अपील करते हैं कि वह इराक की वर्तमान स्थिति और उसके भविष्य का ख्याल रखें अपनी भावनाओं और निजी हित के लिए कोई क़दम न उठायें बल्कि देश और सामाजिक हितों का ख्याल करें।
मुक़तदा सद्र ने भ्रष्टाचारियों, षड्यंत्रकारियों और दुश्मनों से संघर्ष जारी रखने की ओर संकेत करते हुए कहा कि मैं वह नहीं हूं जो दुश्मन की धमकियों और मौत से डर जाऊं।

मुक़तदा सद्र को मिल रहे धमकी भर संदेशों के बारे में उन्होंने कहा कि संदेश खुला और स्पष्ट है, यदि सफल हो गये तो मेरी हत्या कर देंगे और मुझे रास्ते से हटा देंगे, मैं आपसे दुआ की अपील करता हूं।

उन्होंने बल दिया कि सुधार क्रांति, अपने समस्त विवरणों और मापदंडों के साथ बहुत अधिक लाभदायक और महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि अपने सुधारवादी क्रांति के लिए अपने शांतिपूर्ण प्रदर्शनों कों जारी रखें और यदि वह मार भी दिए जाएं तब भी यह क्रम जारी रखें। उन्होंने अपने समर्थकों के बीच कहा कि अधिकतर भ्रष्ट नेता न केवल अपने भ्रष्टाचार के सरकार सरकार में लौटे हैं बल्कि उनके पास इस समययय बहुत अधिक पैसा और हथियार हैं, वह आप लोगों पर एक क़ैदी की भांति नज़र रखना चाहते हैं किन्तु हम केवल ईश्वर के समाने ही शीश नवाएंगे।

वही लेबनान में हिजबुल्लाह के कमांडर आयतुल्लाह हसन नसरुल्लाह से अमेरिका इज़राईल की नींदे उड़ी हुई है,वो कभी भी हसन नसरुल्लाह को शहीद करनें से चूकने वाले नही,लेकिन अल्लाह के करम से अभी तक हिजबुल्लाह का बाल बांका नही कर पाये है।
लेबनान इराक में इज़राईल अमेरिका की इन साज़िशों के साथ इराक की अवाम को ईरान के खिलाफ भड़काकर उनको अलग करने का भी सिलसिला जारी है।
ईरान की एम्बेसी पर हमले अमेरिका इज़राईल अपनी प्लानिंग के तहत करवा रहे हैं।
जिसको अब अवाम भी समझने लगी है। और जल्द ही इनकी साज़िशों को नाकाम करेंगी।

 

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ईरान के रहबर आयतुल्लाह खामनेई का फ़तवा- परमाणु बम का इस्तेमाल हराम,एटम बम बनाने और उसके रख-रखाव पर पैसे ख़र्च नहीं करेगा ईरान,अमेरिका इज़राईल हैरान https://www.tahalkatoday.com/iran-ka-fatwa/ https://www.tahalkatoday.com/iran-ka-fatwa/#respond Wed, 09 Oct 2019 15:26:24 +0000 https://www.tahalkatoday.com/?p=13680 तहलका टुडे इंटरनेशनल डेस्क

तेहरान-ईरान के रहबरे मोअज़्ज़म आयतुल्ला ख़ामेनई ने कहा परमाणु बम के इस्तेमाल के धार्मिक दृष्टि से हराम होने के बारे में ईरान की साहसिक नीति की तरफ़ इशारा करते हुए कहा है कि ईरान, एटम बम बनाने और उसके रख-रखाव पर पैसे ख़र्च नहीं करेगा।
इस फतवे के बाद अमेरिका इज़राईल समेत पश्चिमी देशों की परमाणु बम के नाम पर लगाई गई बंदिशों पर इस बयान के बाद हैरत बढ़ गयी है।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार को देश के मेधावी व असाधरण क्षमताओं के स्वामी दो हज़ार युवाओं से मुलाक़ात के अवसर पर कहा कि हालांकि हम रास्ते पर आगे बढ़ सकते थे लेकिन हमने इस्लाम के आदेश के आधार पर, परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को पूरी तरह से हराम घोषित किया, इस लिए इस बात का कोई तर्क नहीं है कि हम उस चीज़ को बनाने और उसके रख-रखाव पर पैसे ख़र्च करें जो पूरी तरह से हराम है।

उन्होंने कहा कि इस्लामी क्रांति का एक अहम कारनामा, वैज्ञानिक क्षेत्रों समेत मुश्किल राहों पर चलने के लिए सभी का उत्साह वर्धन है जिसकी दुश्मनों ने भी तारीफ़ की है। वरिष्ठ नेता ने वैज्ञानिक क्षेत्रों में देश के कुछ कारनामों की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि देश में क्षमताओं के भरपूर इस्तेमाल से प्रतिरक्षा शक्ति, उपचार, विकसित चिकित्सा और बीमारियों पर नियंत्रण, तकनीकी व इंजीनियरिंग, नैनो टैकनोलोजी और शांतिपूर्ण परमाणु तकनीक जैसे क्षेत्रों में बहुत प्रगति हुई है।

रहबर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि हर मेधावी जवान, ईरान के शरीर का एक अंग है और इस प्रकार के लोगों की कठिनायां दूर करने के लिए मेधावियों के मामलों के रणनैतिक दस्तावेज़ को पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिये।

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दुनिया मे ईरान ने फिर मचाया हड़कंप, अब तेल अर्थव्यवस्था पर नही होगा निर्भर,नालेज बेस्ड टेक्नालॉजी में लगा दिया दिमाग,अमेरिका परेशान https://www.tahalkatoday.com/duniya-me-iraan-ka-hadkamp/ https://www.tahalkatoday.com/duniya-me-iraan-ka-hadkamp/#respond Wed, 09 Oct 2019 03:14:21 +0000 https://www.tahalkatoday.com/?p=13672 इंडिया से तहलका टुडे के एडिटर रिज़वान मुस्तफ़ा और एबीपी कंपनी के प्रेसिडेंट वफ़ा अब्बास भी तेहरान में रहे मौजूद

तेहरान-ईरान हुसैनिया इमाम ख़ुमैनी में आयोजित नालेज बेस्ड और हाईटेक कंपनियों की प्रदर्शनी में
रहबर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने तेल की अर्थव्यवस्था पर निर्भरता समाप्त करने और इसके सांस्कृतिक नुक़सान से बचने की आवश्यकता पर बल दिया।
रहबर ने तेहरान में के दौरे के अवसर पर नालेज बेस्ड से संबंधित 30 स्टालों का निरिक्षण किया और शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों से बातचीत की।
इस अवसर पर शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने वरिष्ठ नेता को ईरानी विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किए गये नवीन वैज्ञानिक आविष्कारों और तकनीकों के बारे में बताया।
नालेज बेस्ड कंपनियों ने इस प्रदर्शनी में कैंसर की पहचान, हेमो डाइलेसिस और रोबोट द्वारा आप्रेशन के लिए नवीन तकनीकों से संपन्न मेडिकल सिस्टम, लिबार्टीज़ में प्रयोग होने वाली मशीनों और उपकरणों, पूरी तरह से स्वदेश निर्मित नवीन दवाओं और टीकों, जेट मोटरों की डिज़ाइनिंग और उत्पादन, बिजली घरों के कंट्रोल सिस्टम, नवीन आधुनिक लेज़र सिस्टम और अपने तैयार किए गये कम्प्यूटर गेम्ज़ समेत कई नई नई टेक्नालॉजी के उत्पाद प्रदर्शनी में रखे थे।
रहबरे मोअज़्ज़म  ने तेल की अर्थव्यवस्था पर निर्भरता को समाप्त करने और उसके सांस्कृतिक नुक़सानों से बचने की आवश्यकता पर बल देते हुए प्रदर्शनी में मौजूद शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों की सराहना की।
इस अवसर पर विज्ञान और तकनीक के मामले में राष्ट्रपति के सलाहकार सूरना सत्तारी ने तेल की अर्थव्यवस्था पर निर्भरता को समाप्त करने और नालेज बेस्ड अर्थव्यवस्था की ओर आगे बढ़ने के लिए अपनी संस्था के कार्यक्रमों और उपलब्धियों का ब्योरा पेश किया।

भारत से तहलका टुडे के एडिटर रिज़वान मुस्तफ़ा और एबीपी कंपनी के प्रेसिडेंट वफ़ा अब्बास ने भी ईरान पहुँचकर कर यहाँ की टेक्नोलॉजी संस्कृति,जानने का गौरव प्राप्त किया।

प्राप्त किया।

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