वफा अब्बास-8840886338
दिल्ली-कैबिनेट मन्त्री सुषमा स्वराज ने देश की जनता को झंझट से मुक्ति एक नया तोहफा दिया हैं अब पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया में पुलिस अब सत्यापन के लिए आपके घर नहीं आएगी। सरकार ने पुलिसकर्मियों के आवेदक के घर जाने की अनिवार्यता खत्म कर दी है।पुलिस को अपने रिकॉर्ड जांचकर आवेदक की सिर्फ आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी देनी होगी।इससे सुविधा शुल्क के नाम पर होने वाली कम से कम 1 हज़ार रुपये की वसूली से जनता को राहत मिल सकेंगी।सरकार के इस फैसले का देश मे जमकर स्वागत हो रहा हैं।
मुख्य पासपोर्ट अधिकारी व संयुक्त सचिव अरुण कुमार चटर्जी ने नियमों में बदलाव की पुष्टि करते हुए कहा, पुलिस सत्यापन के लिए आवेदक का घर पर रहकर फॉर्म पर हस्ताक्षर करना जरूरी नहीं होगा। पुलिस को आवदेक से बात करने की भी जरूरत नहीं है। राज्यों को इस व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से लागू करने को कहा गया है।
सिर्फ छह सवाल: सूत्रों ने कहा, पुलिस फॉर्म में 12 सवालों की जगह छह सवाल कर दिए गए हैं। वहीं, पुलिस के घर जाने की अनिवार्यता समाप्त करने से आवेदक परेशानी से बचेंगे। कम मानव संसाधन का दबाव झेल रही पुलिस को भी फायदा होगा। इससे बेवजह होने वाली देरी भी खत्म होगी। .
ज्यादा पैसा : सामान्य पासपोर्ट में सत्यापन रिपोर्ट 21 दिन की समय सीमा में देने पर पुलिस विभाग को प्रति आवेदन 150 रुपये दिए जाते हैं जबकि निर्धारित समय के बाद 50 रुपये मिलते हैं।
सूत्रों ने बताया कि यदि पुलिसकर्मी को आवेदक की आपराधिक पृष्ठभूमि जांचने घर जाना जरूरी है या अन्य जांच करनी है तो वे कर सकते हैं। लेकिन घर जाकर आवेदक के निवास का सत्यापन करना या आवेदक के फॉर्म पर दस्तखत कराने की प्रक्रिया समाप्त कर दी गई है। आवेदक को अपने पुराने पतों की जानकारी देने की बजाय केवल मौजूदा पते की जानकारी देनी है।
सूत्रों ने बताया कि यदि पुलिसकर्मी को आवेदक की आपराधिक पृष्ठभूमि जांचने घर जाना जरूरी है या अन्य जांच करनी है तो वे कर सकते हैं। लेकिन घर जाकर आवेदक के निवास का सत्यापन करना या आवेदक के फॉर्म पर दस्तखत कराने की प्रक्रिया समाप्त कर दी गई है। आवेदक को अपने पुराने पतों की जानकारी देने की बजाय केवल मौजूदा पते की जानकारी देनी है।