नफरत की बात करने वाले पुजारी से CM बने योगी के राज्य मे बन गई एकता भाईचारे की एक नई मिसाल,हिन्दूओ ने शिव मन्दिर के खोल दिये द्वार,मुसलमानो को पुजारी अमर सिंह ने पढ़वायी नमाज़, हर तरफ इस्तेक़बाल

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मुस्लिम समुदाय के लोग जब शिव मंदिर के परिसर में नमाज अदा कर रहे थे, तो हिंदू धर्म के लोगों ने उनकी सुविधाओं का ख्याल रखा। यह खबर धीरे-धीरे पूरे इलाके में फैल गई। सबने स्थानीय हिंदुओं की तारीफ की।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के जैनपुर गांव में रविवार (2 दिसंबर) को जाम में फंसे मुस्लिम समुदाय के लोगों को नमाज पढ़ने के लिए हिंदू समुदाय के लोगों ने शिव मंदिर का दरवाजा खोल दिया। वजू करने के लिए तत्काल पानी का इंतजाम किया गया। इसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शिव मंदिर में नमाज पढ़ी। नमाज के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसका पूरा ख्याल रखा गया। नमाज के बाद सभी को जलपान करा विदा किया गया। हिंदू-मुस्लिम भाईचारे को बढ़ावा देने वाली इस घटना की खबर मिलने के बाद हर जगह लोग तारीफ कर रहे हैं।
दरअसल, शनिवार (1 दिसंबर) से बुलंदशहर में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक सम्मेलन ‘इज्तेमा’ शुरू हुआ है। इसमें शामिल होने के लिए मुस्लिम समुदाय के लोग काफी दूर-दूर से आ रहे हैं। लोग ट्रैक्टर से लेकर अपने निजी वाहन में सवार होकर यहां पहुंच रहे हैं। इसी दौरान जब मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग जैनपुर गांव के समीप पहुंचे तो उस समय जौहर की नमाज का वक्त होने लगा था। लेकिन ‘इज्तेमा’ की वजह से लंबा जाम लगा हुआ था। ऐसे में ये लोग किसी हाल में इज्तेमा वाली जगह पर नमाज के वक्त नहीं पहुंच सकते थे।
वक्त को ध्यान में रख मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हिंदू समुदाय के स्थानीय लोगों से वहां नमाज पढ़ने देने का आग्रह किया। इनके आग्रह के बाद गांव के प्रधान ने नमाज के लिए मंदिर परिसर का दरवाजा खोलने और परिसर का इस्तेमाल करने की इजाजत दी। साथ ही इस बात का भी पूरा ख्याल रखा गया कि किसी नमाजी को कोई परेशानी न हो।
मुस्लिम समुदाय के लोग जब शिव मंदिर के परिसर में नमाज अदा कर रहे थे, तो हिंदू धर्म के लोगों ने उनकी सुविधाओं का ख्याल रखा। यह खबर धीरे-धीरे पूरे इलाके में फैल गई। सबने स्थानीय हिंदुओं की तारीफ की और कहा कि सभी मजहब एक समान है। कोई भी मजहब आपस में बैर करना नहीं सिखाता है। हिंदू-मुस्लिम सभी इंसान हैं। सबके खून का रंग भी एक ही है। ऐसे में भेदभाव क्यों? सबकी जुबान पर इकबाल की ये पंक्तियां थी, “मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना। हिन्दी है हम, वतन है हिंदोस्तां हमारा।”

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