नई दिल्ली । वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सूचीबद्ध कंपनियों के साथ काम करने वाले ऑडिटरों एवं अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों के लिए नए प्रावधान प्रस्तावित किए हैं।
इसके तहत डिफॉल्टरों को प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित किए जाने तथा शुल्क का पुनर्भुगतान समेत कड़ी दंडात्मक कार्रवाइयों का सामना करना पड़ेगा। गलत ऑडिट या मूल्यांकन रिपोर्ट का दोषी पाए गए लोगों को प्रक्रिया के तहत हुए गैरकानूनी लाभ का भुगतान करना होगा।
ये प्रस्तावित प्रावधान इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ऑडिटरों एवं मूल्यांकनकर्ताओं की भूमिका सत्यम एवं किगफिशर घोटालों, पीएनबी घोटाला, व्हाट्सएप लीक तथ फोर्टिस जैसे बड़े मामलों में संदेह के घेरे में आयी है। सेबी प्रतिभूति बाजार में जिम्मेदार व्यक्तियों के लिए नियमन विस्तृत कर रही है
ताकि भविष्य में इस तरह के घोटाले रोके जा सकें। सेबी ने इस संबंध में सार्वजनिक परामर्श दस्तावेज जारी किया है जिसके ऊपर सभी संबंधित पक्षों को 12 अगस्त तक राय देनी है। सभी टिप्पणियों को देखने के बाद प्रावधानों को अंतिम स्वरूप दिया जाएगा।
नए प्रावधानों के पीछे के तर्क के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि निवेशकों का भरोसा प्रतिभूति बाजार के सफल परिचालन के लिए है। उन्होंने कहा, सेबी के प्राथमिक उद्देश्यों में यह सुनिश्चित करना है कि वित्तीय परिणामों एवं अन्य सूचनाओं का पूरी तरह से समय पर और सही खुलासा हो जो कि निवेशकों के निर्णय के लिए जरूरी है।