सांडों की नसबंदी पर BJP सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने की आपत्ति,मचा हड़कम्प,आदेश निरस्त

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तहलका टुडे टीम

मध्यप्रदेश में एक सरकारी आदेश पर इतना विवाद हुआ कि आखिरकार सरकार को उसे वापस लेना पड़ गया. दरअसल, पशुपालन विभाग ने पूरे प्रदेश के अनुपयोगी सांडों की नसबंदी का आदेश निकाला था, लेकिन खुद भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के विरोध के अगले ही दिन विभाग ने आदेश निरस्त कर दिया.

बुधवार शाम को पशुपालन विभाग ने आदेश का निरस्तीकरण जारी करते हुए बताया कि ‘पशुपालन विभाग द्वारा सांडों का बधियाकरण कार्यक्रम चलाया जाना था, लेकिन आज बुधवार को इस अभियान को स्थगित कर दिया गया है. पशुपालन एवं डेयरी विभाग संचालक डॉ. आर.के. मेहिया ने अभियान को स्थगित करने का आदेश जारी किया है’.

एमपी सरकार के फैसला वापस लेने पर साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि मैंने इस आदेश के बारे में सीएम शिवराज सिंह चौहान और पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल से बात की थी. इसके बाद यह आदेश कैंसल हुआ है.

4 अक्टूबर को निकला था आदेश

मध्यप्रदेश सरकार के पशुपालन विभाग की तरफ से मध्यप्रदेश के सभी ज़िला कलेक्टरों को आदेश जारी किए गए थे कि निकृष्ट सांडों की संख्या में निरंतर हो रही वृद्धि को देखते हुए बधियाकरण (नसबंदी) अभियान 4 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक चलाया जाए. इसके लिए सभी गांव के पशुपालकों के पास/गौशालाओं में उपलब्ध या निराश्रित निकृष्ट सांडों का बधियाकरण किया जाए.

इस आदेश का एक तरफ पशुपालकों और हिन्दू संगठनों ने विरोध किया था तो वहीं भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने भी सांडों की नसबंदी पर सवाल खड़े किए थे और कहा था कि ‘गलत तरीके से और निर्दई ढंग से मवेशियों की नसबंदी करने की जैसे ही जानकारी मिली. उन्होंने भोपाल कलेक्टर, पशुपालन मंत्री और मुख्यमंत्री से इस आदेश पर तत्काल रोक लगाने की अपील की थी.

प्रकृति के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए’

उन्होंने कहा था, प्रकृति के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए. यदि देसी सांडों की नसबंदी की गई तो नस्ल ही खत्म हो जाएगी’. वहीं सांडों की नसबंदी का आदेश निरस्त होने के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि ‘मुझे लगता है कि यह आदेश कोई आंतरिक षड्यंत्र है, इससे सावधान रहने की जरूरत है. देसी गोवंश को नष्ट नहीं होना चाहिए. इस मामले की मुख्यमंत्री से जांच कराने की मांग करूंगी’.

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