नई दिल्ली : राफेल जेट विमान बनाने वाली कंपनी दसॉ एविएशन के कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एरिक ट्रैपियर ने कहा है कि फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान खरीद के सौदे में नागपुर स्थित रिलायंस के साथ कंपनी के संयुक्त उपक्रम के पास ऑफसेट दायित्व की महज 10 फीसदी हिस्सेदारी होगी।
उन्होंने कहा कि रक्षा खरीद प्रक्रिया के तहत भारत सरकार की जरूरतों को पूरा करने के लिए उनकी करीब एक सौ भारतीय कंपनियों के साथ बातचीत चल रही है।
ट्रैपियर ने एक साक्षात्कार में कहा, नियमों का पूर्ण अनुपालन के साथ दसॉ एविएशन ने रिलायंस के साथ संयुक्त उपक्रम डीआरएएल बनाने का फैसला लिया और नागपुर में एक संयंत्र स्थापित किया, जिसके पास 10 फीसदी ऑफसेट दायित्व होगा।
उन्होंने इस बात को दोबारा स्पष्ट किया कि दसॉ एविएशन ने अपने ऑफसेट साझेदार का चयन किया है। उन्होंने कहा, संदर्भ यह है कि हमने जो करार किया है उसे ऑपसेट करार कहते हैं। उन्होंने कहा, ऑफसेट करार करना भारत के कानून (रक्षा खरीद प्रक्रिया) के अनुसार आवश्यक है।
ऑफसेट पर अमल करना एक दायित्व है और भारत के कानून के अनुसार, साझेदारों का चयन करना हमारे ऊपर है। ट्रैपियर ने कहा कि दसॉ एविएशन ने संयुक्त उपक्रम दसॉ रिलायंस एरोस्पेस लिमिटेड (डीआरएएल) के माध्यम से लंबी अवधि तक भारत में अपनी मौजूदगी बनाए रखने का फैसला लिया है।
संयुक्त उपक्रम का संचालन भारत के एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी और फ्रांस के मुख्य संचालन अधिकारी द्वारा किया जाता है। उन्होंने कहा, संयुक्त उपक्रम फाल्कन 2000 और राफेल के कलपुर्जे तैयार करेगा।