पूरी दुनिया को पैग़ाम, इंसाफ पसंद ही हो सकता है ईरान का राष्ट्रपति,न्यायपालिका प्रमुख बेहतरीन विचारों वा हिंदुस्तान से बेहद मोहब्बत करने वाले आयतुल्लाह इब्राहीम रईसी ने चुनाव जीता, ईरान के होंगे अगले राष्ट्रपति,अमेरिका इज़राईल की धड़कने बढ़ी

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तहलका टुडे टीम

नई दिल्ली. राष्ट्रपति चुनाव में ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयतुल्लाह अली खामनेई के समर्थक और न्यायपालिका प्रमुख इब्राहीम रईसी ने काफी बड़े अंतर से चुनाव जीत लिया है. रईसी ईरान के अगले राष्ट्रपति होंगे. रईसी ने एक करोड़ 78 लाख वोट हासिल किये.

ईरान के राष्ट्रपति चुनावों में बेहतरीन विचारों वाले इब्राहीम रईसी ने जीत हासिल कर ली है. 62 फीसदी वोटों के साथ जीत दर्ज करने के बाद रईसी ने देश के नागरिकों का धन्यवाद किया और कहा कि वो सभी के भरोसे पर खरा उतरेंगे.

रईसी इसी साल अगस्त महीने की शुरूआत में पद की शपथ लेंगे. माना जा रहा रहा है कि देश की घरेलू राजनीति और विदेशी मामलों में उनका काफी प्रभाव रहेगा.

ईरान की राजनीतिक व्यवस्था में देश से जुड़े सभी मसलों पर आख़िरी फ़ैसला सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली ख़ामनेई का होता है. सुप्रीम लीडर के बाद देश में का दूसरा सबसे बड़ा पद राष्ट्रपति का होता है.

लेकिन माना जा रहा है कि रईसी को सुप्रीम लीडर का भरोसा प्राप्त है. उन्हें ख़ामनेई के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है.

अब से थोड़ी देर पहले रईसी ने मौजूदा राष्ट्रपति हसन रूहानी से मुलाक़ात की जिसके बाद दोनों नेता मीडिया के सामने आए. रईसी ने कहा कि उनकी सरकार लोगों की बेहतरी के लिए काम करने का हरसंभव कोशिश करेगी.

शुक्रवार 18 जून को ईरान में राष्ट्रपति के चुनाव के लिए वोट डाले गए थे. राष्ट्रपति पद की रेस में कुल चार उम्मीदवार थे.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ़ ने कहा है कि इब्राहीम रईसी देश के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति हैं और सभी को अब उनके साथ मिलकर काम करना है.

रईसी ईरान के पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन पर राष्ट्रपति बनने से पहले ही अमेरिका प्रतिबन्ध लगा चुका है. वर्ष 1988 में राजनैतिक कैदियों की सामूहिक हत्या के समय वह ईरान की न्यायपालिका के मुखिया थे. उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई थी और अमेरिका ने उन पर प्रतिबन्ध लगाया था. प्रतिबन्ध लगने के 33 साल बाद ईरान ने उन्हें देश के सर्वोच्च पद पर बिठा दिया.

राष्ट्रपति के रूप में रईसी को इजराइल और अमेरिका की दुश्मनी उत्तराधिकार में मिल रही है. परमाणु करार को बचाने के लिए विश्व शक्तियों के सामने मजबूती के साथ ईरान का पक्ष रखना उनके सामने एक बड़ी चुनौती होगी.

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