पिता का निधन,बीटेक में 5 सब्जेक्ट में बैक के बाद जो कॉफिडेंस बना उसने श्रुति शर्मा को 15 दिनों की तैयारी के बाद UPSC एग्जाम के करवा दिया टॉप

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Upsc क्लियर करने का सपना हर पढ़े-लिखे युवा का होता है, लेकिन इसमें कामयाबी चुनिंदा लोगों को ही मिल पाती है। आज हम आपको IES अधिकारी श्रुति शर्मा की कहानी बताएंगे। श्रुति ने UPSC ESE एग्जाम सिर्फ 15 दिन की तैयारी से क्लियर कर लिया था। श्रुति शर्मा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि बी.टेक के दौरान उनकी पांच सब्जेक्ट में बैक आई थी, ऐसे में उन्हें खुद भी विश्वास नहीं था कि वह यूपीएससी जैसे कठिन एग्जाम को क्लियर कर लेंगी।

श्रुति शर्मा कहती हैं, ‘मैं एक जॉइंट फैमिली से आती हूं। मेरे परिवार में किसी ने कभी कोई नौकरी नहीं की थी। मैं अपने परिवार की पहली शख्स हूं जो नौकरी करना चाहती थी। आमतौर पर हमारे परिवार में सभी लोग बिजनेस किया करते हैं। मैं पढ़ाई में थोड़ी ठीक भी थी इसलिए मेरे पिता चाहते थे कि मैं आगे अपनी पढ़ाई जारी रखूं। बी.टेक में एडमिशन मिल तो गया, लेकिन मैं दोस्तों के साथ मस्ती करने में ही ज्यादा समय बिताती थी।’
कॉलेज के दिनों को याद करते हुए श्रुति ने बताया, ‘पहले साल में मेरी दो सब्जेक्ट में बैक आई थी। दूसरे साल में तीन सब्जेक्ट में बैक थी। मैंने जैसे-तैसे करके इंजीनियरिंग पूरी की। इस बीच मेरे पिता को लीवर की गंभीर बीमारी हो गई। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। गेट के एग्जाम में मेरी रैंक अच्छी नहीं आई। मैंने दोबारा एग्जाम दिया और कामयाबी भी मिल गई, लेकिन मन ही मन मैं बहुत उदास थी। क्योंकि मेरे पिता की तबीयत लगातार खराब होती जा रही थी।’
दोस्तों ने दी UPSC की सलाह: श्रुति ने कहा, ‘मेरा बिल्कुल भी यूपीएससी एग्जाम देने का मन नहीं था, लेकिन दोस्तों ने इसके लिए जिद्द करी। मैंने एग्जाम देने का फैसला कर लिया। पहला प्रयास मैंने यूं ही मस्ती में दे दिया और मैं सिर्फ 2 अंकों से रह गई। इसके बाद मुझे विश्वास होने लगा कि मैं इस एग्जाम को क्लियर कर लूंगी। दूसरे प्रयास में भी मेरा नहीं हुआ। इस बीच मेरे पिता की तबीयत इतनी खराब हो गई कि उन्होंने परिवार के किसी भी शख्स को पहचानना बंद कर दिया।’
पिता का निधन: अपने पिता के आखिरी दिनों को याद करते हुए श्रुति कहती हैं, ‘पिता का निधन होने के बाद मैंने फैसला किया कि अब मैं हार नहीं मानूंगी। मैं बहुत बुरी तरह टूट चुकी थी। तीसरे प्रयास के लिए मेरी तैयारी भी बहुत कम हो पाई थी और सिर्फ 15 दिन की तैयारी के बाद आखिरकार तीसरे प्रयास में मैं कामयाब हो गई। मैं बस यही कहना चाहती हूं कि जीवन में परेशानियां तो आती हैं, लेकिन आपको इन्हें पार करना आना चाहिए और निराश बैठने से कुछ हासिल नहीं होगा।’

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