वाशिंगटन। भारतीय लोगों के बीच सहिजन, मुनगा और ड्रमस्टिक नाम से पहचाने जाने वाले पेड़ का एक अन्य इस्तेमाल वैज्ञानिकों ने खोज निकाला है। एक नए शोध में सामने आया है कि सहजन के बीज पानी को शुद्ध करने में सहायक हो सकते हैं और विकासशील देशों में बेहद कम कीमत में लाखों लोगों को शुद्ध जल मुहैया करा सकते हैं। सहजन का उपयोग सब्जी और प्राकृतिक तेलों के लिए किया जाता है
और उसके बीजों का इस्तेमाल पानी शुद्ध करने के देशी तरीके के तौर पर किया जाता है। हालांकि यह विधि ज्यादा कारगर नहीं है। अमेरिका के कारनेगी मेलेन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने रेत और सहजन से जल शोधन के लिए सस्ता और प्रभावी पानी निस्पंदन माध्यम तैयार किया है। इसका नाम उन्होंने एफ- सैंड रखा। शोधकर्ताओं ने सहजन से सीड प्रोटीन अलग किए और रेत के मुख्य घटक सिलिका पार्टिकल्स के साथ मिलाकर एफ-सैंड पर रखा।
शोधकर्ताओं ने पाया कि इसने पानी में मौजूद सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर दिया, साथ ही अशुद्धियों को कम किया। इस अशुद्धियों को भी बाद में दूर किया गया और इस बेहद सरल तरीके से शुद्ध पानी उपलब्ध था। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 2.1 अरब लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिलता । इनमें से अधिकतर लोग विकासशील देशों में रहते हैं।