नई दिल्ली । दिल्ली में अक्टूबर और नवंबर महीने में भारी धुंध का मुख्य कारण फसलों के अवशेष (धान की पराली) को जलाना रहा है। कारण, इस दौरान पंजाब में पराली जलाने का सीजन चरम पर था। इसकी वजह से दिल्ली में प्रदूषण का लेवल दो गुना बढ़ गया। यह दावा हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने नासा की सेटेलाइट से मिले डाटा के अध्ययन के बाद किया।
उल्लेखनीय है कि पंजाब-हरियाणा में दूसरी फसल बोने (रोपने) के लिए बड़ी संख्या में किसान फसलों के अवशेष को जला देते हैं। इन अवशेषों से निकले धुओं ने दिल्ली में पहले से मौजूद प्रदूषण के स्तर को बढ़ा दिया। पिछले कुछ वर्षों से शरद ऋतु में दिल्ली में प्रदूषण की मोटी परत जम जाती है।
जबकि कुछ साल पहले से ही फसलों के अवशेष जलाने पर प्रतिबंध है। हालांकि इस धुएं से कितना प्रदूषण फैलाता है इसकी मापी नहीं की गई है। हार्वड्र्र विवि के अध्ययन में यह साफ हो गया है कि अक्टूबर-नवंबर में पंजाब में फसलों के अवशेष जलाने के कारण भी दिल्ली के प्रदूषण में बढ़ोतरी हुई।
वायु में 20 गुना प्रदूषण
हार्वर्ड विवि के स्नातक छात्र डेनियल एच क्रासवर्थ के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मापदंड से दिल्ली में इस दौरान 20 गुना वायु प्रदूषित हो जाती है।
2012 से 2016 के डाटा का किया अध्ययन
टीम ने अपने अध्ययन में 2012 से 2016 के नासा के अक्टूबर-नवंबर महीने के डाटा को लिया। धुएं का फैलाव किस तरह से और किस दिशा में होता है, इसका अध्ययन किया। इसमें यह बात सामने आई कि मानसून के बाद के मौसम में धुएं का फैलाव नहीं होता। शहरी इलाकों में कार, फैक्ट्री आदि से धुओं का फैलाव होता है।