“समर्थकों की गिनती” से नहीं, “नेतृत्व गढ़ने के गुण” से आदर्श बनते हैं- मुख्तार अब्बास नक़वी
“वक्फ बिल आने से पहले तहलका”
प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने कान में कुछ कहा
“छोटे लोहिया” श्रद्धेय जनेश्वर मिश्र जी की 92 वीं जयंती के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित संगोष्ठी में सपा आप नेताओ के बीच में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी का पहुंचने से हड़कंप
तहलका टुडे टीम
नई दिल्ली,पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने आज यहाँ कहा कि नेता “समर्थकों की गिनती” से नहीं, “नेतृत्व गढ़ने के गुण” से आदर्श बनते हैं।
आज नई दिल्ली में “छोटे लोहिया” श्रद्धेय जनेश्वर मिश्र जी की 92 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में श्री नकवी ने कहा कि महात्मा गांधी, डाक्टर लोहिया, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, डाक्टर अम्बेडकर, जनेश्वर मिश्र ऐसी शख्सियत हैं जो नेतृत्व गढ़ने की पाठशाला और लीडरशिप स्थापित करने का संस्थान थे। जिन्होंने भारत को नेतृत्व का बेहतरीन खजाना और ब्रांड दिया।
श्री नकवी ने कहा कि जनतंत्र में जननेता महलों की चारदीवारी से नहीं, मुहल्लों के चौराहों, चौपालों से बनते हैं।
श्री नकवी ने कहा कि नेतृत्त्व निर्माण की पाठशाला का प्रमुख पाठ्यक्रम संघर्ष, संकल्प , समावेशी सोंच, लोकतांत्रिक-संवैधानिक प्रतिबद्धता है, नेतृत्व निर्माण की ऐसे संस्थान, पाठशालाओं की अनुपस्थिति गुणवत्तापूर्ण नेतृत्व निर्माण की कमी का एहसास कराती है।
श्री नकवी ने कहा कि नेतृत्व निर्माण किसी मशीन से नहीं, लोकतांत्रिक मिशन से होता है, मज़बूत नेतृत्व ही महफूज़ लोकतंत्र की महत्वपूर्ण जरूरत है।
श्री नकवी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में भी ओरिजिनल इंटेलिजेंट लीडरशिप ही देश दुनिया के सरोकार की सुरक्षा, संरक्षण करने में समर्थ साबित हुई है। उन्होंने कहा कि दुनिया के उथल-पुथल के बीच भारत के लिए स्टेबिल सरकार और कैपेबिल नेतृत्व वक्त की ज़रूरत है।
श्री नकवी ने कहा कि पेड़ लगाने की मुहिम के साथ नए नेतृत्व की पौध लगाने का संकल्प भी ज़रूरी है। यही उक्त महान नेताओं को वास्तविक श्रद्धांजली होगी।
इस अवसर पर सांसद प्रोफसर राम गोपाल यादव, सनातन पांडे, राजीव राय, संजय सिंह, मनोज झा, धर्मेंद्र यादव, सुश्री महुआ मोईत्रा, उज्ज्वल रमन सिंह, जावेद अली खान और अक्षय यादव तथा धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षिक, आर्थिक क्षेत्र के प्रमुख लोगों की गरिमामयी उपस्थिति रही।