हम इस माहौल में जिन्दा नहीं रह सकते। हम एक दूसरे के बगै़र रह ही नहीं सकते,पता नहीं क्यों हमें अलग रहने की कोशिश की जा रही है? ये फर्ज़ नई पीढ़ी का है,आपकी जिम्मेदारी है देश को सम्भालना::मोहसिना किदवई

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तहलका टुडे टीम/पाटेश्वरी प्रसाद

बाराबंकी। हमारे मुल्क का मिज़ाज है भाईचारा, अमन, शान्ति और एक दूसरे के गले लगकर मुबारकबाद देना। इस देश में होली और ईद दो ऐसे त्योहार होते हैं, जिसमें लोग एक-दूसरे को गले मिलकर मुबारक़बाद देते है। यही हमारे मुल्क की साझी विरासत है।

यह बात मंगलवार को नगर के मुगल दरबार स्थित सभागार में सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीमती मोहसिना क़िदवाई की आत्मकथा ‘माई लाइफ़ इन इंडियन पॉलिटिक्स‘ पुस्तक विमोचन की मुख्य अतिथि वयोवृद्ध वरिष्ठ राजनेत्री श्रीमती मोहसिना क़िदवाई ने की। इस दौरान सेवा संस्थान के अध्यक्ष मो उमैर क़िदवाई और सचिव अनवर महबूब किदवई ने श्रीमती मोहसिना किदवई को मोमेंटो व शॉल देकर सम्मानित किया।

श्रीमती किदवई ने आगे कहा कि नवजवान आप अपनी जिम्मेदारी का एहसास करो। आपकी घर और परिवार की जिम्मेदारी है, लेकिन मैं उस जिम्मेदारी का एहसास करा रही हूं जो जिम्मेदारी इस देश के प्रति आपकी है उसे एहसास कीजिए।

उन्होंने कहा कि आज का जो माहौल बना हुआ है। हम लोग इस माहौल के आदी नही है। हम इस माहौल में जिन्दा नहीं रह सकते। हम एक दूसरे के बगै़र रह ही नहीं सकते। पता नहीं क्यों हमें अलग रहने की कोशिश की जा रही है? ये फर्ज़ नई पीढ़ी का है। आपकी जिम्मेदारी है देश को सम्भालना। आप कैसा हिंदुस्तान बनाओगे, किस तरह का हिन्दुस्तान आप चाहते हो। एक हिंदुस्तान जो जाति, बिरादरी में तक़सीम है, वो हिंदुस्तान जो मज़हब और धर्म में तक़सीम है, या वो हिंदुस्तान जिसकी कल्पना गांधी, नेहरू, पटेल और मौलाना आज़ाद ने की थी। जिन्होंने इस गुलशन को बनाया। उन्होंने उस हिंदुस्तान का ख़्वाब देखा, जिसकी बाग में हर रंग और खुशबू के फूल को बराबर से झूमने और हंसने का हक़ हासिल हो। जिसका ख्वाब हमारे पूर्वजों ने देखा था।

विषिष्ट अतिथि पूर्व सांसद डॉ पीएल पुनिया ने कहा कि मोहसिना किदवई की 90 साल की उम्र में, 65 साल से ज्यादा के राजनीतिक अनुभवों को इस किताब में उतारा है। यह किताब राजनीति करने वाले और राजनीति में आने वाले लोगों को प्रेरणा देगी। उनके लिए उपयोगी साबित होगी।
गांधीवादी राजनाथ शर्मा ने कहा कि मोहसिना किदवाई ने राजनीति में अर्न्तराष्ट्रीय ख्याति अर्जित की। उन्होंने सिखाया कि राजनीति में लोगों से मतभेद हो सकते हैं लेकिन मनभेद नहीं हो सकते है। लेकिन वर्तमान परिस्थितियां भिन्न है। लोगों ने मतभेद के साथ ही मनभेद भी बना रखे है। जिसका राजनीति में विपरीत असर पड़ रहा है।

मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि मोहसिना किदवाई के सामाजिक जीवन में मौलाना आज़ाद नक्षे कदम की छाप दिखाई पड़ती है। हम अपने बचचों को डाक्टर, इंजीनियर, नौकरशाह बनाना चाहते है लेकिन राजनेता कोई नहीं बनाना चाहता। जबकि हमारे डीएनए में हुकूमत लिखी हुई है।

समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ कांग्रेसी नेता चचा अमीर हैदर ने किया। वरिष्ठ पत्रकार हशमत उल्लाह ने आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम का संचालन समाजसेवी फज़ल इनाम मदनी ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से पुस्तक के लेखक रशीद क़िदवाई, मो उमैर किदवई, फराज़ किदवई, शहाब खालिद, अनवर महबूब किदवई, हुमायूं नईम खान, बृजेश दीक्षित, नैय्यर जमाल, इरफान किदवई, राकेश त्रिवेदी, इरम किदवई, शहजादे आलम वारसी, दिलीप गुप्ता, पाटेश्वरी प्रसाद, हफीज भारती, सलाहउद्दीन किदवाई सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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