:: नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने सीआईआई के कार्यक्रम में कही खरी-खरी बातें ::
इन्दौर । देश में नौकरशाही और न्यायिक व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत है। स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में तो और ज्यादा सुधार की गुंजाईश है क्योंकि मेडिकल कौंसिल आफ इंडिया की व्यवस्थाएं अब अप्रासंगिक हो गई हैं। इसे बदले बिना आम लोगों तक चिकित्सकीय सुविधाएं पहुंचाना मुश्किल है। इस दिशा में स्वास्थ्य सुविधाओं को और पुख्ता बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
ये विचार हैं भारत सरकार के नीति आयोग के सीईओ और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमिताभ कांत के, जो उन्होंने शुक्रवार को कान्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज द्वारा होटल मेरिएट में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। प्रारंभ में सीआईआई म.प्र. के चेयरमेन अंशुल मित्तल एवं अन्य पदाधिकारियों ने उनका स्वागत किया। कांत ने कहा कि देश के सरकारी उपक्रमों को भी 21वीं सदी के अनुरूप अपडेट करने की जरूरत है।
किसी भी देश के विकास में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। भारत में भी इस श्रेणी के उद्योगों का काफी विस्तार हुआ है लेकिन अभी भी हमारी सोच में बदलाव लाने की जरूरत है। हम केवल यह नहीं सोंचे कि लघु उद्योग के उत्पाद केवल अपने प्रदेश में ही आपूर्ति के लिए बनें बल्कि हमारा सोंच यह होना चाहिए कि अमेरिका, जापान और चीन का मार्केट भी हमारे उत्पादकों को मिले।
उन्होंने जीडीपी में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि फिलहाल केवल 22 फीसदी महिलाएं भी जीडीपी में भागीदार हैं। जीएसटी और रेरा कानून की तारीफ करते हुए कांत ने कहा कि देश की तकदीर और तस्वीर बदलने की दिशा में सरकार ने यह एक बड़ा कदम उठाया है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के उद्योगपति एवं कारोबारी उपस्थित थे।