दिल्ली: आम आदमी पार्टी से हाल ही में नाता तोड़ने वाले आशीष खेतान ने एक इलेक्ट्रॉनिक चैनल से इस्तीफे की वजहों को लेकर बातें कीं. बातचीत में आशीष खेतान ने कहा कि पिछले एक-डेढ़ साल से आत्म संदेह में था कि चुनावी राजनीति करनी चाहिए या फिर इसमें और गहरे तौर पर उतरना चाहिए. मुझे लगा कि जीवन के इस क्षण में और चुनावी राजनीति नहीं करना चाहिए. इसलिए अब दोबारा लिखने-पढ़ने का काम करूंगा. हो सकता है कि कभी किसी मोड़ पर पत्रकारिता भी करूं. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि अभी वक़ालत पर फोकस करना चाहता हूं, इसलिए पार्टी छोड़ी.
आम आदमी पार्टी को लेकर आशीष खेतान ने कहा कि पार्टी ने प्यार और इज्जत दी. पार्टी छोड़ने से पहले लोकसभा चुनाव लड़ने का ऑफर मिला, मगर मैंने मना कर दिया. अब आंदोलन का माहौल नहीं है, न ही वैसे हालात हैं. आशुतोष के इस्तीफे वाले सवाल पर आशीष ने कहा कि वह अपनी वजह खुद बताएंगे. मैं सिर्फ अपनी बात बता पाऊंगा.
आशीष ने कहा कि ऐसे फैसले आसान हीं होते. खासतौर से मध्यम वर्गीय परिवार से आए लोगों के लिए. मैं मिडिल क्लास परिवार सेआता हूं. आशुतोष भी ऐसे ही परिवार से आते हैं. हमें परिवार चलाना, बच्चों को बड़ा करना, स्कूल की फ़ीस देना, ईएमआई देना होता है. ऐसे में काफी चुनौती होती है.
उन्होंने कहा कि ज्यादातर पॉलिटिशियन चुनाव लड़ते रहते हैं. टिकट की लाइन लगती ही रहती हैं. टिकट पाने के लिए वह पार्टी के टॉप लीडर के इर्द-गिर्द घूमते रहते हैं. ऐसे बहुत कम लोग हैं, जो प्रोफेशनल हैं और पॉलिटिक्स में भी हैं. आम आदमी पार्टी में ज़्यादातर प्रोफेशनल आये थे. अब दो रास्ते हैं या तो ट्रेडिशनल नेताओं जैसा कोई इंतज़ाम करें या फिर प्रोफेशनल ही बने रहें, क्योंकि कहीं न कहीं मन कचोटता है कि फिर हम उस तरह के इंतज़ाम करके राजनीति में क्यों बने रहें?
कांग्रेस में शामिल होने के सवाल पर आशीष खेतान कहते हैं कि कल क्या होगा नहीं कह सकता. मगर पार्टी पॉलिटिक्स में जाने की मेरी कोई दिलचस्पी नहीं. साथ ही पंजाब में बगावत के मामले पर आशीष कहते हैं कि पंजाब की इकाई को संभालना एक मुश्किल काम है. क्योंकि एक वक्त ऐसा लगा था कि हम लगभग जीत गए और ऐसा ही हम सभी मानकर चल रहे थे, लेकिन हम हार गए. उस सदमे से वहां की यूनिट उबर नहीं पाई है. पंजाब की राजनीति संभालना वैसे भी आसान काम नहीं है.
जब आशीष खेतान से पूछा गया कि क्या आम आदमी पार्टी में कुछ गलत हो रहा है, तो इसके जवाब में वह कहते हैं कि मेरे लिए इस पर अभी कमेंट करना ठीक नहीं. यही नैतिकता है. पार्टी सही रास्ते पर है या गलत रास्ते पर है, इसका मूल्यांकन पत्रकार करेंगे, जनता करेगी.