मधेपुरा में अटलजी के निधन पर कई घरों में नहीं जले चूल्हे

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मधेपुरा । बिहार के मधेपुरा की पहचान यूं तो अल्पज्ञात सी है लेकिन आज इस शहर में देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से अजीब सी खामोशी और शोक व्याप्त है। स्थानीय लोग अटल जी के निधन से काफी आहत हैं। अटल जी के प्रेम में लोगों की आंखों से आंसू बह रहे हैं। वाजपेयी जी के निधन की सूचना मधेपुरा नगर परिषद क्षेत्र के कई घरों में चूल्हे नहीं जले।

क्या बुजुर्ग, क्या बच्चे हर कोई भूख की चिंता किए बगैर शोक में डूबे हुआ है। शहर के अलग-अलग जगहों पर अटल बिहारी वाजपेयी जी को चाहने वाले कैंडिल मार्च निकाल रहे हैं। कहीं-कहीं तो घरों के अंदर ही श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जा रहा है।

अटल बिहारी वाजपेयी अमर रहे के नारे से पूरा शहर गूंज रहा है। अटल जी के निधन की खबर सुनते ही पूरे शहर में शोक की लहर है। स्थानीय लोग उनकी निधन से काफी आहत हैं। मधेपुरा के लोगों का अटल जी के प्रति इतनी श्रद्धा, स्नेह और उनके विचारों से लगाव था कि लोग उनकी निधन से काफी आहत हैं। घर में चूल्हा भी नहीं जलाया और ना ही खाया खाना।

‘फ्रेंड्स ऑफ आनंद’ के जिलाध्यक्ष सह पूर्व नगर वार्ड पार्षद ध्यानी यादव की माने तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से इतने आहत हुए कि संवेदना व्यक्त करने के दौरान रो पड़े। पूरा परिवार मर्मांहत दिखा। उन्होंने कहा कि अटल जी के दल से हम नहीं जुड़े थे, बल्कि उनके विचार और उनके प्रति स्नेह के कारण दिल से जुड़े हुए थे।

निधन की खबर सुनते ही लगा कि मेरे परिवार के सदस्य का निधन हो गया है। वार्ड संख्या-14 की वार्ड पार्षद सदस्य रेखा देवी ने कहा कि जैसे ही उन्हें पता चला कि अटल जी की स्थिति नाजुक बनी हुई है, वैसे ही उनके स्वस्थ होने की कामना करने में जुट गई थी। ईश्वर को शायद यह मंजूर नहीं था और वाजपेयी जी चल बसे।

उन्होंने कहा कि इसलिए आज घर में चूल्हा नहीं जलाने का निर्णय लिया है। छात्रा अनिशा भारती ने कहा कि अटल जी के प्रति देश के लोगों में स्नेह और प्यार इतना था कि उनके निधन से हर भारतीय मर्मांहत है। रेड क्रॉस सोसायटी के सचिव रमेंद्र कुमार ने कहा कि देश में अब शायद ही ऐसे महामानव पैदा होंगे।

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