मकतबे फ़िक़्ही व कलामी हज़रत ग़ुफ़रानमॉब पर एक भव्य सेमिनार का आयोजन, ईरान और हिंदुस्तान के उलेमा और बुद्धिजीवियों ने लिया भाग

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मकतबे फ़िक़्ही व कलामी हज़रत ग़ुफ़रानमॉब पर एक भव्य सेमिनार का आयोजन, ईरान और हिंदुस्तान के उलेमा और बुद्धिजीवियों ने लिया भाग

तहलका टुडे टीम,लखनऊ के नूरे हिदायत फाउंडेशन की ओर से मकतबे फ़िक़्ही व कलामी हज़रत ग़ुफ़रानमॉब पर दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में विभिन्न वक्ताओं और लेखकों ने अयातुल्लाह सैय्यद दिलदार अली ग़ुफ़रानमॉब, उनके पांच बेटों और शागिर्दों की ज़िन्दगी और कारनामो पर प्रकाश डाला। सेमिनार में ख़ानदाने इज्तेहाद, ख़ानदाने अबाक़ात, ख़ानदाने जज़ाएरी,ख़ानदाने बाक़िरूल उलूम की ज़िन्दगी और कारनामो पर बात हुई और उनकी किताबो को भी प्रदर्शनी में प्रस्तुत किया गया।

3 मार्च को उद्घाटन सत्र की शुरुआत मौलाना हैदर मेहदी करीमी ने क़ुरान की तिलावत से की। उसके बाद खानवादये इज्तिहाद के चश्मो चिराग़ भारत की सुप्रीम रिलिजियस अथॉरिटी आफ़ताबे शरीयत मौलाना सैय्यद कल्बे जवाद नक़वी ने उद्घाटन सत्र को संभोधित करते हुए सभी मेहमानों का धन्यवाद किया और कहा कि हज़रत ग़ुफ़रानमॉब ने बर्रे सग़ीर में मकतबे इमामिया की तरक़्क़ी और मज़बूती के लिए में एहम भूमिका निभाई और आज बर्रे सग़ीर में जितने भी इल्मी ख़ानवादे हैं वो वास्ता या बिला वास्ता तौर पर हज़रत ग़ुफ़रानमॉब के शागिर्दों में शुमार होते हैं।

मौलाना तक़ी हैदर नक़वी ने हिंदुस्तान में अयातुल्लाह ख़ामेनई के प्रतिनिधि हुज्जत-उल-इस्लाम आग़ा शेख मेहदी मेहदवीपुर का संदेश पढ़ा, जो ईरान में होने के कारण कार्यक्रम में भाग नहीं ले सके। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान के उलेमा ने मकतबे तशय्यो की हिफाज़त और इमामिया अक़ाएद की तरवीज ओ तब्लीग़ और शुबहात के ईज़ले के लिए बड़ी कुर्बानिया पेश की हैं। आज मकतबे फ़िक़्ही व कलामी लखनऊ को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है ताकि उनके इल्मी आसार को ज़िंदा किया जा सके जो मकतबे ग़ुफ़रानमॉब का अज़ीम कारनामा है।

सेमिनार के अध्यक्ष और अल-मुस्तफा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ईरान के हिंदुस्तान में प्रतिनिधि हुज्जातुल इस्लाम अक़ाए रज़ा शाकिरी ने अपनी तक़रीर में फ़िक़ह ओ फ़क़ाहत का संक्षिप्त इतिहास पेश किया। उन्होंने कहा कि हज़रत ग़ुफ़रानमॉब ने अपने समय की मांगों और ज़रूरतों को महसूस किया और उसके अनुरूप उल्लेखनीय कार्य किये। इस दौर में फ़ोक़हा को चाहिए है कि वो हज़रत ग़ुफ़रानमॉब के रास्ते पर चलकर युवा पीढ़ी की मांगों और नये युग की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखें। उन्होंने कहा कि जब भी मकतबे इमामिया पर फ़िक्री यलग़ार हुई, उस समय फ़ोक़हा ने इस मकतब का दिफ़ा किया और क़ुर्बानियां पेश की। उन्होंने ने कहा हज़रत ग़ुफ़रानमॉब हिंदुस्तान के पहले मुसल्लम और मुस्तनद फ़क़ीह और मुजतहिद थे। फ़ारसी तक़रीर का उर्दू अनुवाद मौलाना अतहर कश्मीरी द्वारा प्रस्तुत किया गया।

उद्घाटन सत्र में मकतबे हज़रत ग़ुफ़रानमॉब: एक तहक़ीक़ी जायज़ा पुस्तक का विमोचन उलेमा के हाथो हुआ जिसे मौलाना आसीफ जायसी ने तरतीब दिया है। मौलाना साबिर अली इमरानी ने नात शरीफ पेश की और मुहम्मद आदल ने हज़रत ग़ुफ़रानमॉब की शान में शेर पढ़े। सेमिनार का संचालन आदिल फ़राज़ ने किया।

उद्घाटन सत्र के अंत में मौलाना सैय्यद कल्बे जवाद नक़वी ने सभी मेहमानो का शुक्रिया अदा किया और कहा कि मकतबे फ़िक़्ही व कलामी हज़रत ग़ुफ़रानमॉब की नई ईमारत में तमाम उलेमा के इल्मी और फ़िक़्ही आसार को ज़िंदा करने की कोशिश की जाएगी और एक भव्य पुस्तकालय की भी स्थापना की जाएगी जिसका उपयोग शोधकर्ता कर सकेंगे। इंशाल्लाह बहुत जल्द यह ईमारत बनकर तैयार हो जाएगी और यहां मकतबे हज़रत ग़ुफ़रानमॉब पर शोध कार्य शुरू हो जाएगा।

इससे पहले 2 मार्च को शाम 8 बजे मकतबे फ़िक़्ही व कलामी हज़रत ग़ुफ़रानमॉब पर संवाद सत्र का आयोजन किया गया था। जिसमे हिंदुस्तान और ईरान के उलेमा ने भाग लिया। इस संवाद सत्र में मौलना अली अब्बास ख़ान, मौलाना कमालुद्दीन अकबर, मौलाना तक़ी रज़ा बुरक़ई, ईरान से आये मेहमान हुज्जातुल इस्लाम अकबर हुसैनी और अक़ाए हसन यूसुफ़यान ने तक़रीर की। कार्यक्रम के अंत में मौलाना कल्बे जावद नक़वी, मौलाना आसीफ जायसी और अहमद अब्बास नक़वी ने सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।

ज़ोहर की नमाज़ के बाद 4 बजे पेपर रीडिंग सेशन शुरू हुआ जिसमें
ग्रैंड रिलिजियस अथारिटी आयतुल्लाह सिस्तानी साहब के भारत मे नुमाईन्दे मौलाना अशरफ अल ग़रवी ,मौलाना अली हाशिम आबिदी, मौलाना सईदुल हसन,जनाब फैज़ान जाफर, जनाब हैदर रज़ा, मौलाना नावेद अब्बास, मौलाना तक़ी रज़ा बुरक़ई, मौलाना हैदर मेहदी करीमी और अन्य मक़ाला निगारों ने अपने मक़ाले पेश किए। डॉ. हैदर मेहदी ने कार्यक्रम का संचालन किया। अंत में हौज़े इल्मिया दिलदार अली ग़ुफ़रानमॉब के प्रिंसिपल मौलाना रज़ा हैदर ज़ैदी ने सभी मक़ाला निगारों और कार्यक्रम में भाग लेने वालों का धन्यवाद किया।

सेमिनार में मौलाना रज़ा हैदर ज़ैदी, मौलाना तसनीम मेहदी, मौलाना इस्तफा रज़ा, मौलाना अली अब्बास खान, मौलाना सरताज हैदर,मौलाना डॉ. रज़ा अब्बास अलीगढ़, मौलाना हैदर मेहदी करीमी, मौलाना शबाहत हुसैन, मौलाना सरताज हैदर, डॉ. अरशद जाफरी, दैनिक सहाफत के संपादक अमान अब्बास , डॉ. हैदर मेहदी, डॉ. ज़फरुन नक़ी, डॉ. सिब्ते हसन नक़वी, डॉ. अली सलमान रिज़वी, मौलाना हामिद हुसैन, मौलाना हैदर अब्बास रिज़वी, मौलाना निसार अहमद ज़ैनपुरी, मौलाना अतहर अब्बास रिज़वी, मौलाना ग़ज़नफर नवाब, मौलाना मंज़र अब्बास , मौलाना ज़ैग़म अब्बास, मौलाना वसी आब्दी, मौलाना मुहम्मद हुसैन, इनके अलावा हौज़े इल्मिया दिलदार अली ग़ुफ़रानमॉब के छात्र भी विशेष रूप से शामिल हुए। सेमिनार कार्यालय ‘मकतबे फ़िक़्ही व कलामी हज़रत ग़ुफ़रानमॉब’ के नए भवन में आयोजित किया गया, जो पिक्चर गैलरी घंटा घर के पास स्थित है।

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