सोल । आपको बता दें कि 1950-53 के संघर्ष के दौरान कोरिया के विभाजन से लाखों लोग अपनों से अलग हो गए थे। इनमें से ज्यादातर लोग सीमा के उस पार अपने सगे संबंधियों से मिले, देखे या उनकी आवाज सुने बगैर ही मर गए। इस युद्ध के बाद बॉर्डर के दोनों तरफ के लोगों के बीच सभी प्रकार के कम्यूनिकेशन पर बैन लग गया था।
अप्रैल में किम जोंग और साउथ कोरिया के प्रेजिडेंट मून जेई-इन के बीच ऐतिहासिक समिट के बाद हुए समझौतों में से फैमिली रीयूनियन भी एक है, जो किम और ट्रंप की मुलाकात के बाद मूर्त रूप लेगा। शुक्रवार को दोनों देशों के अधिकारी नॉर्थ के माउंट कुमगांग रिजॉर्ट में मिले और अगस्त का महीना रीयूनियन के लिए तय किया गया। सोल-प्योंगयांग के संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘रीयूनियन 20 अगस्त से 26 अगस्त के बीच होगा और एक साइड से 100 लोगों को चुना जाएगा।’
जानकारी के मुताबिक रीयूनियन माउंट कुमगांग रिजॉर्ट में होगा, जिसकी जांच दक्षिण कोरिया के अधिकारी अगले हफ्ते से शुरू करेंगे। साउथ कोरियन रेड क्रॉस के पास केवल 57,000 लोगों ने बिछड़े हुए अपने लोगों से मिलने के लिए पंजीकरण कराया है। इनमें से ज्यादातर की उम्र 70 साल से ज्यादा है। इनमें से कुछ ही भाग्यशाली होंगे जिन्हें मुलाकात का मौका मिलेगा।
उनके लिए यह बेहद भावुक क्षण होगा क्योंकि दशकों के बीते समय की बातों के लिए उन्हें काफी कम समय दिया जा रहा है। रीयूनियन का प्रोग्राम साल 2000 में कोरियन समिट के बाद शुरू हुआ था। साल में एक बार ऐसे कार्यक्रम की योजना बनी थी लेकिन संबंधों में तनाव बढ़ने के कारण इसमें अड़चनें आ गईं। नॉर्थ कोरिया ने पहले मांग की थी कि वह फैमिली रीयूनियन के लिए तैयार नहीं होगा जब तक कि सोल उसके नागरिकों को वापस नहीं भेजता। दरअसल, कई लोग उत्तर कोरिया से भागकर साउथ पहुंच गए थे।