नहीं रहे राष्ट्रवादी केदार बाबू

बाराबंकी

पाटेश्वरी प्रसाद

बाराबंकी-एक प्रखर वक्ता, उत्कृष्ट संगठनकर्ता तथा जीवनपर्यंन्त अपनी व्यक्तिगत ईमानदारी व सत्यनिष्ठा को अत्यधिक महत्त्व देते हुए उस पर सदा आरूढ़ रहने वाले भारतीय जनसंघ व भाजपा के दिग्गज नेता एवं वरिष्ठ विधिवेत्ता नेता ठाकुर केदार बक्श सिंह का सुबह निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे।

ठाकुर केदार बक्श सिंह भारतीय जनता पार्टी के लिए न केवल वैचारिक मार्गदर्शन और नैतिक प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। बल्कि देश के अन्यतम राष्ट्रवादी राजनीतिज्ञ और भारतीय राष्ट्रवादी राजनीति के पुरोधा भी थे। वह मजहब और संप्रदाय के आधार पर भारतीय संस्कृति का विभाजन करने वालों को देश के विभाजन का जिम्मेदार मानते थे।

अटल बिहारी बाजपेयी, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह सरीखे राजनेताओं से उनकी गहरी दोस्ती ही नही बल्कि आत्मीय रिश्ते भी रहे है। वहीं मुस्लिम समुदाय में भी गहरी पैठ रखते थे। केदार बाबू के सामाजिक दायरे ने ही उन्हें राजनीति के क्षितिज पर पहुंचाया।

व्यक्तिगत जीवन तथा राजनीति दोनों में ही सिद्धान्त और व्यवहार में समानता रखने वाले केदार बाबू को राजनीति से सक्रिय रूप से जुड़ते ही काफी विरोधों का सामना करना पड़ा। किन्तु राष्ट्रभक्ति से ओत, प्रोत केदार बाबू को उनके उद्देश्यों से कोई नहीं डिगा सका। विधि के क्षेत्र में भी उनका कोई सानी नही था।

राष्ट्र के सजग प्रहरी व सच्चे राष्ट्र भक्त के रूप में प्रेरणास्त्रोत रहे केदार बाबू का असमायिक निधन धर्मनिरपेक्ष राजनीति की अपूर्णनीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे और शोक संतृप्त परिवार को यह वियोग सहन करने की शक्ति दे।

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